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2023 में शुरू हो सकता है माइनिंग प्रोजेक्ट: बंदर परियोजना से छतरपुर जिला खनिज फाउंडेशन को मिलेगा 650 करोड़ रुपए का रेवेन्यू, विकास को मिलेगी रफ़्तार

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मुंबई6 घंटे पहले

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मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में बंदर डायमंड प्रोजेक्ट के जरिये औद्योगिक विकास की गति तेज होगी। इस ब्लॉक को एस्सेल मानिंग ने जीता है। इससे परियोजना क्षेत्र के साथ -साथ इसके आस-पास की बिजनेस गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।

सीधा लाभ छतरपुर जिला को मिलेगा

सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इस परियोजना का सीधा लाभ छतरपुर जिला को भी मिलेगा। क्योंकि कुछ फंड सिर्फ जिला के लिए आवंटित होगा। बंदर परियोजना अपनी लीज अवधि में छतरपुर जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) को लगभग 650 करोड़ रुपए का योगदान देगी। यह रकम बक्सवाहा के विकास के लिए खर्च की जा सकती है।

मार्च 2015 में DMF की शुरुआत की गई थी

मार्च 2015 में खान और खनिज अधिनियम 1957 में कुछ प्रमुख संशोधन किया गया था। इसके अंतर्गत आदिवासी समुदायों सहित खनन प्रभावित समुदायों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) की शुरुआत की गई थी। खनन कंपनियों को अपने रॉयल्टी भुगतान के आधार पर निर्धारित रकम का पेमेंट उस जिले के DMF ट्रस्ट को करना होता है जहां खदान स्थित है। इस नीति के अनुसार छतरपुर जिला खनिज फाउंडेशन को लगभग 650 करोड़ रुपए प्राप्त होंगे।

बंदर डायमंड ग्रीनफील्ड माइनिंग प्रोजेक्ट है

बंदर डायमंड ब्लॉक एक ग्रीनफील्ड माइनिंग प्रोजेक्ट है। इससे लगभग 30 लाख कैरेट कच्चे हीरे का उत्पादन हो सकेगा। टेंडर के मुताबिक, ब्लॉक को 30.05% के रेवेन्यू शेयर मूल्य पर नीलाम किया गया था। इस प्रोजेक्ट के कार्यकाल के दौरान सरकार को प्रोजेक्ट से 28,000 करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिलेगा। स्थानीय लोगों को नए रोजगार के भी अवसर मिलेंगे। स्थानीय ग्रामीणों ने सरकार की विकास परियोजनाओं और क्षेत्रीय विकास और औद्योगीकरण की पहल का स्वागत किया है।

1,000 से 1,500 लोगों को मिलेगा रोजगार

इस डायमंड प्रोजेक्ट से स्थानीय लोगों के लिए 1,000 से 1500 रोजगार का अवसर बनेगा। रोजगार के अवसर बढ़ने से छतरपुर जिले में बाजारों को विकसित करने में मदद मिलेगी। इससे सड़कों, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे सामाजिक बुनियादी ढांचे में सुधार होगा। टेंडर की शर्तों के अनुसार परियोजना से उत्पादित हीरे की नीलामी सबसे पहले मध्यप्रदेश राज्य में की जाएगी। राज्य में हीरों के लिए एक नीलामी केंद्र बनाने की योजना है।

55 हजार करोड़ रुपए के संसाधन हैं

इंडियन ब्यूरो ऑफ़ माइंस (आईबीएम) द्वारा घोषित डायमंड प्राइस पर इस हीरा परियोजना के संसाधनों का मूल्य 55,000 करोड़ रुपए अनुमानित है। इसका जिक्र मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जारी टेंडर में भी है। खनन पट्टा देने से पहले मध्य प्रदेश सरकार को 275 करोड़ रुपए का एडवांस पेमेंट किया जाना है। इसमें से 10% राशि यानि 27.5 करोड़ रुपए का पेमेंट चुनी गई कंपनी द्वारा किया भी जा चुका है।

2012 में रियो टिंटो ने जीता था प्रोजेक्ट

2012 में दुनिया की दिग्गज खनन कंपनी रियो टिंटो को 954 हेक्टर क्षेत्र में माइनिंग लीज़ के लिए एलओआई (लेटर ऑफ इंटेंट) प्रदान किया गया था। 2017 में रियो परियोजना से बाहर चली गई, और परियोजना को मध्य प्रदेश सरकार को वापस सौंप दिया। 2019 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ब्लॉक की नीलामी की गई थी और उच्चतम बोली लगाने वाली एस्सेल माइनिंग को यह प्रोजेक्ट मिल गया।

पौधे लगाए जाने का संकल्प

इस परियोजना के तहत माइनिंग प्रक्रिया शुरू होने से पहले वृक्षारोपण अभियान की योजना बनाई जा रही है। योजना के तहत 383,000 पेड़ लगाने का संकल्प लिया गया है। स्वीकृत खदान योजना के अनुसार खदान को जब बंद किया जाएगा तब अतिरिक्त 4,25,000 पेड़ लगाए जाएंगे। माइनिंग कार्य वर्ष 2023 में शुरू होने की उम्मीद है।

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