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2007WC फाइनल में धोनी ने जोगिंदर को क्यों दिया ओवर: आरपी सिंह बोले- 17वां ओवर में हरभजन महंगे साबित हुए थे, जोगिंदर ही एकमात्र विकल्प थे

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11 मिनट पहले

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2007 में पहली बार हुए टी-20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में जीतकर इतिहास रचा था। फाइनल में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को हराया था। इस जीत में अहम किरदार निभाने वाले गेंदबाज जोगिंदर शर्मा ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। जोगिंदर शर्मा ने 4 टी-20 और 4 वनडे मैच खेले। पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल मुकाबला ही उनके करियर का आखिरी मैच रहा। उसके बाद उन्हें कभी मौका नहीं मिला। पाकिस्तान को 6 गेंदों में 13 रन की जरूरत थी।

भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए गौतम गंभीर के 75 रनों की कीमती पारी के दम पर स्कोरबोर्ड पर 157 रन बनाए। मिस्बाह उल हक ने 38 गेंदों में 43 रन बनाकर पाकिस्तान को जीत की कगार पर ला दिया था। आखिरी ओवर हरभजन सिंह की जगह धोनी ने जोगिंदर शर्मा को सौंपी। धोनी के इस फैसले की वजह किसी को समझ में नहीं आया। अब 16 साल बाद उस समय टीम में रहे और धोनी के दोस्त आरपी सिंह ने SA20 लीग के एक मैच में कमेंट्री के दौरान इसकी वजह बताई।

2007 टी-20 वर्ल्ड कप में भारत ने पाकिस्तान को हराकर खिताब जीता था।

2007 टी-20 वर्ल्ड कप में भारत ने पाकिस्तान को हराकर खिताब जीता था।

हरभजन-जोगिंदर के ही ओवर बचे थे
आरपी सिंह ने कहा कि धोनी के पास आखिरी ओवर कराने के लिए हरभजन सिंह और जोगिंदर शर्मा विकल्प के रूप में थे। लेकिन हरभजन ने पाकिस्तान की पारी का 17वां ओवर फेंका था और उनके उस ओवर में मिस्बाह उल हक ने 3 छक्के उड़ा दिए थे। इसके बाद ही धोनी ने बड़ा जोखिम लेते हुए जोगिंदर शर्मा को फाइनल ओवर दिया था।

मिस्बाह का विके लेने के बाद साथियों ने जोगिंदर शर्मा को गोदी में उठा लिया था।

मिस्बाह का विके लेने के बाद साथियों ने जोगिंदर शर्मा को गोदी में उठा लिया था।

हरभजन के ओवर में मिस्बाह ने जड़े थे 3 छक्का
आरपी सिंह ने कहा कि धोनी का मानना था कि आखिरी ओवर उतना अहम नहीं है जितना कि 17वां, 18वां और 19वां ओवर का है। इसलिए उन्होंने 17वां ओवर हरभजन को सौंपा। हरभजन आमतौर पर 17वां ओवर में विकेट टीम को दिलाते थे। इस मेच में मिस्बाह उल हक ने 3 छक्का जड़ दिया था। टीम इंडिया के लिए यह ओवर भारी पड़ा। 18वां ओवर श्रीसंत को सौंपा। जबकि 19वां ओवर मुझे सौंप। अब हमारे पास हरभजन सिंह और जोगिंदर शर्मा का ही ओवर बचा हुआ था। अगर क्रीज पर बायें हाथ का बल्लेबाज होता, तो आखिरी ओवर धोनी हरभजन सिंह को ही सौंपते। लेकिन स्ट्राइक पर दाएं हाथ बैटर था। इसलिए धोनी ने जोगिंदर को गेंद थमाई, उसके बाद जो हुआ इतिहास बन गया।

जोगिंदर जब गेंद करने आए तो पहले एक वाइड और एक डॉट बॉल फेंकी और फिर दूसरी गेंद पर छक्का दे दिया। ऐसा लगा कि पाकिस्तान ये मैच आसानी से जीत जाएगा, लेकिन अगली ही गेंद पर जोगिंदर शर्मा ने कमाल कर दिखाया। उनकी गेंद पर स्कूप शॉट खेलने की कोशिश में मिस्बाह श्रीसंथ को कैच दे बैठे। यह मैच भारत ने जीत कर इतिहास रच दिया।

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