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1.2 लाख करोड़ रुपए की भारतीय एविएशन इंडस्ट्री: घरेलू और अंतरराष्ट्रीय रूट के लिए महत्वपूर्ण है एअर इंडिया की घर वापसी, आज होगा फैसला

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मुंबई21 मिनट पहले

1.2 लाख करोड़ रुपए की देश की एविएशन इंडस्ट्री के लिए इस साल से काफी कुछ बदलने वाला है। सरकारी कंपनी एअर इंडिया आज यानी 27 जनवरी से प्राइवेट हो जाएगी। इस वजह से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय रूट्स काफी महत्वपूर्ण हो जाएंगे। यह एक नए युग की शुरुआत होगी।

1932 में शुरू हुई थी एअर इंडिया
एअर इंडिया के इतिहास की बात करें तो इसकी शुरुआत अप्रैल 1932 में हुई थी। इसकी स्थापना उद्योगपति JRD टाटा ने की थी। उस वक्त नाम टाटा एयरलाइंस हुआ करता था। JRD टाटा ने महज 15 की उम्र में साल 1919 में पहली बार शौकिया तौर पर हवाई जहाज उड़ाया था, लेकिन शौक जुनून बन गया और JRD टाटा ने अपना पायलट का लाइसेंस ले लिया।

15 अक्टूबर को पहली उड़ान
एयरलाइन की पहली कॉमर्शियल उड़ान 15 अक्टूबर को भरी गई थी। तब सिर्फ सिंगल इंजन वाला ‘हैवीलैंड पस मोथ’ हवाई जहाज था, जो अहमदाबाद-कराची के रास्ते मुंबई गया था। प्लेन में उस वक्त एक भी यात्री नहीं था बल्कि 25 किलो चिट्ठ‍ियां थीं। चिट्ठियों को लंदन से ‘इम्पीरियल एयरवेज’ से कराची लाया गया था। यह एयरवेज ब्रिटेन का राजसी विमान था। इसके बाद साल 1933 में टाटा एयरलाइंस ने यात्रियों को लेकर पहली उड़ान भरी। टाटा ने दो लाख रुपए की लागत से कंपनी स्थापित की थी।

एअर की 30वीं एनिवर्सरी पर JRD टाटा

दूसरे विश्व युद्ध के बाद नाम पड़ा एअर इंडिया
दूसरे विश्व युद्ध के बाद इंडिया से सामान्य फ्लाइट्स शुरू की गईं और तब इसका नाम एअर इंडिया रखा गया। इसे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बनाया गया। साल 1947 में आजादी के बाद एक नेशनल एयरलाइंस की जरूरत थी। भारत सरकार ने इसमें 49% हिस्सेदारी ली। इसके बाद 1953 में भारत सरकार ने एअर कॉरपोरेशन एक्ट पास किया और टाटा समूह से इस कंपनी में ज्यादातर हिस्सेदारी खरीद ली। इस तरह यह पूरी तरह से एक सरकारी कंपनी बनी।

घाटे की शुरुआत
1954 में जब इसका राष्ट्रीयकरण हुआ, उसके बाद सरकार ने दो कंपनियां बनाईं। इंडियन एअरलाइंस घरेलू सेवा के लिए और एअर इंडिया विदेशी रूट के लिए तय की गई। साल 2000 तक यह कंपनी मुनाफे में रही। पहली बार 2001 में इसे 57 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। तब विमानन मंत्रालय ने इसके लिए उस समय के एमडी माइकल मास्केयरनहास को दोषी मानते हुए पद से हटा दिया था।

2007 में इंडियन एअरलाइंस को मिलाया गया
साल 2007 में एअर इंडिया को इंडियन एअरलाइंस के साथ मिला दिया गया। उस समय दोनों का घाटा 771 करोड़ रुपए था। मिलने से पहले इंडियन एअर लाइंस 230 करोड़ के घाटे में थी। जबकि एअर इंडिया 541 करोड़ के घाटे में थी। इसके बाद से लगातार घाटा बढ़ता गया और कंपनी कर्ज पर कर्ज लेती गई।

12 हजार करोड़ के पार हुआ घाटा
साल 2009-10 में इसका घाटा बढ़कर 12 हजार करोड के पार पहुंचा। घाटे की एक वजह यह भी बताई गई कि 2005 में 111 विमानों की खरीद का फैसला एअर इंडिया के लिए संकट बना। इस डील पर 70 हजार करोड़ खर्च किए गए। दूसरा कारण यह भी रहा कि इस दौरान नई एयरलाइंस कंपनियों ने ग्राहक सेवा से लेकर कम किराए की रणनीति अपनाई। इसमें भी एअर इंडिया पीछे हो गई। अक्सर यह कंपनी लेटलतीफी के लिए जानी जाती है।

निजी कंपनियों के विमान एक दिन में कम से कम 14 घंटे उड़ान भरते थे, जबकि एअर इंडिया का विमान 10 घंटे उड़ान भरता था। दूसरी ओर जिस रूट पर प्राइवेट कंपनियां सेवा देने से कतराती थीं, वहां एअर इंडिया को चलाया गया, जो घाटे का रूट हुआ करता था।

एअर इंडिया की खासियत
एअर इंडिया की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह अभी भी फाइव स्टार होटल ताज से ही खाना मंगाती है। प्लेन में खाना देने के लिए यह ताज की कैटरिंग सर्विस ताज सैट्स से इसे ऑर्डर करती है। अब जबकि सभी विमानन कंपनियां केवल पानी फ्री में देती हैं, एअर इंडिया अभी भी खाना और नाश्ता फ्री में देती है।

ऐश ट्रे का गिफ्ट देती थी
1967 में एअर इंडिया में ऐश ट्रे को गिफ्ट के रूप में यात्रियों को दिया जाता था। एअर इंडिया का शुरुआती लोगो JRD टाटा ने खुद चुना था। ये धनु का निशान था, जो कोणार्क के एक गोले में धनुष चलाता दिख रहा था। शुरुआत से ही इसकी थीम लाल और सफेद रही है। 2007 में इसका लोगो बदल दिया गया। अब ये एक लाल रंग के उड़ते हुए हंस जैसा है, जिसमें कोणार्क चक्र लगा है। एअर इंडिया का शुभंकर महाराजा है।

ज्यादा युवा दिखने लगा लोगो
2015 में इसका मेकओवर किया गया और इसे ज्यादा युवा दिखाया जाने लगा। धोती पगड़ी के साथ-साथ जींस और सूट भी पहनने लगा। एअर होस्टेस को पारंपरिक भारतीय साड़ी में ब्रांड किया गया। एअर इंडिया की ये इमेज बदस्तूर जारी है।

10.5 करोड़ लोग करते हैं यात्रा
2021 में कुल 10.5 करोड़ लोगों ने घरेलू रूट्स पर यात्रा की थी। भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा एविएशन मार्केट है। यह 1.20 लाख करोड़ रुपए की इंडस्ट्री है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) का ऐसा अनुमान है कि 2030 तक भारत चीन और अमेरिका को इस मामले में पीछे छोड़ सकता है।

4 सालों में 35 हजार करोड़ के निवेश की उम्मीद
ऐसा अनुमान है कि अगले 4 सालों में इस इंडस्ट्री में 35 हजार करोड़ रुपए का निवेश आएगा। भारत सरकार 2026 तक 14 हजार करोड़ रुपए के निवेश की योजना बनाई है जो एयरपोर्ट इंफ्रा के विकास पर खर्च होगा।

एअर इंडिया का भविष्य और चुनौतियां
दरअसल पहले चरण में टाटा ग्रुप इस कंपनी को घाटे से मुनाफे में लाने की योजना पर काम करेगा। इसके बाद इसे कर्ज से छुटकारा दिलाया जाएगा और हो सकता है कि इसका आईपीओ लाकर इसे बाजार में लिस्ट कराया जाए। हालांकि यह तभी होगा, जब घाटे से कंपनी उभर पाएगी। क्योंकि इसका वैल्यूएशन उसी के बाद होगा। टाटा ग्रुप हो सकता है घाटे वाले रूट पर इसे बंद कर दे। इससे भी कर्ज कम करने में मदद मिलेगी। एअर इंडिया के पास फिलहाल 114 एयरक्राफ्ट हैं। इसमें से 42 लीज पर और 99 उसके खुद के हैं।

जानकार कहते हैं कि टाटा ग्रुप जिस तरह से काम करता है, वह इस कंपनी को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा। क्योंकि इससे उसका एक गहरा लगाव है और एअर इंडिया को कई बार खरीदने की बात खुद रतन टाटा भी कह चुके थे। वे 1990 में भी एअरलाइंस शुरू करने वाले थे, पर कामयाब नहीं हो पाए।

शुक्रवार को थी बोर्ड मीटिंग
पिछले शुक्रवार को कंपनी की बोर्ड मीटिंग थी। उसमें विक्रम देव को नया चेयरमैन बनाया गया था। इस तरह से जो वर्तमान में बोर्ड सदस्य हैं, वे इस्तीफा देंगे और महीने के अंत में टाटा के पास इसका नया बोर्ड होगा। टाटा ग्रुप एविएशन मार्केट में 25-30% के मार्केट शेयर के साथ दूसरा बड़ा एयरलाइन प्लेयर बन जाएगा।

टैलेस चलाएगी एअर इंडिया को
पिछले साल अक्टूबर में टाटा ग्रुप की टैलेस प्राइवेट लिमिटेड ने एअर इंडिया को खरीदने का टेंडर जीता था। टैलेस ही टाटा के एयरलाइंस बिजनेस को चलाएगी। इसके लिए 18 हजार करोड़ रुपए की बोली लगाई गई थी। एअर इंडिया एक्सप्रेस के साथ सैट्स में भी टाटा ग्रुप की 50% हिस्सेदारी है। एअर इंडिया सैट्स ग्राउंड हैंडलिंग का काम करती है।

अक्टूबर में ही अकासा को भी एनओसी
संयोग यह है कि अक्टूबर में टाटा ग्रुप ने एअर इंडिया की बोली जीती और उसी महीने में दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला की अकासा को सरकार से नो ऑब्जेक्शन का सर्टिफिकेट (एनओसी) भी मिल गया। माना जा रहा है कि अकासा मई तक उड़ान भरना शुरू कर देगी। सितंबर 2021 में जेट सेट गो नाम की एक कंपनी ने भी 2024 तक अपनी उड़ान शुरू करने की योजना की घोषणा की।

72 बोइंग का ऑर्डर दिया
शेयर बाजार के बिग बुल राकेश झुनझुनवाला की अल्ट्रा लो कॉस्ट एयरलाइन अकासा एयर ने 72 बोइंग 737 मैक्स जेट का ऑर्डर दिया है। ये ऑर्डर दुबई में हो रहे एयर शो में दिया गया। इन विमानों की कुल कीमत 9 अरब डॉलर है। एयरक्राफ्ट की डिलीवरी इसी साल से शुरू होगी। कंपनी के CEO विनय दुबे ने कहा, ‘हमारा मानना ​​है कि नया 737 मैक्स विमान न केवल एक किफायती एयरलाइन चलाने के हमारे लक्ष्य को सपोर्ट करेगा, बल्कि इससे अकासा एक एनवायरमेंट फ्रेंडली कंपनी भी होगी।

18 एयरक्राफ्ट होंगे
वे कहते हैं कि 2022-23 में हमारे पास 18 एयरक्राफ्ट होंगे। उसके बाद के एक साल में 14-16 एयरक्राफ्ट होंगे। इन विमानों की कुल कीमत 9 अरब डॉलर है। पांच सालों में 72 एयरक्राफ्ट की योजना है। वो कहते हैं कि हम एक बजट कैरियर को चलाएंगे। हमारी मुख्य योजना ग्राहकों को अच्छी सेवा देने की है जो सस्ती भी होगी। कंपनी को अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में पहला एयरक्राफ्ट मिलने की उम्मीद है। जून तक पहली कमर्शियल फ्लाइट शुरू हो सकती है।

शुरू में महानगरों पर फोकस
कंपनी शुरुआत में मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु के रूट पर सेवाएं देगी। कंपनी इंटरनेशनल रूट पर फ्लाइट पहले पड़ोसी देशों में चलाएगी। फिर इसे दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व देशों में विस्तार करेगी।

जेट के बेड़े में 3 सालों में 50 विमान होंगे शामिल
जेट एयरवेज 2.0 के नए प्रमोटर्स को अगले तीन सालों में 50 विमान शामिल करने की उम्मीद है। कर्ज में दबे होने के कारण जेट एयरवेज अप्रैल 2019 में ग्राउंडेड हो गई थी। इससे पहले एयरलाइन को साउथ एशियन नेशन की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइन का दर्जा हासिल था। अकासा के आने से उसी तरह का बिखराव पैदा हो सकता है जैसा कि किंगफिशर एयरवेज के 2005-06 में लॉन्च होने के बाद पैदा हुआ था।

जेट एयरवेज की तैयारी
जेट एअरवेज फिर से उड़ान भरने की तैयारी में है। इसे जालान कालरॉक के समूह ने लिया है। 5 साल में 100 एयरक्राफ्ट इसमें शामिल किए जाने की तैयारी है। 1 हजार कर्मचारियों से इसे इसी साल के मई तक शुरू किया जाएगा। हालांकि लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट को इसे लेने में दिक्कतें आएंगी।

सरकार भी कर रही है काम
इस इंडस्ट्री में सरकार भी फायदा देने पर काम कर रही है। 2017 में उसने उड़े आम आदमी यानी उडा़न की शुरुआत की। इसका मतलब छोटे-छोटे एयरपोर्ट को जोड़कर वहां तक फ्लाइट को शुरू करना है। 370 से ज्यादा रूट पर यह काम हो चुका है। इस पर अब तक 3,550 करोड़ रुपए खर्च किए गए।

किराए में गिरावट देखने को मिल सकती है
एक्सपर्ट्स का मानना है कि इन एयरलाइंस के आने से तुरंत ही एयर फेयर में गिरावट देखने को मिल सकती है। इसका सीधा फायदा पैसेंजर्स को होगा। हालांकि इसमें 2-3 सालों का समय लग सकता है, जब ये दोनों एयरलाइन अपने स्केल को बढ़ा लेगी।

इंडिगो है लीडर
एविएशन मार्केट का लीडर इंडिगो है, जिसके बेड़े में लगभग 278 विमान हैं। अक्टूबर 2021 तक इसका मार्केट शेयर लगभग 50% था। अब आने वाले दिनों में अकासा और जेट एयरवेज 2.0 के साथ-साथ एयर इंडिया से इसे टक्कर मिल सकती है।

बिजी एयर रूट पर प्राइम स्लॉट मिलना मुश्किल
यहां यह भी बात ध्यान देने वाली है कि अकासा और जेट एयरवेज 2.0 दोनों को अपने लॉन्च के तुरंत बाद मुंबई जैसे बिजी एयर रूट पर प्राइम स्लॉट मिलना मुश्किल होगा। इससे उन्हें कुछ परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। एअर इंडिया के पास 117 विमानों का बेड़ा है। 4400 डोमेस्टिक और 1800 इंटरनेशनल लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट्स हैं। हालांकि इसे पहले 23 हजार करोड़ रुपए का कर्ज चुकाना होगा। फिर फायदे में आना होगा और इसके बाद इसे मार्केट में अपनी पोजिशन बनानी होगी।

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