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हौसले की जीत: पानीपत की बेटी कोमल ने देश को दिलाया रेसलिंग में गोल्ड, मां बोली- घर के काम में हाथ बंटाया, अब मेडल जीत देश का नाम किया रोशन

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  • Panipat’s Daughter Komal Gave Gold To The Country In Wrestling, Mother Said Helped In Household Chores, Now Won The Medal, Made The Country Proud

समालखा/पानीपत6 मिनट पहले

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समालखा. चैंपियनशिप में दांव पेच दिखातीं कोमल।

  • वर्ल्ड कैडेट कुश्ती चैंपियनशिप में कोमल ने अजरबैजान की पहलवान को 7-2 से हराकर गोल्ड मेडल किया नाम

हंगरी के बुडापेस्ट में चल रही वर्ल्ड कैडेट कुश्ती चैंपियनशिप में पट्टीकल्याणा गांव की कोमल ने गाेल्ड मेडल जीतकर देश का नाम राेशन कर दिया। कोमल ने 46 किलोग्राम कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीता है। कोमल ने रेसलिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में अजरबैजान की पहलवान को 7-2 से हराकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। बेटी की इस कामयाबी के बाद परिवारजनों में खुशी का माहौल है।

काेमल का यह विदेश में पांचवां मेडल है। इससे पहले उसने चीन, जापान, कजाकिस्तान और बुल्गारिया में मेडल जीता है। मां कुसुम ने कहा कि बेटी ने अपनी मेहनत से आज ये मुकाम पाया है। बेटी ने मेरे साथ घर के काम में हाथ बंटाया और आज वर्ल्ड कैडेट कुश्ती चैंपियनशिप में गाेल्ड जीतकर पूरे देश का नाम राेशन किया है। हमें अपनी बेटी पर गर्व है।

मेरी बेटी की यह तो सिर्फ शुरुआत है, आगे और भी मेडल लाएगी

मां कुसुम ने बताया कि काेमल के पिता सतीश खेती-बाड़ी का काम करते हैं और वह स्कूल में मीड-डे मील बनाने का काम करती है। एक समय था जब हम अपनी बेटी से घर में काम करवाना चाहते थे। बेटी आज देश की लिए मेडल ले आई है। अभी तो मेरी बेटी की सिर्फ शुरुआत है। हमें उम्मीद है कि आगे और भी गोल्ड मेडल लाकर देश का नाम रोशन करेगी। एक दिन ओलंपिक में खेलकर देश के लिए मेडल भी लाएगी। उन्होंने बेटा और बेटी के भेद को गलत बताया और कहा कि बेटियां बेटों से कम नहीं होती। ऐसी बेटी भगवान हर किसी को दे।

5 भाई-बहनाें में तीसरे नंबर पर है काेमल

मां कुसुम ने बताया कि बेटी कमल पांच भाई बहनाें तीसरे नंबर की है। वह गांव के ही सरकारी स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ रही हैं। मां कुसुम ने बताया कि एक समय था जब हरियाणा में लड़कियों का घर से निकलना मुश्किल था। उन्हेंं अपनी मर्जी से अपनी जिंदगी का कोई फैसला नहीं लेने दिया जाता था। एक आज का दिन है हरियाणा की लड़कियों ने वह करके दिखाया है जो पुरुषों के लिए भी आसान नहीं है।

गांव के अखाड़े से विदेशाें में गाड़े झंडे

वह गांव के अखाड़े से खेलकर ही आज विदेशाें में झंडे गाड़ रही है। 14 साल की उम्र से वह लगातार कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिताब जीत रही है। अनिल पहलवान ने बताया कि इसी साल उड़ीसा में 17 से 20 फरवरी तक आयोजित 22वीं सब जूनियर गर्ल्स राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप में कोमल ने अंडर 17 के 40 किलो वर्ग में गुजरात की पहलवान भारती को पटकनी दी थी।

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