हमारे फास्ट बॉलर विदेश में हर दूसरा टेस्ट जिता रहे: 17 साल पहले टीम में 145+ स्पीड वाले 5 बॉलर थे, आज इतने 150+ फेंक रहे
अश्विन सोलंकी4 मिनट पहले
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‘पिच चाहे जैसी हो, हमें 20 विकेट चाहिए।’। टीम इंडिया ने पूर्व कोच रवि शास्त्री के इस मंत्र को गांठ बांध लिया है और इसे अमल में लाने में टीम के पेसर्स ने अहम भूमिका निभाई है। नतीजा यह रहा कि हमें विदेशों में ज्यादा टेस्ट मैच जीतने लगे हैं। 2000 से पहले विदेशों में हमारी जीत का प्रतिशत 8% था, जो अब बढ़कर 46 % हो गया है।
आज हमारे पास इन दिनों वर्ल्ड क्लास तेज गेंदबाज हैं। इसमें से 5 गेंदबाज ऐसे हैं, जो 150+ की रफ्तार से गेंदबाजी कर सकते हैं। अब यदि गति को थोड़ा यानी 145+ करके देखों तो टीम के पास करीब एक दर्जन गेंदबाज ऐसे हैं। इतना ही नहीं, इतने ही युवा तेज गेंदबाज भी हैं, जो टीम इंडिया का दरवाजा खटखड़ा रहे हैं।
2005 से पहले हमारे पास महज 5 गेंदबाज ऐसे थे, जो 145+ स्पीड की बॉल फेंक सकते थे। तब हम विदेशों में 33 फीसदी मैच ही जीत रहे थे। जबकि अब जब हमारे पास दर्जन भर तेज गेंदबाज मौजूद हैं तो हम विदेशों में 46 फीसदी मैच जीतने लगे हैं।
विकेट की बात करें तो पिछले दशक में तेज गेंदबाजों ने सबसे ज्यादा 922 विकेट चटकाए हैं। जो शुरुआती 79 साल में सबसे ज्यादा हैं। वहीं, स्पिनर्स को 877 ही मिले हैं। इससे पहले सात दशकों में फिरकी गेंदबाजों का पलड़ा भारी रहा है।
4 साल में SENA देशों में 9 टेस्ट जीते, उससे पहले 17 सालों में 8 जीते थे
भारत ने पिछले 8 साल में विदेशी जमीन पर 18 टेस्ट जीते। इनमें गाबा, सेंचुरियन, जोहानिसबर्ग, ओवल के मैदान पर ऐतिहासिक जीत शामिल हैं। टेस्ट चैंपियनशिप के 17 मैचों में भारतीय पेसर्स ने 22.15 की औसत से 303 विकेट लिए थे। 2006 से अब तक भारत के लिए 145+ की रफ्तार से गेंद फेंकने वाले खिलाड़ियों की संख्या में आश्चर्यजनक रूप से इजाफा हुआ। जबकि 2005 के पहले 145+ को पार करने वाले 5 ही गेंदबाज भारत के लिए खेल सके थे।
145+ की रफ्तार वाले आवेश, नागरकोटी, मावी जैसे युवा
विदेशी धरती पर टेस्ट मैच जीत के नंबर बढ़ाने के पीछे 145+ की रफ्तार से गेंद फेंकने वाले भारतीय पेस अटैक का मजबूत हाथ रहा। बुमराह, शमी, इशांत, सिराज, उमेश जैसे गेंदबाजों के रूप में टेस्ट टीम के पास आक्रामक पेस अटैक मौजूद है। सैनी, नटराजन, आवेश, उमरान , नागरकोटी, मावी जैसे उभरते खिलाड़ी भी लगातार 145 से ज्यादा की रफ्तार से गेंद फेंक रहे हैं।
5-बॉलर्स स्ट्रैटजी: हमने वेस्ट इंडीज, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका को हराया
कोहली की एग्रेसिव सोच की बदौलत ही टीम 5 गेंदबाजों के साथ टेस्ट खेलने लगी। नतीजा यह रहा कि भारत ने ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज को उसी के घर में टेस्ट सीरीज में हराया। इंग्लैंड में 3 और द. अफ्रीका में 2 टेस्ट जीते। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि विराट तेज गेंदबाजों के साथ खेलना पसंद करते हैं। धोनी विदेशों में भी स्पिनर्स पर भरोसा जताते थे। टीम इंडिया के कोच के रूप में रवि शास्त्री का कहना था, ‘पिच चाहे जैसी हो, हमें 20 विकेट चाहिए।’
एक्सपर्ट्स बोले- युवा गेंदबाज तेजी से सीखते हैं
आईपीएल में दिग्गज डेल स्टेन ने उमरान मलिक से कहा था, ‘लाइन-लेंथ की चिंता मत करो। स्ट्रेंथ पर ध्यान दो। जितना तेज डाल सकते हो, उतनी तेजी से गेंदबाजी करो।’ पूर्व कैरिबियन तेज गेंदबाज इयान बिशप का कहना है, ‘उमरान जैसे युवा गेंदबाज तेजी से सीखते हैं। आईपीएल में उनकी स्पीड के साथ लाइन-लेंथ पर भी फोकस किया जाता है। इससे वे इंटरनेशनल लेवल के लिए तैयार होते हैं।’
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