स्विस बैंकों में 47.3% तक बढ़ा भारतीयों का पैसा: 2021 के अंत तक भारतीयों के 30500 करोड़ रु. जमा, यह 14 साल में सबसे ज्यादा
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नई दिल्ली/ज्यूरिख3 घंटे पहले
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भारतीय व्यक्तियों और फर्मों द्वारा स्विस बैंकों में जमा किया गया धन 2021 के अंत में 47.3% बढ़कर 3.83 अरब स्विस फ्रैंक (30,500 करोड़ रुपए से अधिक) पर पहुंच गया है। यह 14 साल में सबसे अधिक है। 2020 के अंत में भारतीय ग्राहकों के कुल 2.55 बिलियन स्विस फ़्रैंक (20,700 करोड़ रुपए) जमा थे। इसके बाद लगातार दूसरे वर्ष इसमें बढ़ोतरी देखने को मिली है। यह जानकारी स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक द्वारा गुरुवार को जारी सालाना आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है।
2006 में रिकॉर्ड स्तर पर थी बैंकों में जमा राशि
वर्ष 2006 में भारतीय व्यक्तियों और फर्मों की स्विस बैंकों में कुल जमा राशि लगभग 6.5 अरब स्विस फ्रैंक के रिकॉर्ड स्तर पर थी। इसके बाद कुछ वर्षों (2011, 2013, 2017, 2020 और 2021) को छोड़कर इसमें ज्यादातर घटने का रुझान रहा है। जबकि 2019 के दौरान सभी चार घटकों में गिरावट आई थी।
2020 में 212% बढ़ा भारतीयों का धन
स्विस बैंक की तरफ से 18 जून 2021 को जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया था कि भारतीयों के स्विस खातों में जमा पैसे 20,700 करोड़ तक पहुंच गए हैं, जो पिछले 13 साल में सबसे ज्यादा हैं। वहीं, 2019 की तुलना में यह 212% या 3.12 गुना ज्यादा हैं।
इस आंकड़े में भारत स्थित बैंकों और दूसरे वित्तीय संस्थानों के जरिए जमा की गई राशि भी शामिल थी। स्विस बैंकों में जमा बढ़ने की वजह सिक्योरिटीज और ऐसे ही दूसरे विकल्पों के जरिए होल्डिंग्स में तेज उछाल होना था। हालांकि, कस्टमर डिपॉजिट में लगातार दूसरे साल गिरावट आई थी।
कालाधन नहीं है सारा पैसा
ये आंकड़े स्विट्जरलैंड में भारतीयों द्वारा रखे गए काले धन को नही बताते हैं। इस डेटा में वह पैसा भी शामिल नहीं है जो भारतीयों, NRI या दूसरे लोगों के पास स्विस बैंकों में तीसरे देश की संस्थाओं के नाम पर हो सकता है। यह पैसा स्विस बैंकों की भारतीय ग्राहकों की ‘कुल देनदारियों’ से जुड़ा है, जिसमें व्यक्तियों, बैंकों और उद्यमों से जमा राशि शामिल है।
स्विस अधिकारियों का कहना है कि वे भारतीय लोगों की संपत्ति को ‘काला धन’ नहीं माना जा सकता और वे टैक्स धोखाधड़ी और चोरी के खिलाफ लड़ाई में भारत का समर्थन करते हैं। स्विटजरलैंड ने उन कारणों को भी गिनाया जिनके कारण जमा राशि बढ़ सकती है, जिसमें भारतीय कंपनियों द्वारा बढ़ते व्यापारिक लेनदेन, भारत में स्थित स्विस बैंक शाखाओं के कारोबार की वजह से जमा में वृद्धि और स्विस और भारतीय के बीच अंतर-बैंक ट्रंजैक्शन का बढना शामिल है।
सूचना 2018 से हो रही हैं साझा
स्विट्ज़रलैंड और भारत के बीच कर मामलों में सूचनाओं का आदान-प्रदान 2018 से लागू है। इसके तहत, 2018 से स्विस वित्तीय संस्थानों के साथ खाते रखने वाले सभी भारतीय निवासियों की विस्तृत वित्तीय जानकारी पहली बार सितंबर 2019 में भारतीय कर अधिकारियों को प्रदान की गई थी। इसके अलावा, स्विट्जरलैंड सक्रिय रूप से उन भारतीयों के खातों के बारे में ब्योरा साझा कर रहा है, जिन पर प्रथम दृष्टया साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद वित्तीय गलत कामों में शामिल होने का संदेह है। सूचनाओं का ऐसा आदान-प्रदान अब तक सैकड़ों मामलों में हो चुका है।
लिस्ट में भारत 44वें नंबर पर
स्विस बैंकों में विदेशी ग्राहकों के धन के मामले में ब्रिटेन सबसे ऊपर है, इसके बाद दूसरे स्थान पर अमेरिका है। टॉप 10 में वेस्ट इंडीज, जर्मनी, फ्रांस, सिंगापुर, हांगकांग, लक्जमबर्ग, बहामास, नीदरलैंड, केमैन आइलैंड्स और साइप्रस हैं। भारत को लिस्ट में 44वां मिला है। रूस 15वें स्थान और चीन 24वें स्थान पर हैं। भारत के ऊपर रखे गए अन्य देशों में यूएई, ऑस्ट्रेलिया, जापान, इटली, स्पेन, पनामा, सऊदी अरब, मैक्सिको, इज़राइल, ताइवान, लेबनान, तुर्की, ऑस्ट्रिया, आयरलैंड, ग्रीस, बरमूडा, मार्शल द्वीप, लाइबेरिया, बेल्जियम, माल्टा, कनाडा शामिल हैं।
स्विस बैंक क्या है?
स्विटजरलैंड में करीब 400 से ज्यादा बैंक हैं। ये तमाम बैंक स्विस फेडरल बैंकिंग एक्ट के गोपनीयता कानून के सेक्शन 47 के तहत बैंक अकाउंट खोलने का अधिकार रखते हैं। दरअसल यूबीएस को पूरी दुनिया में स्विस बैंक के नाम से जाना जाता है। ये विश्व के टॉप तीन बैंकों में से एक है। इसका हेडक्वॉर्टर स्विट्जरलैण्ड के जूरिक और बसेल में है। ये बैंक प्राइवेसी का सख्ती से पालन करते थे। इसके मुताबिक अगर किसी ने स्विटजरलैंड में कोई अपराध नहीं किया है तो उसके बारे में बैंक कोई भी जानकारी साझा नहीं करता था। यहां तक कि स्विस सरकार के साथ भी नहीं।
साल 2017 में विश्व समुदाय ने स्विटरजरलैंड पर दबाव बनाया और इस कानून को ढीला कराया। अब बदलाव आने लगा है। जिन देशों के साथ बैंकों अनुबंध है उनके साथ वह सारी जानकारी साझा करते हैं। स्विस बैंक के नंबर वाले खाते को सबसे सुरक्षित माना जाता है। खाता किस व्यक्ति का है, इसका पता बैंक के आम कर्मचारियों को भी नहीं होता। बैंक खाताधारक को एक चार डिजिट का नंबर और आगे अपने मन का नाम अलॉट कर देता है। उनका असली बैंक खाता नंबर और नाम बैंक के पास गोपनीय रहेगा। हालांकि बैंक के आला अधिकारी इस नाम का पता लगा सकते हैं।
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