सेमीकॉन इंडिया कॉन्फ्रेंस-2022: देश में सेमीकंडक्टर प्रोडक्शन से खत्म होगी दूसरे देशों पर निर्भरता, पीएम मोदी ने बताए इस इंडस्ट्री में इन्वेस्टमेंट के 6 कारण
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नई दिल्लीएक घंटा पहले
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बेंगलुरु में तीन दिवसीय सेमीकॉन इंडिया कॉन्फ्रेंस-2022 का इनॉगरेशन किया। कॉन्फ्रेंस की थीम- डिजाइन एंड मैन्युफैक्चर इन इंडिया, फॉर द वर्ल्ड : मेकिंग इंडिया ए ‘सेमीकंडक्टर नेशन’ है। ये कॉन्फ्रेंस भारत को वर्ल्ड वाइड सेमीकंडक्टर हब बनाने के लिए रोडमैप बनाने में मदद करेगी। अभी सेमीकंडक्टर के लिए हम चीन, ताइवान, कोरिया जैसे देशों पर निर्भर हैं। चार महीने पहले केंद्र सरकार ने देश में सेमीकंडक्टर चिप की कमी दूर करने के लिए 76 हजार करोड़ रुपए की महत्वाकांक्षी योजना को भी मंजूरी दी थी।
कॉन्फ्रेंस का इनॉगरेशन करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं भारत के सेमी-कंडक्टर टेक्नोलॉजीज के लिए एक अट्रैक्टिव इन्वेस्टमेंट होने के छह कारण देखता हूं।’
- हम 1.3 अरब से ज्यादा भारतीयों को कनेक्ट करने के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बिल्ड कर रहे हैं। UPI आज दुनिया का सबसे एफिशिएंट पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर है। हम स्वास्थ्य और कल्याण से लेकर गवर्नेंस के सभी सेक्टर्स में जीवन को बदलने के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
- हम भारत के लिए अगले टेक्नोलॉजी रिवॉल्यूशन का नेतृत्व करने का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। हम छह लाख गांवों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने की राह पर हैं। हम 5G, IoT और क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी में क्षमताओं को विकसित करने में इन्वेस्ट कर रहे हैं।
- भारत मजबूत इकोनॉमिक ग्रोथ की ओर बढ़ रहा है। हमारे पास दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला स्टार्टअप इको-सिस्टम है। नए यूनिकॉर्न लगातार आ रहे हैं। भारत में सेमी-कंडक्टर की अपनी खपत 2026 तक 80 अरब डॉलर और 2030 तक 110 अरब डॉलर को पार करने की उम्मीद है।
- हमने भारत में व्यापार करने में आसानी के लिए बड़े सुधार किए हैं। पिछले साल, हमने 25,000 से ज्यादा अनुपालनों को खत्म कर दिया और लाइसेंसों के ऑटो-रिनिवल की दिशा में जोर दिया। डिजिटाइजेशन भी फ्रेमवर्क में स्पीड और ट्रांसपेरेंसी ला रहा है।
- हम 21वीं सदी की जरूरतों के लिए यंग इंडियन्स के स्किल और ट्रेनिंग में भारी निवेश कर रहे हैं। हमारे पास एक असाधारण सेमी-कंडक्टर डिजाइन टैलेंट पूल है जो दुनिया के 20% सेमीकंडक्टर डिजाइन इंजीनियरों को बनाता है।
- हमने इंडियन मैन्युफैक्टरिंग सेक्टर को बदलने की दिशा में कई उपाय किए हैं। वह भी ऐसे समय में जब सारी दुनियां महामारी से लड़ रही थी, भारत न केवल अपने लोगों के स्वास्थ्य में सुधार कर रहा था बल्कि हमारी इकोनॉमी की हेल्थ में भी सुधार कर रहा था।
सेमीकंडक्टर को देश में तैयार करने की जरूरत क्यों?
ये बात किसी से छिपी नहीं है कि सेमीकंडक्टर की कमी से ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। कई कंपनियों को लंबे समय तक प्रोडक्शन बंद करना पड़ा, तो कई कंपनियों के प्लांट तक बंद हो गए। कोविड-19 महामारी से शुरू हुई चिप की कमी देखते ही देखते दुनियाभर की कंपनियों के लिए सिरदर्द बन गई। कार के साथ वो प्रोडक्ट्स जिनमें चिप का इस्तेमाल किया जाता है, उनकी डिलीवरी समय पर नहीं मिल पा रही है। वैक्सीनेशन के बाद महामारी पर कंट्रोल तो आ गया, लेकिन चिप की कमी जस की तस है।
हमारे यहां सेमीकंडक्टर प्रोडक्शन से क्या फायदा होगा?
अभी सेमीकंडक्टर के लिए हम दूसरे देशों पर निर्भर हैं। चीन, ताइवान, कोरिया जैसे देश हमें सेमीकंडक्टर की सप्लाई करते हैं। यानी इनकी तरफ से सेमीकंडक्टर की सप्लाई में होने वाली देरी का असर हमारे यहां की कंपनियों पर पड़ता है। अगर देश में ही सेमीकंडक्टर की मैन्युफैक्चरिंग होगी तो कंपनियों का प्रोडक्शन प्रभावित नहीं होगा और ज्यादा प्रोडक्शन पर हम इसका एक्सपोर्ट भी कर सकते हैं। सरकार का कहना है कि देश में सेमीकंडक्टर का पूरा ईको सिस्टम तैयार होने से 1.35 लाख रोजगार भी पैदा होंगे।
ऑटो एक्सपर्ट अमित खरे (आस्क कारगुरु) कहते हैं कि सेमीकंडक्टर बनाना आसान टास्क नहीं है। इसका प्रोडक्शन पहले दिन से शुरू नहीं होता है। इसके एक बैच पर जब काम शुरू होता है तो वो 6 महीने के बाद तैयार होता है। सेमीकंडक्टर के प्लांट लगाने में कम से कम 2 साल का वक्त लग जाएगा। इसके बाद जब प्रोडक्शन का काम शुरू होगा, तब उसमें 6 महीने या सालभर का समय लग जाएगा। यानी सेमीकंडक्टर के लिए कम से कम 3 साल का इंतजार करना होगा। शुरुआत में छोटे सेमीकंडक्टर का प्रोडक्शन किया जा सकता है, जो छोटे गैजेट्स या इलेक्ट्रॉनिक्स में इस्तेमाल होते हैं।
हमारे चिप की कीमत भी कम होगी। जब प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा, तब दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता धीरे-धीरे कम हो जाएगी। इससे चीन, जापान, ताइवान जैसे देशों में जो कंपनियां सेमीकंडक्टर तैयार कर रही हैं, उनके ऊपर से प्रेशर कम होगा। ऐसे में वे भी ज्यादा बेहतर सेमीकंडक्टर तैयार कर पाएंगे। कुल मिलाकर इसके रिजल्ट के लिए हमें सालों का इंतजार करना होगा।
आखिर ये सेमीकंडक्टर चिप होती क्या है?
सेमीकंडक्टर को आप इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का दिमाग समझिए। कंप्यूटर, लैपटॉप, कार, वॉशिंग मशीन, ATM, अस्पतालों की मशीन से लेकर हाथ में मौजूद स्मार्टफोन तक सेमीकंडक्टर चिप पर ही काम करते हैं। ये चिप एक दिमाग की तरह इन गैजेट्स को ऑपरेट करने में मदद करती है। इनके बिना हर एक इलेक्ट्रॉनिक आइटम अधूरा है। सेमीकंडक्टर चिप्स सिलिकॉन से बने होते हैं और सर्किट में इलेक्ट्रिसिटी कंट्रोल करने के काम आते हैं।
ये चिप इलेक्ट्रॉनिक आइटम को ऑटोमैटिकली ऑपरेट करने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, स्मार्ट वॉशिंग मशीन में कपड़े पूरी तरह धुलने के बाद ऑटोमैटिक मशीन बंद हो जाती है। इसी तरह कार में जब आप सीट बेल्ट लगाना भूल जाते हैं, तो कार आपको अलर्ट देती है। ये सेमीकंडक्टर की मदद से ही होता है।
सेमीकंडक्टर चिप्स की कमी क्यों आई?
दुनियाभर में सेमीकंडक्टर चिप्स की शॉर्टेज कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के बाद ही शुरू हो गई थी। दरअसल, लॉकडाउन की वजह से प्रोडक्ट्स की डिमांड कम थी, इस वजह से चिप्स का प्रोडक्शन भी कम हुआ। जैसे ही लॉकडाउन खुला तो इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स की डिमांड बढ़ने लगी। अचानक बढ़ी मांग से डिमांड और सप्लाई का अंतर बढ़ गया जिसका नतीजा चिप शॉर्टेज के रूप में सामने आया। आशंका है कि पूरे 2022 तक चिप शॉर्टेज बनी रह सकती है।
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