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सिंधु और मेरीकॉम के पास रिकॉर्ड का मौका: सुशील के 2 ओलिंपिक मेडल की बराबरी कर सकती हैं, अब तक 15 में से 5 मेडल महिलाओं ने जीते

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नई दिल्ली9 मिनट पहले

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टोक्यो ओलिंपिक में 11 दिन बचे हैं। भारत की ओर से इस बार 18 खेलों में 124 खिलाड़ी शामिल होंगे। अब तक का इतिहास देखा जाए तो भारतीय एथलीट्स ने इंडिविजुअल में केवल 15 मेडल जीते हैं। इसमें एक गोल्ड, 4 सिल्वर और 10 ब्रॉन्ज शामिल हैं। इनमें 5 मेडल भारतीय महिला एथलीट्स ने जीते हैं।

अब तक सिर्फ रेसलर सुशील कुमार ही 2 ओलिंपिक मेडल जीत पाए हैं। उन्होंने 2008 बीजिंग ओलिंपिक में ब्रॉन्ज और 2012 लंदन ओलिंपिक में सिल्वर मेडल जीता है।

इस बार बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु और बॉक्सर मेरीकॉम के पास टोक्यो ओलिंपिक में सुशील के रिकॉर्ड की बराबरी का मौका है। मेरीकॉम ने 2012 और सिंधु ने 2016 ओलिंपिक में मेडल जीता था।

6 बार की वर्ल्ड चैंपियन मेरीकॉम (51 किग्रा) तीसरी बार ओलिंपिक खेलेंगी। उन्होंने इस साल मई में कजाकिस्तान एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर दिखा दिया है कि वे टोक्यो गेम्स में मेडल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाली हैं। उनका एशियन चैंपियनशिप में यह 7वां गोल्ड मेडल था। वे एशियन गेम्स में 2 गोल्ड जीत चुकी हैं। उन्होंने 2014 इंचियोन और 2010 एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। वे 2018 गोल्डकोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीत चुकीं।

महिला बॉक्सिंग की 3 कैटेगरी को पहली बार 2012 लंदन ओलिंपिक में शामिल किया गया था। मेरीकॉम ने पहले ओलिंपिक में देश के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता था। हालांकि रियो ओलिंपिक में वे मेडल से चूक गई थीं, लेकिन इस बार उनके पास टोक्यो में मेडल जीतकर सुशील के रिकॉर्ड की बराबरी करने का मौका है। मेरीकॉम कह चुकी हैं कि वे बॉक्सिंग के हर टूर्नामेंट में मेडल जीत चुकी हैं, लेकिन ओलिंपिक में अब तक के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हैं। यही कारण है कि उन्होंने अब तक बॉक्सिंग से रिटायरमेंट नहीं लिया। वे इस कसर को पूरा करते हुए ओलिंपिक में मेडल के रंग को बदलना चाहती हैं।

  • पीवी सिंधु:

बैडमिंटन के विमेंस सिंगल्स में भी पीवी सिंधु से मेडल की पूरी उम्मीद है। वे वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी भी हैं। सिंधु टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाली इकलौती भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। उन्होंने 2016 रियो ओलिंपिक में सिल्वर मेडल जीता था। इस बार उन्हें आसान ग्रुप मिला है। साथ ही रियो के फाइनल में सिंधु को हराने वाली स्पेन की कैरोलिना मारिन भी इस बार चोट की वजह से बाहर हैं।

ऐसे में सिंधु को मेडल का प्रबल दावेदार माना जा रहा है, उम्मीद है कि वे रियो के मेडल का रंग बदल सकेंगी। वहीं उनके पास सुशील कुमार के रिकॉर्ड की बराबरी करने का अच्छा मौका है। सिंधु ने वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में एक गोल्ड समेत 5 मेडल जीते हैं। 2013 और 2014 में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीते। 2017 और 2018 में सिल्वर और 2019 में गोल्ड मेडल अपने नाम किया।

एशियन और कॉमनवेल्थ गेम्स में भी जीत चुकी हैं मेडल
सिंधु 2014 इंचियोन एशियन गेम्स में विमेंस टीम इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रही हैं। वहीं, जर्काता एशियन गेम्स में महिलाओं के सिंगल्स में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता। वे कॉमनवेल्थ गेम्स में भी एक गोल्ड समेत 3 मेडल जीत चुकी हैं।

1900 में ब्रिटिश मूल के पिचार्ड ने भारत की ओर से 2 मेडल जीते थे
1900 के पेरिस ओलिंपिक में ब्रिटिश शासन वाले भारत की ओर से पहली बार नार्मन पिचार्ड गेम्स में शामिल हुए थे। उन्होंने 200 मीटर रेस और 200 मी. हर्डल्स रेस (बाधा दौड़) में 2 सिल्वर मेडल जीते थे। कई इतिहासकार इन मेडल को भारत के खाते में नहीं गिनते, क्योंकि पिचार्ड ब्रिटिश मूल के थे। ऐसे में हमने भी इन मेडल को अलग रखा है। जबकि अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति इसे भारत के खाते में गिनती है।

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