साइना को हारने वाली मालविका की कहानी: 8 साल की उम्र में शुरू किया बैडमिंटन खेलना, बड़ा खिलाड़ी बनाने डेंटिस्ट मां ने स्पोर्ट्स साइंस में कर डाली पढ़ाई
- Hindi News
- Sports
- Who In Malvika Bansod; 20 year old Shuttler Defeated Saina Nehwal During India Open 2022 In New Delhi.
मुंबई2 मिनट पहलेलेखक: आशीष राय
- कॉपी लिंक
अपने पिता डॉ प्रबोध बंसोड़(बाएं
सिर्फ 8 साल की उम्र में बैडमिंटन कोर्ट में उतरने वाली नागपुर की मालविका बंसोड़ ने गुरुवार को इतिहास रच दिया है। उन्होंने इंडियन ओपन में 2012 ओलंपिक कंस्य पदक विजेता और पूर्व नंबर एक की खिलाड़ी साइना नेहवाल को मात्र 34 मिनट में हरा कर टूर्नामेंट से बाहर कर दिया। मालविका ने सायना को महिला एकल के दूसरे दौर में 21-17, 21-9 से हराकर करियर की सबसे बड़ी जीत दर्ज की है।
नागपुर के शिवाजी साइंस कॉलेज से पढ़ाई कर चुकी मालविका के माता-पिता डेंटिस्ट हैं। उनकी मां ने स्पोर्ट्स साइंस में मास्टर की डिग्री सिर्फ इसलिए हासिल की ताकि वे अपनी बेटी के खेल करियर को सही दिशा दे सकें। बचपन से ही मालविका पढ़ाई और स्पोर्ट्स दोनों में ही अव्वल थीं। 10वीं और 12वीं में 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक हासिल करने वाली मालविका फिलहाल चेन्नई के SRM यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग कर रही है।
बेटी के लिए मां ने छोड़ा नागपुर
उनके पिता डॉ प्रबोध बंसोड़ नागपुर में एक डेंटल क्लिनिक चलाते हैं और उनके इस काम में उनकी उनकी पत्नी डॉ तृप्ति बंसोड़ उनकी हेल्प करती हैं। डॉ बंसोड़ ने दैनिक भास्कर से एक्सक्लूसिव बात करते हुए बताया कि मालविका की सफलता में उनकी मां का अहम योगदान रहा है। मालविका पिछले तीन साल से रायपुर में कोच संजय मिश्रा के साथ ट्रेनिंग कर रहीं हैं। मालविका को किसी तरह की दिक्कत न हो और उनकी ट्रेनिंग में कोई बाधा न आये इसलिए नागपुर छोड़ डॉ तृप्ति उनके साथ रह रहीं हैं। बेटी की आज की सफलता पर पिता ने कहा कि यह एक स्टेप है और आने वाले समय में अभी मालविका को कई और मुकाम हासिल करने हैं। मालविका फिलहाल रायपुर में ट्रेनिंग कर रहीं हैं।
पूरे परिवार ने यह पूरा प्यास किया कि कभी भी मालविका को खेल के दौरान किसी भी चीज की कमी न हो।
बेटी के नागपुर आने पर होगा बड़ा सेलिब्रेशन
डॉ प्रबोध ने आगे बताया कि बेटी की इस सफलता पर वे और उनका पूरा परिवार बहुत खुश हैं। अभी कुछ और टूर्नामेंट हैं, जिसमें मालविका को भाग लेना है। उनके खत्म हो जाने के बाद जब मालविका नागपुर आएंगी तो पूरे परिवार ने यहां बड़े सिलेब्रेशन की तैयारी की है।
डॉ बंसोड़ के मुताबिक, मालविका की सफलता में उनकी मां का बड़ा योगदान है।
परिवार ने हर स्टेप पर मालविका को संभाला
डॉ प्रबोध ने बताया कि मालविका ने जब खेलना शुरू किया, तब न तो नागपुर में सिंथेटिक बैडमिंटन कोर्ट थे और न ही ट्रेनिंग की अच्छी व्यवस्था, लेकिन हमने उसे हर वह सुविधा मुहैया करवाई जो एक अच्छे खिलाड़ी को चाहिए होती है। स्पोर्ट्स में मेंटल सपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण होता है, इसलिए हमने मालविका को हर स्टेप पर मदद की है। डॉ बंसोड़ ने बताया कि हमने मालविका को कभी भी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी, यही कारण रहा कि वे अपने स्पोर्ट्स पर पूरी तरह से फोकस हो सकीं। डॉ बंसोड़ के मुताबिक, मालविका की सफलता में उनकी मां का बड़ा योगदान है।
मालविका को कई अवार्ड्स से भी नवाजा गया है।
नागपुर की एक फर्म ने की आर्थिक मदद
जब मालविका ने सब जूनियर और जूनियर लेवल के टूर्नामेंटों में हिस्सा लेना शुरू किया तब जाकर परिवार को अंदाजा हुआ कि टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्राओं का खर्च बहुत ज्यादा होने वाला है और स्पॉन्सरशिप तलाश पाना बेहद मुश्किल है। जूनियर लेवल पर स्पोर्ट्स में अच्छा नाम कमाने के बाद नागपुर की विश्वराज इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने मालविका से पांच साल का कॉन्ट्रैक्ट किया है। यह कंपनी मालविका को हर साल 4 लाख रुपए देती है, साथ ही कोचिंग, न्यूट्रीशन और फिटनेस में आने वाला खर्च भी उठाती है।
खेल और पढ़ाई में बिठाया तालमेल
खेल के साथ पढ़ाई से तालमेल बिठाने के अपने अनुभव के आधार पर मालविका ने कहा कि खेल और पढ़ाई को आपस में जोड़ने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अकादमिक व्यवस्था को महिला खिलाड़ियों की जरूरत के हिसाब से रिस्पांसिव बनाने की जरूरत है, क्योंकि महिला खिलाड़ी भी देश के लिए मेडल जीतने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई का नुकसान नहीं चाहती हैं। ऐसा होने से महिलाओं के सामने खेल और पढ़ाई में किसी एक को चुनने की जरूरत नहीं रहेगी। पूरे परिवार ने यह पूरा प्यास किया कि कभी भी मालविका को खेल के दौरान किसी भी चीज की कमी न हो।
मालविका फिलहाल रायपुर में ट्रेनिंग कर रहीं हैं।
जूनियर लेवल में भी मालविका ने किया कमाल
सीनियर लेवल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कामयाबी हासिल करने से पहले मालविका जूनियर और युवा वर्ग में भी कामयाबी हासिल कर चुकी थीं। मालविका ने राज्य स्तर पर पहले अंडर-13 वर्ग का खिताब जीता फिर अंडर-17 में भी चैंपियन बनीं। भारतीय स्कूल गेम्स फेडरेशन की प्रतियोगिताओं में मालविका ने तीन गोल्ड मेडल जीते। वहीं राष्ट्रीय स्तर की जूनियर और सीनियर वर्ग के टूर्नामेंट में मालविका नौ गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं।
मालदीव में खेले गए इंटरनेशनल फ्यूचर सिरीजा बैडमिंटन टूर्नामेंट का खिताब जीतकर उन्होंने 2019 में सीनियर इंटरनेशनल लेवल पर शानदार डेब्यू किया। बाएं हाथ की मालविका ने एक सप्ताह के अंदर ही नेपाल में अन्नपूर्णा पोस्ट इंटरनेशनल सिरीज का खिताब जीतकर ये साबित कर दिया कि मालदीव की कामयाबी कोई तुक्के में नहीं मिली थी। वह एशियन स्कूल बैडमिंटन चैंपयनशिप और साउथ एशियन अंडर-21 रीजनल बैडमिंटन चैंपियनशिप में भी गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं।
मालविका ने कई अवार्ड अपने नाम किए
मालविका ने अपने शानदार प्रदर्शन से भारत सरकार और विभिन खेल संगठनों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। अब तक उन्हें कई खेल सम्मान भी मिल चुके हैं। इनमें नाग भूषण सम्मान, खेलो इंडिया प्रतिभा पहचान विकास योजना के अलावा टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम का सम्मान मिल चुका है।
‘ताई त्ज़ु यिंग’ हैं मालविका की फेवरेट प्लेयर
वर्तमान विश्व नंबर 1 चाइनीज ताइपे की ‘ताई त्ज़ु यिंग’ मालविका की फेवरेट प्लेयर हैं। इसके अलवा उन्हें चीनी सुपरस्टार लिन डैन भी पसंद हैं। अन्य खेलों में रोजर फेडरर मालविका के हीरो हैं।
मालविका को किताब पढ़ने का बहुत शौक
स्पोर्ट्स के अलवा मालविका को पढ़ने का बहुत शौक है। वे घंटों अखबार, पत्रिकाएं, उपन्यास आदि पढ़ती हैं।
For all the latest Sports News Click Here
For the latest news and updates, follow us on Google News.