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सचिन तेंदुलकर के एकलव्य हैं मनदीप: ‘सेंचुरी सिंह’ ने तेंदुलकर के मैच देख-देख कर ही पिता की इच्छा के विपरीत हासिल किया मुकाम

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जालंधर5 मिनट पहलेलेखक: सुनील राणा

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मनदीप सिंह

किक्रेट जगत में सेंचुरी सिंह के नाम से प्रसिद्ध मनदीप सिंह सही मायनों में क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के एकलव्य हैं। उन्होंने कभी सचिन तेंदुलकर से फेस टू फेस होकर क्रिकेट के गुर तो नहीं लिए लेकिन टीवी पर तेंदुलकर की पारियां देखकर क्रिकेट खेलनी सीखी।

हालांकि मनदीप के पिता हरदेव सिंह जो कि खुद एक ऐथ्लैटिक्स कोच हैं नहीं चाहते थे कि मनदीप क्रिकेटर बने। लेकिन मनदीप के सिर पर तो क्रिकेट की धुन सवार थी। उन्होंने पिता की इच्छा के विरुद्ध जाकर सचिन की पारियां देखकर फिर वैसे ही जालंधर के बर्ल्टन पार्क में जाकर प्रैक्टिस कर क्रिकेट की दुनिया में अपना मुकाम हासिल किया।

हालांकि संभावनाओं के खेल क्रिकेट में मनदीप सिंह का क्रिकेटर करियर उतार चढ़ाव वाला रहा है। लेकिन उन्हें टॉप आर्डर में हार्ड हिटिंग से रन बटोरने के कारण क्रिकेट की दुनिया में सेंचुरी सिंह के नाम से भी जाना जाता है। मनदीप सिंह सिर्फ हार्ड हिटिंग ही नहीं करता है बल्कि वह मीडियम उम्दा पेस बॉलर होने के साथ-साथ अच्छा विकेट कीपर भी है। सेंचुरी सिंह मनदीप क्रिकेट खेल के हर फन में माहिर है। वह 2010 अंडर-19 भारतीय टीम के उपकप्तान रहे। 2015-16 में क्रिकेट सीजन के दौरान मनदीप सिंह ने डबल सेंचुंरी के साथ करीब दस शतकीय पारियां खेली थीं।

2012 में जब इंडियन प्रीमियर लीग में मनदीप किंग्स इलेवन की तरफ से खेल रहा था तो उसे राइजिंग स्टार के अवार्ड से नवाजा गया था। मनदीप के उम्दा खेल को देखते हुए ही 2015 आईपीएल में रॉयल चैलेंज बेंगलुरु ने अपनी टीम में ले लिया था। इस आईपीएल चैंपियनशिप के दौरान कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ रॉयल चैलेंज बेंगलुरु की तरफ से खेलते हुए मनदीप सिंह ने अठारह गेंदों पर छह छक्कों की मदद से पैंतालीस रन ठोक कर 112 रन का टार्गेट दो गेंदों के अंतर से पूरा कर मैच जितवाया था।

मनदीप आईपीएल के इस सीजन में दिल्ली कैपिटल की तरफ से खेल रहे हैं। आईपीएल के इस सीजन में दिल्ली कैपिटल ने मनपीद सिंह उर्फ सेंचुरी सिंह की बोली लगाई थी। इस बार दिल्ली कैपिटल की तरफ से खेलते हुए मनदीप अपनी आलराउंडर वाली भूमिका निभा सकते हैं। टॉप बैटिंग आर्डर के साथ-साथ गेंदबाजी में भी अपना फन दिखा सकते हैं।

पिता ने फीस नहीं दी तो अंकल ने करवाई माफ

जालंधर क्रिकेट अकादमी में खेलने के लिए जब मनदीप ने अपने पिता से बात की तो उन्होंने फीस देने से मना कर दिया। लेकिन मनदीप के अंकल महिंदर सिंह ढिल्लों चाहते थे कि वह क्रिकेट के क्षेत्र में अच्छा काम करे। ढिल्लों अंकल ने जेडीसीए के तत्कालीन सचिव जो सुरजीत राय बिट्टा जो कि अब मौजूदा अध्यक्ष हैं से बात की और ट्रायल लेने के बाद मनदीप की फीस माफ कर दी। हालांकि क्रिकेट के खेल में मनदीप अच्छा परफार्म करे इसके लिए उनके भाई हरविंदर ने उनकी खूब मदद दी। मनदीप को मुकाम पर पहुंचाने में उनके भाई हरविंदर, कोच गल्लू और स्वर्गीय कोच राकेश का विशेष योगदान रहा हैष इन सभी ने मनदीप का टैलेंट निखारने में उसकी बहुत मदद की।

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