विदेशी निवेशक शुरू कर सकते हैं खरीदारी: बीते तीन हफ्तों में आधी की बिकवाली, इसके घटने से निफ्टी 5% तक चढ़ा
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मुंबई10 घंटे पहले
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कमजोर सेंटिमेंट के बीच भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों का रुख पलटने के संकेत हैं। बीते तीन हफ्तों में उन्होंने बिकवाली आधी से भी कम कर दी है। विश्लेषकों के मुताबिक यह ट्रेंड बदलने की शुरुआत है। अगले कुछ हफ्तों में विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में खरीदारी शुरू कर सकते हैं।
महंगाई, ब्याज दरों में बढ़ोतरी, अमेरिका में मंदी की आशंका गहराना और चीन में एक बार फिर कोविड के कहर जैसी तमाम नकारात्मक रिपोर्ट्स के बीच विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में कुछ हफ्ते पहले तक भारी बिकवाली कर रहे थे। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) 16 जून तक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के इंडेक्स फ्यूचर सेगमेंट में 1.46 लाख कॉन्ट्रैक्ट्स में शॉर्ट पोजीशन लिए हुए थे। यह बिकवाली की तैयारी होती है।
8 जुलाई तक उनकी यह पोजीशन घटकर 62,000 पर आ गई और उसके बाद इसमें मोटे तौर पर स्थिरता देखी गई। इसका असर भी हुआ। इस बीच निफ्टी में करीब 5% उछाल आया और अब उतार-चढ़ाव में कमी देखी जा रही है। विश्लेषकों के मुताबिक, कुछ महीनों से बाजार में बड़े पैमाने पर बिकवाली हो चुकी है।
ऐसे में भारतीय बाजार में सिर्फ इसलिए और बिकवाली का कोई मतलब नहीं है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर माहौल नकारात्मक बना हुआ है। कुछ विश्लेषकों का यह भी मानना है कि डॉलर के मुकाबले रुपए की विनिमय दर में गिरावट यदि और बढ़ती है तो विदेशी निवेशकों की खरीदारी उम्मीद से पहले भी शुरू हो सकती है।
इस महीने फ्यूचर में एफपीआई की शुद्ध खरीदारी
जुलाई में अब तक एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार के फ्यूचर सेगमेंट में 169 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीदारी की है। इससे पहले 5-8 जुलाई के बीच इंडेक्स फ्यूचर में 4,666 करोड़ रुपए की और स्टॉक फ्यूचर में 1,044 रुपए की खरीदारी की। हालांकि कैश सेगमेंट में इस माह अब तक उन्होंने 6 हजार करोड़ रुपए से कुछ ज्यादा की बिकवाली की है।
डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होना एफपीआई के लिए फायदेमंद
एलकेपी सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड एस. रंगनाथन ने भारतीय बाजार में एफपीआई के रुख में बदलाव के तीन कारण गिनाए:
1. एक्सचेंज रेट: डॉलर के मुकाबले रुपया जब 72 पर था, तब एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली शुरू की थी। अभी यह 80 के करीब है और उन्होंने बिकवाली कम कर दी है। इसके 82 के आसपास आने पर वे खरीदारी शुरू कर सकते हैं।
2. इकोनॉमिक ग्रोथ: बीते वित्त वर्ष भारत की आर्थिक विकास दर 8.7% रही। तमाम चुनौतियों के बीच इसके अब भी 5% के आसपास रहने का अनुमान है। दूसरी तरफ अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित देशों में मंदी की आशंका जताई जा रही है। विदेशी निवेशक इसकी अनदेखी नहीं कर सकते।
3. क्रूड में गिरावट: कच्चे तेल के दाम अभी 100 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आ गए हैं। इसमें गिरावट जारी रहने के आसार हैं। करीब 80% क्रूड आयात करने वाले भारत जैसे देश के लिए यह काफी सकारात्मक संकेत है।
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