वर्चुअल रियलिटी का पहला टच: एक मिनट के VIDEO से समझें मेटा से आप वर्चुअल वर्ल्ड में हाथ मिलाने के अलावा और क्या कर पाएंगे
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नई दिल्ली13 घंटे पहले
फेसबुक का नया नाम मेटा है। मेटा यानी मेटावर्स। मेटावर्स का मतलब होता है वर्चुअल रियलिटी। आसान शब्दों में कहा जाए तो एक आभासी दुनिया। एक ऐसा पैरेलल वर्ल्ड जहां आपकी अलग पहचान होगी। उस पैरेलल वर्ल्ड में आप घूमने, सामान खरीदने से लेकर, इस दुनिया में ही अपने दोस्तों-रिश्तेदारों से मिल सकेंगे। वर्चुअल रियलिटी का मजा आप कैसे ले पाएंगे? इस बात को समझाने के लिए कंपनी ने एक वीडियो शेयर किया है। इसे देखने के बाद आप मेटा का कॉन्सेप्ट समझ जाएंगे।
1:13 मिनट के वीडियो में दिखा अनोखा वर्ल्ड
मेटा ने जो वीडियो शेयर किया है, उसमें वर्चुअल वर्ल्ड की झलक दिख रही है। इस वीडियो की लंबाई 1 मिनट 13 सेकेंड की है और इसे देखने के बाद आप मेटा का कॉन्सेप्ट समझ सकते हैं। वीडियो में दो अलग-अलग लोगों ने हैप्टिक हैंड ग्लव्स का इस्तेमाल किया गया है, जो किसी गैजेट की तरह है। साथ ही, उन्होंने वर्चुअल रियलिटी (VR) हेडसेट पहना हुआ है। उनके सामने की टेबल खाली है, लेकिन वर्चुअल रियलिटी की वजह से उन्हें टेबल पर अलग-अलग चीजें दिखाई देती हैं। उन्हें वे इस हैंड ग्लव्स से उठा सकते हैं।
वीडियो में दिख रहे दोनों प्लेयर एक-दूसरे से दूर होने के बाद भी एक-दूसरे हाथ मिला पा रहे थे। उन्होंने एक साथ एक गेम भी खेला। जिसमें कुछ वुडन स्टिक को निकालकर ऊपर की तरफ रखना था। खास बात ये थी कि इन्होंने चीजों को महसूस किया। ये सब कुछ 3D अवतार में था। बता दें कि ये वीडियो मेटावर्स की रियलिटी लैब्स रिसर्च का है।
वर्चुअल वर्ल्ड और टेक्नोलॉजी से जुड़ी जरूरी बातें
- वर्चुअल वर्ल्ड में चीजों को छूने और महसूस करने के लिए हैप्टिक ग्लव्स तैयार किए जा रहे हैं। ये मैकेनिकल ग्लव्स होंगे। इनकी मदद से किसी वस्तु का वजन भी किया जा सकेगा।
- मौजूदा मैकेनिकल ग्लव्स दिनभर पहनने से बहुत गर्मी पैदा होती है। इसके लिए कंपनी नए सॉफ्ट एक्चुएटर्स तैयार कर रही है। ये आम ग्लव्स से छोटे, हल्के और सॉफ्ट होंगे।
- मेटा दुनिया का पहला हाई-स्पीड माइक्रोफ्लुइडिक प्रोसेसर डेवलप कर रहे हैं। यह आकार में छोटी चिप होगी, जो हवा के प्रवाह को नियंत्रित कर पाएगी। इसकी मदद से ग्लव्स पर कई सारे एक्चुएटर्स फिट कर पाएंगे।
- वर्चुअल रियलिटी के दौरान जब आप ग्लव्स को पहनकर अपना हाथ चलाएंगे, तो आपके हाथ की सही दिशा का पता लगाने के लिए उन्नत हैंड ट्रैकिंग टेक्नॉलॉजी को भी तैयार किया जा रहा है। इससे वस्तु की पहचान होगी।
फेसबुक ने मेटावर्स नाम क्यों चुना?
वर्चुअल रियलिटी के नेक्स्ट लेवल को मेटावर्स कहा जाता है। भविष्य में इस टेक्नोलॉजी के एडवांस वर्जन से चीजों को छूने और स्मेल करने का अहसास कर पाएंगे। मेटावर्स शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल साइंस फिक्शन लेखक नील स्टीफेन्सन ने 1992 में अपने नोबेल ‘स्नो क्रैश’ में किया था। मेटावर्स अब 93 कंपनियों की पेरेंट कंपनी बन चुकी है।
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