लड़के जैसे बाल रखने से क्रिकेट नहीं खेल पाई थी: आज विमेंस अंडर-19 में ऑलराउंडर; बचपन में इनाम में मिले 10 रु. भी संभालकर रखे
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ईश्वरसिंह परमार9 मिनट पहले
दक्षिण अफ्रीका में चल रहे ICC विमेंस अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप में टीम इंडिया रविवार को इंग्लैंड के साथ फाइनल में भिड़ेंगी। टीम इंडिया की जीत के लिए देशभर में प्रार्थना-दुआएं की जा रही हैं। मध्यप्रदेश के भोपाल में भी मैच को लेकर उत्साह है, क्योंकि मैच में भोपाल की सौम्या तिवारी भी टीम इंडिया का हिस्सा होंगी।
सौम्या अभी टीम इंडिया की ऑलराउंडर हैं। उनका क्रिकेट खेलने और नेशनल टीम में सिलेक्शन का किस्सा भी खास है। सौम्या कभी बॉयकट हेयर स्टाइल रखने की वजह से क्रिकेट नहीं खेल पाई थीं, लेकिन उनके जिद-जज्बे की बदौलत वह आगे बढ़ीं और ऑलराउंडर प्रदर्शन के चलते टीम इंडिया में सिलेक्ट हो गई। जानते हैं सौम्या के जिद-जज्बे की कहानी…।
कपड़े धोने की मोगरी से खेलना सीखा
सौम्या भोपाल के रचना नगर के रहने वाले सरकारी कर्मचारी मनीष तिवारी की छोटी बेटी हैं। 10 साल की उम्र में सौम्या को क्रिकेट खेलने का शौक चढ़ा। फिर क्या था, घर में रखी कपड़े धोने की मोगरी और प्लास्टिक के बैट से क्रिकेट खेलना शुरू किया। बेटी के क्रिकेट के प्रति लगन को देखकर पिता मनीष और मां भारती तिवारी ने अरेरा क्रिकेट अकादमी में भर्ती करा दिया। बड़ी बहन साक्षी ने भी उसका साथ दिया। सौम्या को क्रिकेट ग्राउंड-घर लाने-ले जाने के साथ मोटिवेट करने का काम वही करती थीं। कभी-कभार बैट्समैन का रोल भी अदा किया।
सौम्या तिवारी के रूम में एमपीसीए और बीसीसीआई की कैप्स, बैट और बॉल भी रखे हैं।
दो दिन तक खूब रोई, जिद के आगे परिवार ने हार मानी
पिता मनीष तिवारी बताते हैं- सौम्या की उम्र तब 7-8 साल थी। वह मोहल्ले में बच्चों को क्रिकेट खेलते देखती थी। यहीं से उसे भी क्रिकेट खेलने का शौक लग गया। पहले कपड़े धोने की मोगरी से बैटिंग करती। फिर प्लास्टिक के बैट से खेलने लगी। मोहल्ले के बच्चे उसे अपने साथ कम ही खेलने देते थे। इसलिए जिद पकड़ ली कि मुझे क्रिकेट ही खेलना है। इस पर बड़ी बहन साक्षी उसे अरेरा क्रिकेट अकादमी में लेकर गईं और एडमिशन करा लिया। वह अपना हेयर स्टाइल बॉयकट रखती थी। जब सर (कोच) को पता चला, तो उन्होंने खेलने से मना कर दिया। दो दिन वह घर आकर खूब रोई। बेटी के क्रिकेट के प्रति इस हौंसले को देखते हुए हम फिर से उसे अकादमी लेकर पहुंचे। नन्ही सौम्या की जिद को देखते हुए कोच भी राजी हो गए। तब से अब तक सौम्या ने कभी मुड़कर नहीं देखा। 11 साल की उम्र में लेदर बॉल से खेलना शुरू कर दिया था।
सौम्या ने स्कूल, डिस्ट्रिक, डिवीजन से लेकर स्टेट लेवल पर हरफनमौला प्रदर्शन किया। 2017 में उसका मध्यप्रदेश-19 टीम में सिलेक्शन हो गया था। सौम्या का टारगेट वर्ल्ड कप खेलना था। इसके लिए वह तीन साल से मेहनत कर रही थी। इसके चलते वह डेढ़ साल परिवार से दूर रही। आखिरकार वह सिलेक्ट हो गई।
पिता मनीष तिवारी, मां भारती और बड़ी बहन साक्षी के साथ सौम्या (बीच में)।
पहली बार दूर हुई तो खूब रोई
बात साल 2017 की है। सौम्या का सबसे पहले सीनियर डिवीजन की टीम में सिलेक्शन हुआ था। तब उसे टीम के साथ अकेले ग्वालियर जाना था। पिता, मां और बहन सुबह साढ़े 7 बजे उसे भोपाल स्टेशन पर छोड़ने गए। पिता मनीष ने बताया कि पहली बार वह परिवार से दूर हो रही थी, इसलिए मां से लिपटकर खूब रोई। जैसे-तैसे उसे ग्वालियर के लिए रवाना किया। कोच चित्रा वाजपेयी ने भरोसा दिलाया कि सौम्या का बेटी की तरह ख्याल रखेंगे। इसके बाद कुछ अच्छा लगा। हालांकि, तीन दिन तक सौम्या की कोई खबर नहीं मिली, तो मन हुआ कि हम सब ग्वालियर चले जाएं। बाद में बात होने पर कुछ अच्छा लगा। तब सौम्या की उम्र 11 साल थी। अभी वह 17 साल की है।
जब तक घर नहीं आ जाती, तब तक डर रहता था
सौम्या को घर से अकादमी लाने ले जाने के दौरान परिवार को चुनौतियां भी उठानी पड़ी। पिता ने बताया कि कई बार मजबूरी होती थी कि सौम्या को अकादमी छोड़ नहीं पाते, लेकिन वह कभी प्रैक्टिस से छुट्टी नहीं करती थी। इसलिए परिचित उसे लेकर जाते थे। जब तक वह घर नहीं आ जाती, तब तक डर बना रहता था।
सौम्या भोपाल की क्रिकेट अकादमी में नेट प्रैक्टिस करती हैं। वह कभी प्रैक्टिस नहीं छोड़तीं।
कई बार मीठा खाने से परहेज, डाइट में ज्यूस और फ्रूट
मां भारती बताती हैं कि सौम्या को मीठा खाने से परहेज होता है। खासकर टूर्नामेंट या प्रैक्टिस के दौरान, इसलिए उसे ज्यादा से ज्यादा फ्रूट और ज्यूस देते थे। पनीर और भिंडी की सब्जी भी उसे पसंद है। डाइट में यह भी शामिल हैं।
10 पारियों में कम रन बनाए, तब हताश हो गई थीं
पिता मनीष तिवारी ने बताया कि कोरोना काल के बाद जब वह टूर्नामेंट खेलने मैदान में उतरी तो लगातार दस पारियों में उसने कम रन बनाए। इससे वह हताश हो गई। तब परिजन और कोच ने उसे मोटिवेट किया। आखिरकार उसकी परफॉर्मेंस सुधरने लगी और फिर हर टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन किया।
कोरोना के दौरान सौम्या प्रैक्टिस के लिए ग्राउंड पर नहीं जा पाती थी। इसलिए पिता मनीष तिवारी ने घर की छत पर ही नेट बिछा दी और खुद प्रैक्टिस कराई। बहन साक्षी ने भी इसमें खूब साथ दिया। वहीं, मां भारती सौम्या की डाइट का ख्याल रखती थीं।
जब नेशनल टीम में सिलेक्ट हुई तो खुशी से उछल पड़ी
नेशनल टीम में सौम्या का पिछले साल नवंबर में सिलेक्शन हुआ। जैसे ही, सिलेक्शन की खबर सब खुशी से उछल पड़े। मानो सारी मुरादें पूरी हो गई हों। लगातार छह महीने प्रैक्टिस और टूर्नामेंट खेलने के बाद उसका सिलेक्शन हुआ। एनसीए ने मई-जून में कैम्प भी लगाया था। इसमें कुल 126 बच्चों को शामिल किया गया। इनमें से 90 बच्चे सिलेक्ट हुए। आखिर में 15 बच्चों का फाइनल सिलेक्शन हुआ। जिनमें सौम्या भी शामिल रही। सौम्या ने बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में ही अच्छा प्रदर्शन किया।
नेशनल टीम में सौम्या का पिछले साल नवंबर में सिलेक्शन हुआ। जैसे ही, सिलेक्शन की खबर सब खुशी से उछल पड़े।
घर आएगी तो पनीर, भिंडी की सब्जी बनाऊंगी
बेटी के वर्ल्ड कप में खेलने से मां भारती तिवारी भी खुश हैं। उन्होंने बताया- सौम्या से रोज चार-पांच बार बात होती हैं। मैंने कह दिया है कि फाइनल मैच में अच्छा प्रदर्शन करना और जीतकर आना। हम भी भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि सौम्या और अन्य खिलाड़ियों की मेहनत से टीम इंडिया वर्ल्ड कप का फाइनल मैच जीते। वह जब घर आएगी, तो उसके मनपसंद का खाना बनाऊंगी। उसे पनीर, भिंडी की सब्जी बहुत पसंद है।
ठंड-बारिश में भी खेलना नहीं भूलती, हर बात बताती हैं
बड़ी बहन साक्षी ने बताया- सौम्या का क्रिकेट के प्रति बचपन से ही पैशन देखने को मिला। ठंड हो या बारिश, वह कभी भी खेलना नहीं भूलती थी। हर रोज 10 घंटे तक प्रैक्टिस करती हैं। वर्ल्ड कप के दौरान उससे हर रोज बात होती है। वह हर बात बताती हैं। फाइनल मैच को जमकर सेलिब्रेट करेंगे। सौम्या से कह दिया है कि वह टीम इंडिया की जीत पर फोकस करें और ट्रॉफी लेकर ही लौटे।
सौम्या के बारे में बतातीं मां भारती तिवारी और बहन साक्षी तिवारी। साक्षी प्राइवेट बैंक में क्रेडिट एसोसिएट हैं, जबकि मां भारती गृहिणी हैं।
फाइनल को लेकर घर में ही तैयारी
फाइनल मैच की बात सुनकर पिता मनीष खुश हो जाते हैं। पूछने पर कहने लगे कि बहुत खुशी हो रही है, बेटी टीम इंडिया में बतौर वाइस कैप्टन फाइनल मैच खेलेगी। घर पर ही बड़ी टीवी स्क्रीन पर मैच देखेंगे। परिवार और जानने वाले मौजूद रहेंगे।
सौम्या की कैप्स, बैट और बॉल के बारे में बताते पिता मनीष तिवारी। वे निर्वाचन विभाग में सुपरवाइजर हैं।
उम्र से बड़ी लड़कियों के साथ प्रैक्टिस की
सौम्या ने अकादमी में कोच सुरेश चेनानी के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण प्राप्त किया। वह अपनी उम्र से बड़ी लड़कियों और लड़कों के साथ प्रैक्टिस करती थीं। वह बल्लेबाजी- गेंदबाजी दोनों ही करती हैं। इसके दम पर उसे अब तक हरफनमौला प्रदर्शन किया है। प्रैक्टिस के दौरान पिता और बहन ने बाहर तो मां ने घर में मोर्चा संभाले रखा।
क्रिकेटर सौम्या तिवारी ने घर की दीवारों पर इस तरह तस्वीरें सजा रखी हैं।
विराट कोहली जैसी एग्रेसिव, रूम में उनकी तस्वीरें भी
सौम्या टीम इंडिया के पूर्व कप्तान विराट कोहली की बहुत बड़ी फैन है। इसका अंदाजा उसके रूम में लगी विराट की तस्वीरें देखकर लगा सकते हैं। पिता मनीष बताते हैं कि सौम्या टीम इंडिया के ज्यादातर खिलाड़ियों से मिल चुकी हैं। साथ में फोटो भी खिंचाई, पर विराट कोहली से अब तक नहीं मिली हैं। विराट के साथ सेल्फी लेने का उसका सपना है। वह ग्राउंड पर विराट जैसे ही एग्रेसिव रहती है।
पहली बार इनाम में मिले 10 रुपए संभालकर रखे
सौम्या के रूम में कैप, बैट-बॉल और तस्वीरों के अलावा फोटो फ्रेम में 10 रुपए और चॉकलेट के रैपर भी दिखाई देते हैं। पिता मनीष ने बताया कि जब सौम्या ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था, तब उसे 10 रुपए इनाम में मिले थे। वहीं, इनाम में मिली चॉकलेट के रैपर भी फोटो फ्रेम में सजाकर रखे हैं। ट्रॉफी और मेडल से पूरा रूम भरा हुआ है।
सौम्या को बचपन में इनाम में 10 रुपए मिले थे। जिसे फोटो फ्रेम में लगवाकर रखा है। इनाम में मिली चॉकलेट के रैपर भी फोटो फ्रेम में लगवाए गए हैं।
पढ़ाई में भी होनहार सौम्या, क्रिकेट में हरफनमौला प्रदर्शन
मां भारती बताती हैं कि सौम्या क्रिकेट के साथ पढ़ाई में भी होनहार है। वह कक्षा 12वीं में पढ़ रही है। प्रेक्टिस के साथ वह पढ़ाई के लिए भी समय निकालती हैं। पिछले चार साल के भीतर वह स्कूल, क्लब, डिस्ट्रिक, डिवीजन और स्टेट लेवल पर हरफनमौला प्रदर्शन कर चुकी हैं। इसके अलावा जूनियर नेशनल टीम में भी कई देशों के खिलाफ खेल चुकी हैं। वर्ल्ड कप से पहले उसका आखिरी टूर्नामेंट न्यूजीलैंड के साथ था। इसमें अच्छे प्रदर्शन के चलते उसे वर्ल्ड कप के लिए चुना गया।
सौम्या तिवारी को क्रिकेट खेलने का जुनून बचपन से ही रहा। इसके चलते वह नेशनल टीम में चुनी गईं।
लॉकडाउन में घर की छत पर प्रैक्टिस की
सौम्या ने कोरोना काल में लॉकडाउन में घर की छत पर ही प्रैक्टिस की। बहन साक्षी ने बताया कि छत को क्रिकेट पिच की तरह बदल दिया। प्रैक्टिस के दौरान पिता, मां और बहन ने साथ दिया। मोबाइल के जरिए वह कोच के संपर्क में रहीं।
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