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लड़की है, नहीं सिखाया क्रिकेट: पिता ने की ब्यॉय हेयर कटिंग; छोटी उम्र में काफी बड़ा संघर्ष, भारतीय महिला किक्रेट टीम की कप्तान शेफाली वर्मा की कहानी

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पानीपत8 मिनट पहले

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इंडियन महिला क्रिकेट टीम की कप्तान शेफाली वर्मा।

भारतीय महिला U-19 क्रिकेट टीम की कप्तान शेफाली वर्मा ने छोटी उम्र बहुत बड़ा संघर्ष किया है। शेफाली के पिता ने उनके साथ खूब पसीना बहाया है। लोगों की विभिन्न टिप्णियां भी सहन की। बेटी को क्रिकेटर बनाने के लिए ब्यॉय कटिंग की।

लड़कों की तरह ही रहन-सहन करवाया। आज बेटी ने विश्व स्तर पर अपनी पहचान एक बेहतरीन महिला क्रिकेटर के रूप में स्थापित कर आलोचकों के मुंह बंद कर दिए। अब पढ़िए वर्ल्ड कप जीताने वाली महिला क्रिकेट टीम की कप्तान शेफाली वर्मा की कहानी…

पिता बनना चाहते थे इंटरनेशनल क्रिकेट
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की धमाकेदार बल्लेबाज एवं कप्तान शेफाली वर्मा का जन्म 28 जनवरी 2004 में हरियाणा के रोहतक जिले में हुआ। परिवार शहर के सुनारों वाला मोहल्ला में रहता है। शेफाली वर्मा को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का बेहद शौक था। वही उनके पिता संजीव वर्मा की भी क्रिकेट में काफी दिलचस्पी रही है। पिता इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना चाहते थे, लेकिन उनका यह सपना पूरा न हो सका।

पिता ने घर पर ट्रेनिंग शुरू की
शेफाली के पिता को जब अपनी बेटी में भी क्रिकेट के प्रति लगाव दिखा तो उन्हें घर पर ही ट्रेनिंग देना शुरू कर दी। जब उन्हें लगा कि अब शेफाली को प्रोफेशनल ट्रेनिंग मिलनी चाहिए तो उन्होंने कई अकादमी में एडमिशन कराने की कोशिश की, लेकिन किसी भी एकेडमी में उन्हें प्रवेश नहीं मिला, क्योंकि वह एक लड़की थी। शेफाली के पिता बेटी का किसी क्रिकेट अकादमी में एडमिशन नहीं होता देख काफी निराश हुए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

कई साल तक टॉमबॉय बनकर रही शेफाली
बेटी को क्रिकेट सिखाने के लिए शेफाली के पिता ने 9 साल की उम्र में उनके बाल कटवा दिए। पिता ने उनके बाल एकदम लड़कों की तरह काट दिए। जिसके बाद शेफाली क्रिकेट सीखने के लिए लड़कों की तरह रहने लगी। उसके बाद शेफाली को तुरंत क्रिकेट अकादमी में एडमिशन मिल गया।

शेफाली कई वर्षों तक टॉमबॉय बन कर ही क्रिकेट सीखते रही। वहीं जब भारत में महिला क्रिकेट एकेडमी बनाई गई, तब जाकर शेफाली को एक महिला क्रिकेट एकेडमी में दाखिल मिला। महिला क्रिकेट एकेडमी में दाखिला मिलने के बाद उनके रिश्तेदारों ने बहुत सारी आलोचनात्मक टिप्पणियां की, लेकिन शेफाली के पिता ने सब को दरकिनार कर उन्हें क्रिकेट की प्रोफेशनल ट्रेनिंग दिलवाई। इतना ही नहीं पिता ने उन्हें एक बेहतरीन और शानदार क्रिकेटर बनाया।

रोहतक में सचिन तेंदुलकर का मैच देखने गई थी, तब ठानी थी क्रिकेटर बनेगी
2013 में सचिन तेंदुलकर रोहतक के लाहली में रणजी ट्राफी का खेलने आए तो भीड़ में मैच देखते हुए सचिन-सचिन की आवाजें सुनकर उनका क्रिकेटर बनने का सपना और भी दृढ़ हो गया। करीब दस साल की उम्र में उन्होंने लेदर की बॉल से खेलना शुरू कर दिया।

उसके बाद उन्होंने करीब 12 साल की उम्र में क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन की। जहां शुरुआत उन्होंने जूनियर कैटेगरी से की। वह छोटी उम्र में ही बहुत बढ़िया खेलती थी। साथ खेलने वाली लड़कियां बेहतर खिलाड़ी थी लेकिन शेफाली में उनसे अधिक क्षमता थी। यह देख उन्होंने उनकी प्रेक्टिस लड़कों के साथ करवानी शुरू कर दी।

तोड़ा था सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड
12 साल की उम्र में शेफाली ने एक अकादमी जॉइन करके प्रोफेशनल ट्रेनिंग करना शुरू किया। बचपन से ही शेफाली का सपना था सचिन की तरह खेलना और नाम कमाना। इसलिए, यहां पर उन्होंने दिन-रात मेहनत करके अपनी स्किल को तराशा और लगातार प्रैक्टिस की। नेशनल टीम में सिलेक्शन से पहले शेफाली ने रणजी ट्ऱॉफी और हरियाणा के कई दूसरे टूर्नामेंट्स खेले। इन खेलों के दौरान शेफाली सिलेक्टर्स की नजर में आईं.

महज 15 साल की उम्र में किया डेब्यू
हरियाणा के रोहतक जिले की रहने वाली शेफाली वर्मा ने महज 15 वर्ष की आयु में ही टीम इंडिया के लिए डेब्यू कर लिया था। 2019 के टी-20 वर्ल्ड कप से पहले शेफाली ने टीम इंडिया में एंट्री की थी और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने इंटरनेशनल डेब्यू किया था।

शेफाली ने बताया कि हर कोई यह देख हैरान था कि महज 15 वर्ष की लड़की को आखिर कैसे भारतीय टीम में जगह मिल गई। टी20 वर्ल्ड कप में भी शेफाली ने शानदार प्रदर्शन किया था, लेकिन वह बात अलग है कि टीम खिताब नहीं जीत सकी।

लड़कों की 140 किमी की रफ्तार के साथ प्रैक्टिस
शेफाली ने बताया था कि जब वह टी-20 वर्ल्ड कप के बाद वापस लौटीं तो कई चीजों पर काम करना था तो उन्होंने कड़ा अभ्यास शुरू किया। शेफाली ने बताया कि उन्हें वनडे टीम में खेलने का मौका नहीं मिल पा रहा था।

इसलिए उन्होंने अपने कोच के साथ अपनी कमियों पर काम शुरू किया। उन्होंने तेज गेंदबाजों का सामना करना शुरू किया। उनके सामने लड़के 135-140 किलोमीटर की रफ्तार से गेंदबाजी करते थे।

क्रिकेट के लिए किया त्याग
शेफाली की मानें तो क्रिकेट के साथ उन्होंने अपनी फिटनेस को लेकर डाइटिंग भी की। वर्ल्ड कप की हार से उबरने को लेकर उन्होंने कई सेशन भी लिए। उन्होंने बताया कि फिटनेस के चलते उसे अपना फेवरेट खाना भी छोड़ना पड़ा। शेफाली का कहना है कि वह अब अपना फेवरेट पिज्जा नहीं खाती, फेवरेट डोरेमैन भी नहीं देखती है। अब वह सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट पर ही फोकस करती है।

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