नई दिल्ली15 मिनट पहले
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गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के बावजूद इसकी कीमतों पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। फैसले के 10 दिन बाद थोक भाव में मुश्किल से 15 से 75 रुपए प्रति क्विंटल की कमी आई है। रिटेल में यह कमी भी देखने को नहीं मिली है। इसके चलते रोटी समेत बिस्किट, ब्रेड, नूडल्स और अन्य बेकरी आइटम के दाम घटने की उम्मीद खत्म हो गई है। विशेषज्ञों की मानें तो गेहूं के दाम अभी और बढ़ेंगे। साल के अंत तक गेहूं 3000 रु./क्विंटल तक जा सकता है।
गेहूं के दाम 4 से 8% टूटे
देश में गेहूं के दाम 2300 रु./क्विंटल पहुंचने के बाद 13 मई को केंद्र ने गेहूं का निर्यात रोक दिया था। मकसद गेहूं की कीमतों में कमी लाना था। फैसले के तुरंत बाद तो गेहूं के दाम 4 से 8% टूट गए, लेकिन नए हफ्ते से ही कीमतों में वापस तेजी आ गई। फिलहाल, गेहूं के दाम निर्यात प्रतिबंध वाले दिन के स्तर से 15 से 75 रुपए प्रति क्विंटल कम हैं।
सरकारी स्टॉक में 42% गिरावट
वेयर हाउसिंग और एग्रीफिनटेक कंपनी ओरिगो ई-मंडी के एजीएम (कमोडिटी रिसर्च) तरुण सत्संगी ने कहा कि गेहूं की कीमतों में कमी ज्यादा दिन नहीं टिकेगी। इस साल गेहूं का उत्पादन कम होने के साथ ही सरकारी स्टॉक में 42% गिरावट दर्ज की गई है। पिछले साल की तुलना में ओपेन मार्केट सेल स्कीम के तहत सरकारी गेहूं की बिक्री में भी गिरावट रहेगी। ऐसे में खुले बाजार में गेहूं की मांग बनी रहेगी।
इधर, देश की ज्यादातर मंडियों में गेहूं की आवक करीब-करीब बंद हो चुकी है। जिन व्यापारियों ने ऊंचे दाम पर गेहूं खरीद रखा है, वे नुकसान में बिक्री नहीं करेंगे। ऐसे में मांग और आपूर्ति का समीकरण बिगड़ने से गेहूं के दाम बढ़ने लगेंगे। सत्संगी के मुताबिक, नई सप्लाई के पहले तक गेहूं का भाव 3,000 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर सकता है।
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