नई दिल्ली15 घंटे पहलेलेखक: सुदर्शन शर्मा
भारतीय रुपए में जारी गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। इस वक्त 1 डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर फिसलकर 80 के करीब पहुंच गया है। रुपए के कमजोर होने से विदेश में पढ़ना और वहां घूमने जाना महंगा हो गया है। इसके अलावा आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से महंगाई भी बढ़ सकती है।
ऐसा इसलिए क्योंकि भारत अपनी जरूरत का करीब 80% क्रूड इंपोर्ट करता है। इंपोर्ट करने के लिए ज्यादातर पेमेंट डॉलर में करना होता है। डॉलर के मुकाबले रुपए कमजोर होगा तो ज्यादा रुपए खर्च करने होंगे। क्रूड के लिए अगर ज्यादा रुपए खर्च होंगे तो इसका असर पेट्रोल-डीजल के दामों में दिखेगा और ट्रांसपोर्ट भी महंगा हो जाएगा। इससे दूसरी चीजें महंगी हो जाएंगी और महंगाई बढ़ेगी।
अमेरिका में घूमना और पढ़ना महंगा
रुपए में गिरावट का मतलब अमेरिका में घूमना और पढ़ना महंगा होना है। मान लीजिए कि जब डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू 50 थी तब अमेरिका में भारतीय छात्रों को 50 रुपए में 1 डॉलर मिल जाते थे। अब 1 डॉलर के लिए छात्रों को 80 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। इससे फीस से लेकर रहना और खाना और अन्य चीजें महंगी हो जाएंगी।
करेंसी की कीमत कैसे तय होती है?
डॉलर की तुलना में किसी भी अन्य करेंसी की वैल्यू घटे तो इसे उसे मुद्रा का गिरना, टूटना, कमजोर होना कहते हैं। अंग्रेजी में करेंसी डेप्रिशिएशन। हर देश के पास फॉरेन करेंसी रिजर्व होता है, जिससे वह इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन करता है। फॉरेन रिजर्व के घटने और बढ़ने का असर करेंसी की कीमत पर दिखता है।
अगर भारत के फॉरेन रिजर्व में डॉलर, अमेरिका के रुपयों के भंडार के बराबर होगा तो रुपए की कीमत स्थिर रहेगी। हमारे पास डॉलर घटे तो रुपया कमजोर होगा, बढ़े तो रुपया मजबूत होगा। इसे फ्लोटिंग रेट सिस्टम कहते हैं।
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