यूनियन की मांग-डीजल की कीमतें रोज बढ़ाना बंद हो: टोल महंगा होने से ट्रक भाड़ा 20% बढ़ा, ये चौतरफा महंगाई की बड़ी वजह
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नई दिल्ली17 घंटे पहले
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साल भर में डीजल, टोल और इंश्योरेंस जैसी लागत बढ़ने से ट्रकों के मालभाड़े में 20% यानी 5 से 7 रुपए प्रति किमी का इजाफा हो गया है। देश में हाल में बढ़ी चौतरफा महंगाई की एक बड़ी वजह है, क्योंकि फल-सब्जी से लेकर अनाज, सीमेंट, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद तक सभी ट्रकों के जरिए ही ट्रांसपोर्ट होते हैं।
डीजल में 1 रुपए का इजाफा होने से माल भाड़ा 60 पैसे बढ़ रहा
ट्रकों की ऑपरेटिंग लागत में 65 से 70% खर्च डीजल का होता है। इसके अलावा, टोल टैक्स और इंश्योरेंस दूसरे प्रमुख खर्च हैं। इन तीनों में बीते सालभर में 25% तक इजाफा हुआ है। ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (AITWA) के मुताबिक, अगर डीजल में 1 रुपए का इजाफा होता है तो माल भाड़ा 50 से 60 पैसे बढ़ जाता है।
किराया भी 42 रुपए प्रति किलोमीटर हुआ
सालभर पहले 10 पहिए के ट्रक की प्रति किलोमीटर लागत 32.81 रुपए थी और किराया प्रति किमी 34-35 रुपए था। अब लागत बढ़ गई है तो किराया भी लगभग 40-42 रुपए प्रति किलोमीटर हो गया है। पूरे देश में भाड़े की एक समान दर नहीं है। जहां से रिटर्न लोड नहीं मिलता वहां पर भाड़ा ज्यादा लगता है।
डीजल की कीमतें रोज की बजाय तिमाही आधार पर बढ़े
AITWA के प्रेसिडेंट महेंद्र आर्य ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा कि देश में महंगाई बढ़ने की प्रमुख वजह ट्रकों का माल भाड़ा बढ़ना भी है। डीजल और अन्य लागत बढ़ने की वजह से भाड़ा बढ़ाना ट्रांसपोर्टर्स की मजबूरी है। सरकार से इस संबंध में हमारी बात हुई है, लेकिन सरकार डीजल की कीमतों में कोई समझौता नहीं करना चाहती। हमारी मांग है कि कम से कम डीजल की कीमतें रोज बढ़ाने के बजाय तिमाही आधार पर समीक्षा की जाए, ताकि हम भी ग्राहकों से तिमाही या सालाना आधार पर भाड़े को लेकर अनुबंध कर सकें।
ट्रांसपोर्टर्स की तीन मांगें
- डीजल पर लिया जाने वाला 55% टैक्स कम किया जाए। राज्य भी डीजल पर वैट घटाएं।
- डीजल की कीमतों की दैनिक समीक्षा के बजाय पहले जैसे तिमाही आधार पर समीक्षा हो।
- पूरे देश में डीजल के दाम एक समान हों और ट्रकों के लिए प्रति किमी न्यूनतम भाड़ा तय हो।
कोविड के बाद पिछले साल 70-75 फीसदी तक रिकवरी हुई थी, पर डीजल से एक बार फिर स्थिति बिगड़ गई है। कमोडिटी के दाम बढ़ने और आम उपभोक्ता वस्तुओं की खपत कम होने से ट्रकों की डिमांड भी कम हो गई है।
– नवीन कुमार गुप्ता, महासचिव, ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस
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