मोबाइल कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए घोटाला: फीस लेनी थी, UIDAI ने ऑथेन्टिकेशन और वेरिफिकेशन के 3 हजार करोड़ से ज्यादा ट्रांजेक्शन FREE कर दिए
जयपुर16 मिनट पहलेलेखक: महिम प्रताप सिंह
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आधार कार्ड जारी करने वाली संस्था भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने कुछ मोबाइल कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार को 13 हजार 205 करोड़ के रेवेन्यू का नुकसान पहुंचाया। इसका खुलासा हाल में कैग की ओर से संसद में पेश की गई रिपोर्ट में हुआ है। CAG की परफॉरमेंस ऑडिट रिपोर्ट में ये सामने आया है कि UIDAI ने अपने ही नियमों के विपरीत जा कर हजारों करोड़ रुपए की ऑथेन्टिकेशन सर्विस और यस/नो वेरिफिकेशन सर्विस टेलीकॉम ऑपरेटर्स (मोबाइल कंपनियों) और बैंकों को फ्री बांट दी। इससे सरकार को करीब 13 हजार 205 करोड़ का घाटा हुआ है। दोनों सर्विस के 3 हजार करोड़ से ज्यादा ट्रांजेक्शन फ्री कर दिए। CAG ने ये भी कहा कि सरकार ये सर्विसेज कभी भी फ्री नहीं देना चाहती थी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि UIDAI ने कुछ मोबाइल कम्पनी को सीधे-सीधे फायदा पहुंचाने के लिए जानबूझकर ये देरी की। संभावित नुकसान का कॉन्सेप्ट भारत में सबसे पहले 2008 में कोयला घोटाले और 2G स्कैम के दौरान सामने आया था। इन स्कैम का खुलासा भी CAG की रिपोट्र्स से ही हुआ था।
कैग की रिपोर्ट में उल्लेख है कि UIDAI ने फीस तय करने में 3 साल लगा दिए, जिससे सरकार को रेवेन्यू का घाटा हुआ।
UIDAI ने सरकार को रेवेन्यू का नुकसान ऐसे पहुंचाया
मान लीजिए आपका बैंक अकाउंट या मोबाइल नंबर आधार कार्ड से लिंक है। जब भी मोबाइल कंपनी या बैंक E-KYC करती है तो आपके आधार नंबर की जरूरत पड़ती है। इसी को ऑथेन्टिकेशन सर्विस कहते हैं। हर ऑथेन्टिकेशन के लिए बैंक या मोबाइल कंपनी को UIDAI को 20 रुपए बतौर फीस चुकाने होते हैं।
इसी तरह बैंक या मोबाइल कंपनी UIDAI से किसी आधार कार्ड धारक के बारे में कोई जानकारी वेरिफाई करती है तो उसका जवाब YES या NO में दिया जाता है। हर YES/NO वेरिफिकेशन के लिए बैंक या मोबाइल कंपनी को 50 पैसे बतौर फीस देने होते हैं।
UIDAI ने तीन साल तक ये दोनों फीस तय ही नहीं की। इस वजह से सरकार को 13 हजार 205 करोड़ के रेवेन्यू का नुकसान हो गया।
2016 में तय करनी थी फीस
आधार अधिनियम 2016 की धारा 8(1), तथा आधार (प्रमाणीकरण) विनियम 2016 की धारा 12(7) UIDAI को एक निर्धारित फीस के भुगतान पर आधार धारक की आधार संख्या का प्रमाणीकरण (ऑथेन्टिकेशन ) करने के लिए अधिकृत करती हैं। फीस निर्धारित करने का आधार UIDAI को ही था। कैग की रिपोर्ट के अनुसार, UIDAI को साल 2016 में ये फीस तय करनी थी लेकिन 2019 तक तय नहीं की गई।
इस बीच, दूरसंचार विभाग ने मार्च 2017 में टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर को आधार आधारित ई-केवाईसी के माध्यम से सभी मोबाइल धारकों के वेरिफिकेशन की अनुमति दे दी। केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श पर अक्टूबर 2017 से सभी बैंक खातों को आधार से जोड़ना अनिवार्य कर दिया।
कैग की रिपोर्ट में उल्लेख है कि मार्च 2019 तक 637 करोड़ ई-केवाईसी लेनदेन किए गए। इनमें 598 करोड़ लेनदेन सिर्फ मोबाइल कंपनियों और बैंकों से जुड़े थे।
मार्च 2019 तक फ्री सर्विस देती रही UIDAI
UIDAI ने मार्च 2019 तक बैंक, मोबाइल ऑपरेटर तथा अन्य एजेंसियों को नियमों के विपरीत जाकर फ्री ऑथेन्टिकेशन सर्विस दी। इसके कारण सरकार को रेवेन्यू लॉस हुआ। मार्च 2019 में UIDAI ने ई-केवाईसी लेनदेन के लिए 20 रुपए और YES/NO ऑथेन्टिकेशन के लिए 50 पैसे तय किए।
13,205 करोड़ के रेवेन्यू लॉस का गणित आसान भाषा में
ई-केवाईसी ऑथेन्टिकेशन से 11960 करोड़
मार्च 2019 तक UIDAI ने 637 करोड़ ई-केवाईसी ऑथेन्टिकेशन किए। इनमें से 598 करोड़ लेनदेन (94 प्रतिशत) अकेले टेलीकॉम कंपनियों तथा बैंकों के लिए थे। यदि टेलीकॉम कंपनियों तथा बैंकों से हर ऑथेन्टिकेशन के लिए 20 रुपए फीस ली जाती तो 598 करोड़ लेनदेन के लिए सरकार को 11960 करोड़ का रेवेन्यू मिल सकता था।
YES/NO वेरिफिकेशन से 1245.5 करोड़
इसके अलावा, इसी अवधि में UIDAI ने 2,491 करोड़ हां/ना प्रमाणीकरण (yes/no verification) किए। हर वेरिफिकेशन के लिए निर्धारित फीस 50 पैसे ली जाती तो सरकार को 1245.5 करोड़ का रेवेन्यू मिल सकता था।
11960 करोड़+1245 करोड़= 13205 करोड़ का घाटा
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