मैं बाजार में पैसा लगाता हूं, मुझे क्या मिला: आम निवेशकों के लिए केवल भाषण ही रहा बजट, कोई राहत नहीं, टैक्स तो देना ही होगा
नई दिल्लीएक दिन पहले
बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ठीक उसी लाइन पर काम किया है, जिस पर उम्मीद की जा रही थी। मोदी सरकार ने आम इनवेस्टर्स के लिए कोई राहत या रियायत नहीं दी है। बजट पूरी तरह से ग्रोथ ओरिएंटेड है। सीतारमण ने आम निवेशकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। इनवेस्टर्स को पहले की तरह ही सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स और लाॅन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देने होंगे।
रियल एस्टेट, इंफ्रा, लॉजिस्टिक्स जैसे सेक्टर में निवेशकों को जरूर फायदा होगा। सरकार ने इन पर बड़ा खर्च करने का ऐलान किया है। इसका सीधा असर मार्केट में देखने को मिला। इन्फ्रा, पावर, टेलिकॉम, लॉजिस्टिक सेक्टर की कंपनियों के शेयर में खासा उछाल देखा गया।
क्रिप्टो गिफ्ट में भी दिया तो टैक्स देना होगा
सरकार ने नए उम्र के क्रिप्टो इनवेस्टर्स पर जबर्दस्त प्रहार किया है। क्रिप्टो इनवेस्टर्स को किसी भी तरह की कमाई पर अब 30% का भारी भरकम टैक्स देना होगा। यानी, शेयर बाजार की तुलना में इसमें दोगुना टैक्स देना पड़ेगा। शेयर बाजार निवेशकों को 15% टैक्स देना होता है।
एक्सपर्ट बोले- कैपिटल ग्रोथ वाला बजट
बाजार के जानकारों का कहना है कि निवेशक इस बजट के बाद बैंक वाले स्टॉक्स ले सकते हैं, क्योंकि सरकार निवेश और खर्च करेगी। इसका सीधा फायदा बैंक को मिलेगा। पाइप वाली कंपनियों में पैसे लगा सकते हैं, क्योंकि रियल एस्टेट और इंफ्रा पर फोकस किया गया है।
HDFC के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा कि मार्केट के लिए यह अच्छा बजट है। यह एक ग्रोथ वाला बजट है। वित्त मंत्री ने इंफ्रा पर ज्यादा पैसा खर्च करने की बात कही है जो ग्रोथ के लिए अहम है। उन्होंने अर्बन इंफ्रा पर काफी पैसा देने की बात कही है। यह एक कैपिटल ग्रोथ वाला बजट है।
छोटे शहरों से ज्यादा आ रहे रिटेल इनवेस्टर्स
कोरोना के कारण इस साल भी नए इनवेस्टर्स की संख्या खूब बढ़ी है। कुछ राज्यों में निवेशकों की संख्या दोगुनी तक हो गई है। आमतौर पर दो तरह के इनवेस्टर्स होते हैं। एक रिटेल और दूसरे इंस्टीट्यूशनल। रिटेल मतलब आम आदमी जो पैसे लगाता है। इंस्टीट्यूशनल जिनमें बैंक, कंपनियां या फिर बड़े निवेशक होते हैं। पिछले साल का ट्रेंड बता रहा है कि छोटे शहरों से रिटेल इनवेस्टर्स ज्यादा आ रहे हैं।
बड़ी कंपनियों पर ही भरोसा दिखा रहे निवेशक
आंकड़े बताते हैं कि लोगों का भरोसा A और B ग्रुप की कंपनियों पर ही है। वे अपना पैसा बड़ी और प्रॉफिट कमाने वाली कंपनियों के शेयर पर ही लगाते हैं। BSE में करीब 5 हजार कंपनियां लिस्टेड हैं। इनमें से करीब 400 कंपनियां A ग्रुप में हैं।
अब अतिरिक्त कमाई पर देना होगा सरचार्ज
वित्त मंत्री ने इक्विटी पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को 15% ही रखा है। इसमें कोई बदलाव नहीं किया है। दरअसल दूसरी संपत्तियों से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 10 से 20% होता है। यह असेट्स के क्लास पर निर्भर होता है। यानी किस तरह की संपत्ति से आप फायदा कमाते हैं, उस पर निर्भर होता है। दूसरे मामलों में सरचार्ज कुल इनकम पर होता है, अब इस पर 15% की सीमा लगा दी गई है।
उदाहरण के तौर पर किसी व्यक्ति की इनकम 5 करोड़ से अधिक है तो उसे 37% तक का कैपिटल गेन टैक्स देना होता है। 2 करोड़ से 5 करोड़ पर यह 25% है। कंपनियों के मामले में अधिकतम सरचार्ज 12% होता है। दरअसल इसका फायदा स्टार्टअप को होगा, जिसके लिए 15% के सरचार्ज की सीमा होगी। इसका मतलब जिन्हें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की तुलना में फायदा होगा, उन्हें 15% ही देना होगा।
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