मायानगरी में अधूरे आशियाने: टॉप-7 शहरों में साढ़े छह लाख फ्लैट का निर्माण कार्य सुस्त या ठप, अटके हुए लगभग तीन चौथाई मकान अफोर्डेबल सेगमेंट के हैं
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- 6 Lakh And 26 Thousand Homes Are Heavily Delayed; 1 Lakh And 74 Thousand Units Valued 1,40,613 Cr Stalled
6 घंटे पहले
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- कुल प्रभावित फ्लैट में से 28% मुंबई महानगर क्षेत्र में हैं, जिनकी कीमत 1,52,105 करोड़ रुपए है
- लेकिन मुंबई में अटके मकानों का प्रतिशत 36% से 24% रह गया, पुणे में 16% से घटकर 8% हुआ
- जून 2021 तक अटके प्रोजेक्ट में 52% NCR के थे; कोविड, पूंजी की कमी, मुकदमेबाजी रही वजह
बहुत से लोगों ने काफी पहले (कोविड से भी पहले) बड़े शहरों के नए प्रोजेक्ट्स में फ्लैट की बुकिंग कराई थी, उनके लिए यह खबर राहत देने वाली नहीं है। देश के टॉप 7 शहरों में लगभग साढ़े छह लाख मकानों (फ्लैट) का निर्माण कार्य लंबे समय से चल रहा है या वे पूरी तरह अटक गए हैं।
प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी फर्म एनारॉक की रिपोर्ट के मुताबिक, सात बड़े शहरों में 6,29,000 फ्लैट का निर्माण अटका हुआ है या सुस्त है और इनमें लगभग 71% फ्लैट 80 लाख रुपए या कम के हैं। इन मकानों में 28% मकान प्रीमियम जबकि बाकी लग्जरी सेगमेंट के हैं।
पूरी तरह अटके हैं 28% फ्लैटएनारॉक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2014 या उससे पहले लॉन्च हुए प्रोजेक्ट में कुल 5.05 लाख करोड़ रुपए के फ्लैट का निर्माण कार्य अटका हुआ है या सुस्त चल रहा है। इनमें से लगभग 28% यानी 1,73,730 फ्लैट पूरी तरह से अटक गए हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि मुंबई महानगर क्षेत्र में कई प्रोजेक्ट पिछले साल पूरे हुए, जिसकी वजह से अटके या सुस्त पड़े प्रोजेक्ट में फंसे मकानों का प्रतिशत घटा है।
टॉप 7 शहरों में कुल प्रभावित फ्लैट में से 28% मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) में हैं, जिनकी कीमत 1,52,105 करोड़ रुपए है। पुणे में लगभग 8% मकान अटके हैं जिनकी कीमत 29,390 करोड़ रुपए है।
शहर | अटके या सुस्त निर्माण वाले मकान | कीमत |
बेंगलुरु | 41,780 | 33,080 करोड़ |
चेन्नई | 11,430 | 11,530 करोड़ |
हैदराबाद | 17,960 | 11,810 करोड़ |
कोलकाता | 29,110 | 17,960 करोड़ |
मुंबई | 1,49,620 | 1,52,105 करोड़ |
NCR | 3,28,600 | 2,49,540 करोड़ |
पुणे | 50,130 | 29,390 करोड़ |
कुल | 6,28,630 | 5,05,415 करोड़ |
दक्षिण भारत की स्थिति बेहतर
अटके हुए या देरी से बन रहे मकानों के मामले में दक्षिण भारत की स्थिति बेहतर है। हैदराबाद, बेंगलुरू और चेन्नई में 56,420 करोड़ रुपए के ऐसे 11% मकान हैं। इनमें से चेन्नई में तो सिर्फ दो पर्सेंट मकान फंसे हैं।
सबसे बुरी हालत दिल्ली से सटे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) की है, जहां 52% मकान अटके हैं या उनके निर्माण में देरी हो रही है। इनमें 2,49,540 करोड़ रुपए की रकम फंसी हुई है। कोलकाता में लगभग 5% मकान फंसे हैं जिनकी कीमत 17,960 करोड़ रुपए है।
जून तक 6.29 लाख था आंकड़ा
एनारॉक प्रॉपर्टी के डायरेक्टर और रिसर्च हेड प्रशांत ठाकुर के मुताबिक, ‘2019 के अंत में हमने 2013 या उससे पहले के प्रोजेक्ट के 5,76,000 अटके मकानों का हिसाब लगाया था। डेढ़ साल बाद हमने 2014 में लॉन्च हुए प्रोजेक्ट को भी उनमें शामिल किया।’ 2021 की पहली छमाही के अंत में टॉप 7 शहरों में सुस्त या ठप निर्माण कार्य वाले मकानों का आंकड़ा 6.29 लाख था।
कोविड, पूंजी की कमी, मुकदमेबाजी है वजह
प्रशांत बताते हैं, ‘2019 में NCR में 35% मकान अटके हुए थे। उनमें 2014 में लॉन्च प्रोजेक्ट को शामिल करने से आंकड़ा 52% पर पहुंच गया। यहां इतने ज्यादा मकानों का निर्माण अटकने की वजह कोविड, पूंजी की कमी, मुकदमेबाजी हो सकती हैं।
पुणे और मुंबई महानगर क्षेत्र में अटके प्रोजेक्ट में उल्लेखनीय कमी आई है। 2019 के अंत से जून 2021 तक पुणे में ऐसे मकानों का प्रतिशत 16% से घटकर 8% और मुंबई महानगर क्षेत्र में 36% से 24% रह गया है।’
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