महंगाई से मामूली राहत: जून में रिटेल महंगाई दर घटकर 7.01% पर आई, लगातार छठवें महीने RBI की 6% की ऊपरी लिमिट के पार
- Hindi News
- Business
- Retail Inflation Declined To 7.01% In June, From Food Items To Fuel electricity Cheaper
नई दिल्ली21 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
आम आदमी को जून में महंगाई के मोर्चे पर मामूली राहत मिली है। मंगलवार को जारी किए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित रिटेल महंगाई दर जून में घटकर 7.01% हो गई। मई में ये 7.04% थी। हालांकि, यह लगातार 6वां महीना है, जब महंगाई दर RBI की 6% की ऊपरी लिमिट के पार रही है। जनवरी 2022 में रिटेल महंगाई दर 6.01%, फरवरी में 6.07%, मार्च में 6.95% और अप्रैल में 7.79% दर्ज की गई थी।
महंगाई कैसे प्रभावित करती है?
महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए, यदि महंगाई दर 7% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 93 रुपए होगा। इसलिए, महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।
रूस और ब्राजील को छोड़कर आज लगभग हर देश में ब्याज दरें निगेटिव हैं। ब्याज दरों के निगेटिव होने का मतलब है कि फिक्स्ड डिपॉजिट पर महंगाई दर से कम ब्याज मिलना।
महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है?
महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वह ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी।
इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहे तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी।
RBI कैसे कंट्रोल करती है महंगाई?
महंगाई कम करने के लिए बाजार में पैसों के अत्यधिक बहाव (लिक्विडिटी) को कम किया जाता है। इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI), रेपो रेट बढ़ाता है। बढ़ती महंगाई से चिंतित RBI ने हाल ही में रेपो रेट में 0.50% इजाफा किया है। इससे रेपो रेट 4.40% से बढ़कर 4.90% हो गया है।
रूस यूक्रेन जंग ने बढ़ाई महंगाई
रुस-यूक्रेन जंग के कारण ग्लोबल सप्लाई चेन प्रभावित हुई है। इससे कच्चे तेल और दूसरी कमोडिटीज की कीमतों में इजाफा हुआ है। बीते महीनों के थोक महंगाई के आंकड़ों से पता चलता है कि महंगाई बढ़ाने में सबसे अहम भूमिका कच्चे तेल, नेचुरल गैस और मेटल्स की थी। हालांकि, भारत में मोदी सरकार ने पेट्रोल डीजल के दामों को कम कर महंगाई कम करने की कोशिश की है। खाने के तेल के दाम भी घटे हैं।
CPI क्या होता है?
दुनियाभर की कई इकोनॉमी महंगाई को मापने के लिए WPI (Wholesale Price Index) को अपना आधार मानती हैं। भारत में ऐसा नहीं होता। हमारे देश में WPI के साथ ही CPI को भी महंगाई चेक करने का स्केल माना जाता है।
भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक और क्रेडिट से जुड़ी नीतियां तय करने के लिए थोक मूल्यों को नहीं, बल्कि खुदरा महंगाई दर को मुख्य मानक (मेन स्टैंडर्ड) मानता है। अर्थव्यवस्था के स्वभाव में WPI और CPI एक-दूसरे पर असर डालते हैं। इस तरह WPI बढ़ेगा, तो CPI भी बढ़ेगा।
रिटेल महंगाई की दर कैसे तय होती है?
कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मैन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें भी होती हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 299 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है।
For all the latest Business News Click Here
For the latest news and updates, follow us on Google News.