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भास्कर एक्सक्लूसिव: नीरज चोपड़ा बोले- फाइनल से पहले कोच ने कहा था, पहला थ्रो बेस्ट करना; मेरा अगला टारगेट वर्ल्ड कप और कॉमनवेल्थ

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दिल्ली4 मिनट पहले

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भास्कर एक्सक्लूसिव: नीरज चोपड़ा बोले- फाइनल से पहले कोच ने कहा था, पहला थ्रो बेस्ट करना; मेरा अगला टारगेट वर्ल्ड कप और कॉमनवेल्थ

भारत के 121 साल के ओलिंपिक इतिहास में फील्ड एंड ट्रैक इवेंट में नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। नीरज अभी टोक्यो में हैं और आज शाम को भारत के लिए रवाना होंगे। भास्कर को दिए एक्सक्लूसिव ऑडियो इंटरव्यू में नीरज ने कहा कि अभी वो खेल पर ही फोकस करना चाहते हैं और नए रिकॉर्ड बनाना उनका लक्ष्य है। पढ़िए गोल्डन बॉय का इंटरव्यू…

लोग कह रहे हैं कि आप पर बायोपिक बननी चाहिए और इसमें आपको ही अपना रोल निभाना चाहिए, इस बारे में क्या सोच रहे हैं?
जब तक मेरा करियर चल रहा है, मैं चाहूंगा कि बायोपिक नहीं बननी चाहिए। जब मैं खेल से रिटायरमेंट ले लूंगा तो उसके बाद ही मेरे जीवन पर फिल्म बनाई जानी चाहिए। ताकि उससे पहले तक मैं अपने खेल पर फोकस कर सकूं। वहीं रिटायरमेंट के बाद फिल्म बनने पर फिल्म में कुछ और नयापन आ सकेगा।

जब फाइनल चल रहा था, तो आपके दिमाग में क्या चल रहा था? आपको कब लगा कि आपका गोल्ड पक्का हो गया?
जब फाइनल चल रहा था, तो मेरे दिमाग में केवल एक ही बात थी कि मुझे अपना बेस्ट करना है। हमारा गेम काफी टेक्निकल है, इसमें जरा सी गड़बड़ी होने पर ही थ्रो की दूरी पर काफी फर्क पड़ता है। मैं अपना नेशनल रिकॉर्ड नहीं तोड़ सका, लेकिन ओलिंपिक में गोल्ड जीतने अहसास ही अलग होता है। जब सभी थ्रोअर ने अपना आखिरी थ्रो कर लिया, तब मैंने माना कि अब गोल्ड जीत लिया है।

फाइनल के लिए कोच डॉ. क्लाउस बार्टोनिएट्स ने आपसे क्या कहा था? क्या फाइनल से पहले घरवालों या किसी और से बात हुई थी?
कोच क्लाउस ने फाइनल से पहला कहा था कि कोशिश करना कि पहला थ्रो काफी अच्छा जाए। जैसा क्वालिफिकेशन राउंउ में किया था। फाइनल से पहले मेरी ज्यादा किसी से बात नहीं हुई थी। मैंने घर पर केवल अपने छोटे अंकल से बात की थी और उनके अलावा अपने सीनियर जयवीर से बात की थी। सभी को मुझ पर भरोसा था कि मैं अच्छा करूंगा। ऐसे में मुझे भी लगा कि मेरे लिए आज कुछ अच्छा होने वाला है।

आपका अगला टारगेट क्या है, गोल्ड से आगे क्या ?
अभी मैं गोल्ड की खुशी को परिवार के लोगों के साथ सेलिब्रेट करना चाहता हूं। इस साल का कोई इवेंट होगा और ट्रेनिंग अच्छी हुई तो ही उसमें हिस्सा लूंगा, नहीं तो मैं पूरा फोकस कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी पर करूंगा।

आपके दिमाग में यह बात कैसे आई कि ओलिंपिक मेडल को मिल्खा सिंह को समर्पित करना है, कोई खास वजह?
मैने मिल्खा सिंह के कई वीडियो देखे हैं। जिनमें मैंने उन्हें यह कहते हुए सुना है कि हमारे देश से कोई ओलिंपिक में जाए और ट्रैक एंड फील्ड में देश के लिए मेडल लाए। वो कहते थे कि कोई पोडियम फिनिश करे और राष्ट्रगान की धुन बजे। अब वह नहीं रहे और उनकी इच्छा थी देश के लिए कोई मेडल जीते। इसलिए मैंने जीतने के बाद फैसला किया कि ओलिंपक मेडल उन्हें समर्पित करूं। वो सीनियर खिलाड़ी, जो ओलिंपिक में मेडल के करीब पहुंचकर जीत नहीं पाए और जिन्होंने हमेशा चाहा कि देश का कोई खिलाड़ी मेडल जीते, उन सभी को मेरा यह गोल्ड मेडल समर्पित है।

आपने विदेशी कोचों से ट्रेनिंग ली है, इन सभी का आपके प्रदर्शन पर कितना योगदान है?
मेरे प्रदर्शन पर सभी विदेशी कोचों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सभी की अपनी अलग तकनीक और विशेषता थी। सभी से मुझे कुछ न कुछ सीखने को मिला। मैं 2019 से क्लाउस बार्टोनिएट्स के साथ ट्रेनिंग कर रहा हूं। उनकी तकनीक काफी अलग है। उन्होंने काफी मेहनत कराई। जिसकी वजह से मैं गोल्ड जीतने में सफल हुआ।

इससे पहले 2018 में हॉन के साथ काम किया। उनकी तकनीक अलग थी और उन्होंने मेरे स्ट्रेंथ पर काफी काम किया। 2016 में गैरी कालवर्ट के साथ ट्रेनिंग की। ऐसे में मुझे सभी विदेशी कोचों से कुछ नया सीखने को मिला। मेरे शानदार प्रदर्शन में इन सभी का कहीं न कहीं योगदान रहा है। मैं सभी का शुक्रगुजार हूं।

जब मेडल सेरेमनी के दौरान देश का झंडा ऊपर जा रहा था और राष्ट्रगान की धुन बज रही थी, उस समय का अहसास कैसा था?
पोडियम के बीच में खड़े होकर गले में मेडल पहनने का एहसास अलग ही होता है। जब राष्ट्रगान बजा और देश का झंडा ऊपर जाने लगा, तब ऐसा लगा कि हमने जो मेहनत की है, वह सफल हो गई और जो भी हमने अब तक परेशानी झेली है, वह कम लगने लगी।

आपकी मां ने कहा है कि आपके लिए चूरमा बनाया है। भारत लौटने के बाद आपका क्या प्लान है?
भारत लौटने के बाद घर जाऊंगा और कुछ समय अपने परिवार के लोगों के साथ बिताऊंगा और घर का खाना खाऊंगा।

आपके मेडल जीतने के बाद क्या सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स बढ़ गए हैं?
मेरे ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर फॉलोअर्स की संख्या बढ़ गई है। जिन्होंने मेरे फाइनल को देखा, वे सभी लोग मुझे सोशल मीडिया पर फॉलो करने लगे हैं।

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