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भारत में SaaS इंडस्ट्री की अपार संभावनाएं: 2030 तक 5 लाख नौकरियां पैदा होंगी, सालाना रेवेन्यू 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा हो जाएगा

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नई दिल्ली33 मिनट पहले

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कोविड-19 के कारण SaaS इंडस्ट्री की ग्रोथ को बढ़ावा मिला है। कोरोना महामारी के दौर 6 SaaS स्टार्टअप्स को यूनिकॉर्न का दर्जा मिला है। -सिम्बॉलिक तस्वीर - Dainik Bhaskar

कोविड-19 के कारण SaaS इंडस्ट्री की ग्रोथ को बढ़ावा मिला है। कोरोना महामारी के दौर 6 SaaS स्टार्टअप्स को यूनिकॉर्न का दर्जा मिला है। -सिम्बॉलिक तस्वीर

भारत में सॉफ्टवेयर-एज-ए-सर्विस (SaaS) इंडस्ट्री में अपार संभावनाएं हैं। दुनियाभर के कारोबार डिजिटाइजेशन और ऑटोमेशन को बढ़ावा दे रहे हैं। इस कारण 2030 तक भारत की SaaS का रेवेन्यू 1 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंच जाएगा। साथ ही SaaS इंडस्ट्री में 5 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी। एक नई स्टडी में यह बात कही गई है।

SaaS सेक्टर में अभी 10 यूनिकॉर्न

स्टडी के मुताबिक, अभी भारत में SaaS सेक्टर में सैकड़ों फंडेड स्टार्टअप और 10 यूनिकॉर्न काम कर रहे हैं। यह स्टार्टअप और यूनिकॉर्न सालाना 3 बिलियन डॉलर का सब्सक्रिप्शन रेवेन्यू जुटा रहे हैं। SaaSBoomi ने बुधवार को यह स्टडी रिपोर्ट जारी की है। SaaSBoomi इस इंडस्ट्री के फाउंडर्स और बिल्डर्स का समुदाय है। कंसलटेंसी फर्म मैकेंजी एंड कंपनी और सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री ट्रेड ग्रुप नैसकॉम भी इससे जुड़े हैं।

यूनिकॉर्न की संख्या में 10 गुना बढ़ोतरी की संभावना

रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि 2030 तक यूनिकॉर्न की संख्या में 10 गुना तक बढ़ोतरी हो सकती है। वहीं, इनकी वैल्यू बढ़कर 1 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच सकती है। SaaS इंडस्ट्री में अभी 40 हजार कर्मचारी काम कर रहे हैं। यह इंडस्ट्री 2030 तक ग्लोबल मार्केट में 6% हिस्सेदारी बना सकती है। इसकी वैल्यू 1.3 ट्रिलियन डॉलर होने की उम्मीद है।

टेक्नोलॉजी एंटरप्रेन्योर ने हजारों स्टार्टअप शुरू किए

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की चार दशक पुरानी आईटी सर्विसेज इंडस्ट्री से जुड़े टेक्नोलॉजी एंटरप्रेन्योर्स ने हजारों स्टार्टअप्स शुरू किए हैं। यह स्टार्टअप उच्च दर्जे के सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन उपलब्ध करा रहे हैं। इसमें बिलिंग से लेकर ग्राहक सपोर्ट जैसी सेवाएं शामिल हैं। यह स्टार्टअप क्लाउड के जरिए सब्सक्रिप्शन के आधार पर सेवाएं देते हैं। चार्जबी इंक जैसे कई स्टार्टअप ग्लोबल स्तर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वहीं, फ्रेशवर्क्स जैसे स्टार्टअप शेयर बाजारों में लिस्ट हो रहे हैं।

लक्ष्य तक पहुंचने के लिए फंडिंग की आवश्यकता

हालांकि, शुरुआती दौर में कई स्टार्टअप्स को पैसा जुटाने के लिए काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। इन स्टार्टअप्स ने ग्रोथ के लिए कुशल लोगों को आकर्षित किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस इंडस्ट्री को अगले 10 साल में अपने संभावित लक्ष्य को पूरा करने के लिए 3 से 4 गुना ज्यादा फंडिंग की आवश्यकता होगी। इका सॉफ्टवेयर के फाउंडर और SaaSBoomi के फाउंडर पार्टनर का कहना है कि चुनौतियों के बावजूद भारत के पास SaaS फोर्स के रूप में खुद को विश्व मंच पर आगे बढ़ाने का एक रोमांचक अवसर है।

8% की दर से बढ़ रही है इंडस्ट्री

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल ग्लोबल स्तर पर आईटी एंड कम्युनिकेशन पर करीब 3 ट्रिलियन डॉलर खर्च हुए थे। इसमें से करीब 600 बिलियन डॉलर की राशि SaaS और सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री को मिली थी। यह इंडस्ट्री 8% की वार्षिक दर से ग्रोथ कर रही है। यह आईटी मार्केट की कुल ग्रोथ से ज्यादा है। कोविड-19 के कारण SaaS इंडस्ट्री की ग्रोथ को बढ़ावा मिला है। कोरोना महामारी के दौर 6 SaaS स्टार्टअप्स को यूनिकॉर्न का दर्जा मिला है।

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