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भारत में अक्टूबर से 5G सर्विस: जियो ने 88 हजार करोड़ से ज्यादा का स्पेक्ट्रम खरीदा, अडाणी ने 400 MHz के लिए 212 करोड़ खर्च किए

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नई दिल्ली4 घंटे पहले

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भारत में 5G सर्विस अक्टूबर से शुरू होने की उम्मीद है। पहली 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी सोमवार को खत्म हुई। एयरवेव्स की नीलामी से सरकार को 1,50,173 करोड़ रुपए की कमाई हुई है। अरबपति मुकेश अंबानी का रिलायंस जियो टॉप बिडर रहा। जियो ने 88,078 करोड़ रुपए के 24,740 MHz स्पेक्ट्रम का अधिग्रहण किया। जियो के अलावा तीन अन्य कंपनियों ने स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाई थी।

सुनील मित्तल की भारती एयरटेल ने 43,084 करोड़ रुपए के विभिन्न बैंडों में 19,867 MHz स्पेक्ट्रम लिया और दूसरे स्थान पर रहा। अडाणी ग्रुप के अडाणी डेटा नेटवर्क्स ने 212 करोड़ रुपए का 26 GHz बैंड में 400 MHz स्पेक्ट्रम का अधिग्रहण किया। वोडाफोन आइडिया ने 18,784 करोड़ रुपए के 2,668 MHz स्पेक्ट्रम का अधिग्रहण किया।

1.50 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा जुटाने के साथ ही सरकार ने स्पेक्ट्रम नीलामी से आय का पिछला रिकॉर्ड पार कर लिया है जो 2015 में बना था। उस समय सरकार ने 4G स्पेक्ट्रम की बिक्री से 1.09 लाख करोड़ रुपए जुटाए थे। इस बार नीलामी में 4.3 लाख करोड़ रुपए के कुल 72 GHz स्पेक्ट्रम को ब्लॉक पर रखा गया है। इसकी वैलिडिटी 20 साल की होगी।

1800 MHz स्पेक्ट्रम में तगड़ा कॉम्पिटिशन
यूपी-ईस्ट सर्किल में 1800 MHz स्पेक्ट्रम के लिए काफी लंबी बोली चली। इस स्पेक्ट्रम की प्रति यूनिट कीमत बढ़कर 160.57 करोड़ रुपए हो गई, जो इसके 91 करोड़ रुपए प्रति MHz बेस प्राइस से लगभग 76.5% ज्यादा है। इस सर्कल में 10 करोड़ मोबाइल ग्राहक हैं। एयरवेव्स को लेकर जियो और एयरटेल के बीच तगड़ा कॉम्पिटिशन देखने को मिला। सोमवार को 5जी स्पेक्ट्रम के लिए 38वें दौर की बोली थी।

इन फ्रीक्वेंसी बैंड के लिए थी नीलामी
नीलामी विभिन्न लो फ्रीक्वेंसी बैंड (600 MHz, 700 MHz, 800 MHz, 900 MHz, 1800 MHz, 2100 MHz, 2300 MHz, 2500 MHz), मीडियम (3300 MHz) और हाई फ्रीक्वेंसी बैंड (26GHz) में रेडियो वेव्स के लिए आयोजित की जाएगी। ये बैंड ऑपरेटरों को अपने नेटवर्क कवरेज को मजबूत करने में मदद करेंगे। 10 बैंड में से, 600 MHz, 700 MHz, 3.3 GHz और 26 GHz बैंड कभी आवंटित नहीं किए गए थे।

अक्टूबर से देश में 5G सर्विस
टेलीकॉम मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘स्पेक्ट्रम एलॉकेशन 10 अगस्त तक होगा और 5G सर्विस अक्टूबर तक शुरू होने की उम्मीद है।’ वैष्णव ने कहा कि स्पेक्ट्रम की बेहतर उपलब्धता से देश में टेलीकॉम सर्विसेज की क्वालिटी में सुधार होगा।

स्पेक्ट्रम क्या है और यह कैसे काम करता है?
एयरवेव्स इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के भीतर रेडियो फ्रीक्वेंसी हैं जो टेलीकॉम सहित कई सर्विसेज के लिए वायरलेस तरीके से सूचना ले जा सकती हैं। सरकार इन एयरवेव्स का मैनेजमेंट और आवंटन करती है। स्पेक्ट्रम को लो फ्रीक्वेंसी से लेकर हाई फ्रीक्वेंसी तक के बैंड में डिवाइड किया जा सकता है। हाई-फ्रीक्वेंसी वेव ज्यादा डेटा ले जाती हैं और लो-फ्रीक्वेंसी वेव की तुलना में तेज होती हैं, लेकिन इन्हें आसानी से ब्लॉक या ऑब्सट्रक्ट किया जा सकता है। लोअर-फ्रीक्वेंसी वेव वाइडर कवरेज प्रदान कर सकती हैं।

इंटरनेट का पांचवां जनरेशन 5G
इंटरनेट नेटवर्क के पांचवें जनरेशन को 5G कहते हैं। यह एक वायरलेस ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस है, जो तरंगों के जरिए हाई स्पीड इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराती है। इसमें मुख्य तौर पर तीन तरह के फ्रीक्वेंसी बैंड होते हैं।

  • लो फ्रीक्वेंसी बैंड- एरिया कवरेज में सबसे बेहतर, इंटरनेट स्पीड 100 Mbps, इंटरनेट स्पीड कम
  • मिड फ्रीक्वेंसी बैंड- इंटरनेट स्पीड लो बैंड से ज्यादा 1.5 Gbps, एरिया कवरेज लो फ्रीक्वेंसी बैंड से कम, सिग्नल के मामले में अच्छा
  • हाई फ्रीक्वेंसी बैंड- इंटरनेट स्पीड सबसे ज्यादा 20 Gbps, एरिया कवर सबसे कम, सिग्नल के मामले में भी अच्छा

5G के शुरू होने से काम होगा आसान
5G इंटरनेट सेवा के शुरू होने से भारत में काफी कुछ बदलने वाला है। इससे न सिर्फ लोगों का काम आसान होगा, बल्कि एंटरटेनमेंट और कम्युनिकेशन सेक्टर में भी काफी कुछ बदल जाएगा। 5G के लिए काम कर रही कंपनी एरिक्सन का मानना है कि 5 साल में भारत में 50 करोड़ से ज्यादा 5G इंटरनेट यूजर की संख्या होने वाली है।

5G शुरू होने से क्या फायदे होंगे?

  • पहला फायदा तो ये होगा कि यूजर तेज स्पीड इंटरनेट इस्तेमाल कर सकेंगे।
  • वीडियो गेमिंग के क्षेत्र में 5G के आने से बड़ा बदलाव होगा।
  • वीडियो बिना बफरिंग या बिना रुके स्ट्रीम कर सकेंगे।
  • इंटरनेट कॉल में आवाज बिना रुके और साफ-साफ आएगी।
  • 2 GB की मूवी 10 से 20 सेकेंड में डाउनलोड हो जाएगी।
  • कृषि क्षेत्र में खेतों की देखरेख में ड्रोन यूज संभव होगा।
  • मेट्रो और बिना ड्राइवर चलने वाली गाड़ियों को ऑपरेट करना आसान होगा।
  • वर्चुअल रियलिटी और फैक्ट्री में रोबोट यूज करना ज्यादा आसान होगा।

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