Quick News Bit

भारतीय एथलीट शर्मिला के दर्द और जज्बे की कहानी: पति नशे में पीटता था, 34 की उम्र में खेलना शुरू किया; अब गोल्ड जीतना है

0
  • Hindi News
  • Sports
  • Haryana Rewari Athlete Sharmila Struggle Story | Commonwealth Games

बर्मिंघमकुछ ही क्षण पहले

मेरा पति शराब पीकर मुझसे मारपीट करता था। आज भी जब मैं उस बारे में सोचती हूं तो कांप उठती हूं। दूसरी बेटी के जन्म के एक महीने बाद जब बात हद से बाहर निकल गई तब मेरे घर वाले मुझे वापस ले आए। मैं 6 साल तक मायके में रहीं। बाद में मेरे माता-पिता ने मेरी दूसरी शादी करवाई। मैं काफी डरी हुई थी, लेकिन मेरे दूसरे पति ने मेरे सोच को ही बदल कर रखा दिया। उन्होंने मुझे दोनों बेटियों के साथ अपनाया और मुझे पैरा खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। मैं 34 साल की उम्र में दूसरे पति की प्रेरणा के कारण ही खेलना शुरू किया, अब मैं सब कुछ भूलाकर कॉमनवेल्थ गेम्स में देश के लिए मेडल जीतना चाहती हूं और बर्मिंघम में तिंरगा फहराना चाहती हूं।

यह कहानी है बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए पैरा केएफ-57 कैटेगरी में चयनित शॉटपुटर शर्मीला की। दैनिक भास्कर से शर्मीला ने अपने जीवन के संघर्षों को शेयर किया। प्रस्तुत है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश…

पैरा एथलीट शर्मिला से प्रधानमंत्री मोदी ने 20 जुलाई को बात की थी और उनकी कहानी सुनकर उन्हें देश के लिए प्रेरणा बताया था।

पैरा एथलीट शर्मिला से प्रधानमंत्री मोदी ने 20 जुलाई को बात की थी और उनकी कहानी सुनकर उन्हें देश के लिए प्रेरणा बताया था।

सवाल- आप अपने संघर्षों के बारे में बताएं?
जवाब- बचपन से ही मेरा संघर्ष शुरू हो गया। मां ब्लाइंड थी। हालांकि, मेरे पापा शारीरिक रूप से ठीक थे। हम तीन बहनें और एक भाई हैं। मुझे छोड़कर सभी शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं। पापा ने खेती-और मजदूरी कर हम सभी का पालन पोषण किया। मैं जब दो-तीन साल की रहीं होंगी तभी मैं पोलियो ग्रस्त हो गई। मुझे बाएं पैर से चलने में दिक्कत है। गरीबी के कारण दसवीं तक पढ़ाई के बाद ही मेरी शादी कर दी गई।

लड़के की खेती-बाड़ी थी। उसके माता-पिता नहीं थे। ससुराल पहुंची तो पति की असलियत मेरे सामने आई। वह शराब पीता था। हमेशा मुझसे मारपीट करता था। पहली बेटी के पैदा होने के बाद मुझे लगा कि सब ठीक हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

मेरी दूसरी बेटी के जन्म के एक महीने बाद वो शराब पीकर मुझसे मारपीट करने लगा। मेरी दूसरी बेटी ऑपरेशन से हुई थी। हद तो तब हो गई, जब उसने मेरी एक महीने की बेटी को गोद में उठाकर नीचे पटकने की कोशिश की। किसी तरह मैंने बेटी को बचाया। जब घरवालों को पता चला तो वे मुझे लेकर चले गए। 6 साल मायके में रही फिर मेरी दूसरी शादी करा दी गई।

शर्मिला पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग ले रही हैं। नेशनल खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद उनका चयन हुआ है।

शर्मिला पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग ले रही हैं। नेशनल खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद उनका चयन हुआ है।

सवाल- आप 34 साल की उम्र में खेलों में कैसे आईं?
जवाब- जब मेरी दूसरी शादी हुई थी तब मुझे डर लग रहा था। कहीं वे भी पहले पति की तरह न हों। पर ससुराल में कुछ दिन रहने के बाद मेरी सोच बदल गई। मेरे दूसरे पति की किराना की दुकान थी। उन्होंने मेरी दोनों बेटियों के साथ मुझे अपनाया। मेरे दूसरे पति ने मेरा सपोर्ट किया।

मुझे पैरा खेलों के बारे में बताया। मुझे और मेरी दोनों बेटियों को खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। जब मैं स्टेडियम में गई तो कोच टेकचंद के बारे में पता चला। टेकचंद मेरे दूर के भाई हैं। उन्होंने मुझे शॉटपुट के बारे में बताया और वे मुझे इसकी ट्रेनिंग देने लगे। टेकचंद भाई के मार्गदर्शन में एक साल के अंदर ही मैंने नेशनल में मेडल जीता। उसके बाद मैंने लगातार बेहतर प्रदर्शन किया। मेरा सिलेक्शन नेशनल कैंप में हुआ और अब मेरा चयन कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए हुआ है।

हरियाणा सरकार ने नेशनल खेलों में मेडल जीतने के बाद शर्मिला को कैश अवार्ड दिया था और ट्रेनिंग की सारी सुविधा उपलब्ध करवाई।

हरियाणा सरकार ने नेशनल खेलों में मेडल जीतने के बाद शर्मिला को कैश अवार्ड दिया था और ट्रेनिंग की सारी सुविधा उपलब्ध करवाई।

सवाल- आपकी दोनों बेटियां किस-किस खेल में हैं और आप सब कुछ कैसे मेंटेन कर पा रही हैं?
जवाब- मेरी बड़ी बेटी 14 साल की है। वह जेवलिन थ्रो करती है। जबकि छोटी बेटी बैडमिंटन खेलती है। सुबह मैं प्रैक्टिस पर जाती हूं। ट्रेनिंग से लौटती हूं उससे पहले मेरी बेटी रसोई का कुछ काम कर देती है। ट्रेनिंग से लौटने के बाद मैं नाश्ता तैयार करती हूं और बेटियों को स्कूल भेजती हूं।

वहीं, घर के अन्य कामों के लिए मेरे पति ने काम करने वाली बाई लगाई है। स्कूल से लौटने के बाद बेटियां शाम को अपने-अपने ट्रेनिंग में जाती हैं। मैं भी ट्रेनिंग में जाती हूं। शाम को ट्रेनिंग से लौटने के बाद रसोई का काम करती हूं और मेरी बेटियां पढ़ाई करती हैं। पूरे परिवार के सहयोग से हम तीनों प्रैक्टिस जारी रख पाए हैं।

सवाल- आपको सरकार की ओर से किस प्रकार का सहयोग मिला?
जवाब- नेशनल में मेडल जीतने पर हरियाणा सरकार से मुझे कैश अवॉर्ड दिया। वहीं, ट्रेनिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। हमारे पैरा में कैटेगरी डिसाइड होती है। यह अंतरराष्ट्रीय पैरा कमिटी करती है। कैटेगरी का निर्धारण विदेश में विशेषज्ञों की कमिटी करती है। यहां पर जाने का सारा खर्च सरकार ने उठाया है। अगर कैटेगरी डिसाइड नहीं होता तो मैं किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पाती।

खबरें और भी हैं…

For all the latest Sports News Click Here 

 For the latest news and updates, follow us on Google News

Read original article here

Denial of responsibility! NewsBit.us is an automatic aggregator around the global media. All the content are available free on Internet. We have just arranged it in one platform for educational purpose only. In each content, the hyperlink to the primary source is specified. All trademarks belong to their rightful owners, all materials to their authors. If you are the owner of the content and do not want us to publish your materials on our website, please contact us by email – [email protected]. The content will be deleted within 24 hours.

Leave a comment