फीचर आर्टिकल: क्रिप्टोकरेंसी की भारत में स्थिति और निवेशकों का भविष्य
नई दिल्ली9 घंटे पहले
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पिछले कुछ समय में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश सबसे हॉट इन्वेस्टमेंट के रूप में उभरा है। खासकर युवा निवेशकों के बीच यह तेजी से लोकप्रिय हुआ है। परंपरागत रूप से सुरक्षित तरीके से पैसा लगाने वाले निवेशक भी इसमें लगातार दिलचस्पी ले रहे हैं।
जहां एक और ब्लॉकचेन की मुख्य भूमिका वाले वेब 3.0 की बात हो रही है, वहीं देश में स्टार्टअप कल्चर भी तेजी से पैर पसार रहा है। ऐसे में दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी वाले देशों में शुमार भारत इस कल्चर को तेजी से अपना रहा है और ब्लॉकचेन आधारित तकनीकों पर बहुत अधिक ध्यान दिया जा रहा है।
क्रिप्टो टैक्स: क्रिप्टो निवेश अब मुख्यधारा में आ चुका है
भारत में क्रिप्टोकरेंसी निवेशक हमेशा से इस बात को लेकर आशंकित रहे हैं कि देश में यह निवेश कानूनी रूप से वैध है या नहीं! इसी धारणा को स्पष्ट करने के लिए पहली बार देश में इस साल के बजट में क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स की बात की गई है।
इस वर्ष के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर अब 30 प्रतिशत कर लगेगा। कराधान उद्देश्य के लिए, क्रिप्टोकरेंसी को अब वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) की परिभाषा में शामिल कर लिया गया है।
इसके अलावा, लेन-देन के विवरण को विनियमित और कैप्चर करने के लिए क्रिप्टो एक्सचेंज या किसी अन्य भुगतानकर्ता द्वारा क्रिप्टोकरंसी के विक्रेता से 1 प्रतिशत टीडीएस की कटौती का भी प्रावधान किया गया है, यदि कुल भुगतान 10,000 रुपए वार्षिक से ऊपर है। यह प्रावधान 1 जुलाई 2022 से लागू किए जा रहे हैं।
इस तरह से कहा जा सकता है कि अब भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश पूरी तरह से कानूनी रूप से वैध हो चुका है। जहां तक अधिक कर की बात है तो यह एक लचीली व्यवस्था है। यह शुरुआती समय है और आने वाले समय में इस पर अधिक विचार किया जाएगा। इसके बाद निवेशकों को हित को देखते हुए इसमें आवश्यक बदलाव किए जा सकते हैं।
भारत बन रहा वेब 3.0 हब
वेब3 या वेब 3.0 एक नई शब्दावली है, जो ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है। इसका अर्थ एक ऐसे इंटरनेट स्पेस से है, जो विकेन्द्रीकृत प्रक्रिया को बढ़ावा देता है। सरल शब्दों में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के पास इंटरनेट चरण के स्वामी होने की शक्ति होती है। इसके अनुसार इंटरनेट की दुनिया में आम इंटरनेट उपयोगकर्ता शेयरधारक होंगे।
वेब 3.0 मूल रूप से यह निर्धारित करता है कि किसी दिए गए इंटरनेट व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र में भाग लेने वाले सभी विभिन्न हितधारक अपने डेटा पर नियंत्रण कैसे बनाए रखते हैं। अच्छी बात यह है कि भारत धीरे-धीरे वेब 3.0 अर्ली एडॉप्टर के रूप में विकसित हो रहा है, जिसमें पूरे देश में कार्यक्रमों की योजना तेजी से बनाई जा रही है।
वेब 3.0 में इकोसिस्टम के लिए क्रिप्टो एसेट की जरूरत होती है और यही वजह है कि वेब 3.0 क्रिप्टो करेंसी के अभाव में सफल नहीं हो सकता। नए इकोसिस्टम में एक्सचेंज के मीडियम के रूप में क्रिप्टोकरेंसी का होना जरूरी है। यही कारण है कि वेब 3.0 का क्रेज क्रिप्टो व्यापार को और आगे ले जाएगा।
भारत में क्रिप्टो निवेश: लगातार विकास के पथ पर अग्रसर
भारत में क्रिप्टो निवेशक और HODLers उत्साहित हैं और आशावाद से भरे हुए हैं। HODLers शब्द का चलन क्रिप्टो करेंसी को खरीदकर उसे लंबे समय तक होल्ड करने वाले लोगों के लिए किया जाता है। भारत में क्रिप्टो को वैधानिक मान्यता मिलने, वेब 3.0 को जल्दी अपनाने की स्पर्धा और निवेश के लिए आधुनिक विकल्प ने अग्रणी क्रिप्टो एक्सचेंजों रजिस्टर्ड यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ाई है।
कॉइनस्विच कुबेर प्लेटफॉर्म पर 15 मिलियन यानी डेढ़ करोड़ से अधिक यूजर्स हैं और कंपनी अपनी वर्कफोर्स को दिसंबर 2022 तक 1000 तक पहुंचाना चाहती है। कॉइनस्विच भारत का पहला ऐसा क्रिप्टो एक्सचेंज होगा, जो अपनी टीम में वेब 3.0 इंजीनियर्स की भर्ती करेगा। इसके अलावा क्रिप्टो के निवेशक इस वजह से भी बढ़ रहे हैं क्योंकि लोग बड़े पैमाने पर निवेश के दूसरे विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।
इसमे शामिल है: एनएफटी, मेटावर्स-संचालित निवेश और डिफाइ-आधारित निवेश।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि भारत में क्रिप्टो में काफी संभावनाएं हैं। निवेशकों की दिलचस्पी के साथ ही वेब 3.0 के विकास की वजह से क्रिप्टो समय की मांग बन चुके हैं। आधुनिक युग में नवीनतम तकनीकों के साथ यदि किसी निवेश को सबसे अधिक पसंद किया जा रहा है तो वह क्रिप्टो निवेश ही है।
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