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पैरालिंपिक में गोल्ड जीतने वाले सुमित की कहानी: 6 साल पहले सड़क हादसे में गंवाना पड़ा था एक पैर, सात साल की उम्र में सिर से उठा था पिता का साया, आज पूरा किया मां से निभाया वादा

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2 घंटे पहले

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दिव्यांगता शरीर में तो हो सकती है, मगर जो लोग अपने दिल व दिमाग पर इसे हावी नहीं होने देते वह दुनिया के लिए मिसाल बन जाते हैं। अब जैवलिन थ्रो के खिलाड़ी सुमित अंतिल को ही ले लीजिए। टोक्यो पैरालिंपिक खेलों में सोमवार को सुमित अंतिल ने देश को दूसरा गोल्ड मेडल दिलाया। सुमित ने जैवलिन थ्रो की F64 कैटेगरी में वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल अपने नाम किया। उन्होंने फाइनल में 68.55 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ मेडल जीता।

सात साल की उम्र में सिर से उठा था पिता का साया
हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले सुमित अंतिल का जन्म 7 जून 1998 को हुआ था। सुमित जब सात साल के थे, तब एयरफोर्स में तैनात उनके पिता रामकुमार की बीमारी से मौत हो गई थी। पिता का साया उठने के बाद मां निर्मला देवी ने गरीबी और हर दुख सहन करते हुए अपने चारों बच्चों का पालन पोषण किया। सुमित चार भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं।

2015 में हुआ एक दर्दनाक हादसा
सुमित की मां निर्मला देवी के मुताबिक, सुमित जब 12वीं कक्षा में कॉमर्स का ट्यूशन लेता था। 5 जनवरी 2015 की शाम को वह ट्यूशन लेकर बाइक से वापस घर आ रहा था, तभी सीमेंट के कट्टों से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली ने सुमित को टक्कर मार दी थी और काफी दूर तक घसीटते हुए ले गई थी। इस हादसे में सुमित को अपना एक पैर गंवाना पड़ा। कई महीनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद निर्मला देवी, सुमित को 2016 में पुणे लेकर गईं जहां उनको नकली पैर चढ़वाया गया।

मां से किया था वादा
निर्मला देवी के अनुसार, जब वह सुमित के साथ हुए हादसे से दुखी तब सुमित ने कहा था ‘मां रो मत, मैं आपको जीवर की हर एक खुशी दूंगा।’ आज वाकई में सुमित ने अपनी इस बात को सच साबित कर दिखाया और अपनी मां को पैरालिंपिक खेलों में गोल्ड जीत सबसे बड़ी खुशी दी।

रिश्तेदारों से मिली प्रेरणा
एक पैर गंवाने के बाद भी सुमित ने न कभी हार मानी और न ही उदास हुए। रिश्तेदारों और दोस्तों ने सुमित को काफी प्रेरित किया और उनका ध्यान खेलों की तरफ खींचा, जिसके बाद वह साई सेंटर पहुंचे। साई सेंटर में उनका मार्गदर्शन सिल्वर मेडल विजेता कोच वीरेंद्र धनखड़ ने किया और उन्हें लेकर दिल्ली पहुंचे। दिल्ली में सुमित ने द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच नवल सिंह से जैवलिन थ्रो को गुर सीखे।

2019 वर्ल्ड चैंपियनशिप में छोड़ी छाप
सुमित अंतिल ने साल 2018 में एशियन चैंपियनशिप में भाग लिया, लेकिन पांचवीं रैंक ही प्राप्त कर सकें। इसके बाद 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप उन्होंने सिल्वर मेडल जीता। सुमित यही नहीं रूके और इसी साल नेशनल गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर खुद को साबित किया। इसके बाद उन्होंने 2019 के पेरिस ओपन हैंडीक्राफ्ट में सिल्वर मेडल जीता। 2019 में ही दुबई में हुए वर्ल्ड पैरा-एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी सुमित सिल्वर जीतने में सफल रहे।

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