पैरालिंपिक्स में भारत की भविनाबेन का कमाल: डिफेंडिंग चैंपियन और 4 बार की मेडलिस्ट खिलाड़ी को हराकर सेमीफाइन में पहुंचीं; सकिना पावरलिफ्टिंग में पांचवें स्थान पर रहीं
- Hindi News
- Sports
- Olympic Games Tokyo 2020 India’s Bhavinaben Patel Reached The Quarterfinals Of Table Tennis At The Ongoing Paralympic Games In Tokyo; Sakina Khatoon Ranked Fifth In Powerlifting
टोक्यो4 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
भाविनाबेन पटेल पैरालिंपिक गेम्स में टेबल टेनिस में सेमीफाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं।
भारत की भाविनाबेन पटेल टोक्यो में जारी पैरालंपिलिक गेम्स में टेबल टेनिस के विमेंस सिंगल्स के सेमीफाइनल में पहुंच गई है। उन्होंने क्वार्टर फाइनल मुकाबले में सर्बिया की बोरिस्लावा रैंकोविच पेरिच को लगातार तीन गेम में 11-5, 11-6, 11-7 से हराया। दूसरी ओर भारत की सकिना खातून पावरलिफ्टिंग में मेडल से चूक गईं और पांचवें स्थान पर रहीं।
भाविनाबेन पटेल ने इससे पहले प्री क्वार्टर फाइनल में ब्राजील की जॉयज डि ओलिवियरा को 12-10, 13-11, 11-6 से मात दी थी। वह पैरालिंपिक के अंतिम-8 और सेमीफाइनल में पहुंचने वाले पहली भारतीय पैरा टेबल टेनिस खिलाड़ी बन गई हैं।
क्या होती है क्लास-4 कैटेगरी
क्लास-4 कैटेगरी के एथलीट का बैठने का संतुलन बरकरार रहता है और उसके दोनों हाथ ठीक होते हैं। उनकी दिव्यांगता लोअर स्पाइन की समस्या के कारण हो सकती है या वे सेरिब्रल पाल्सी का शिकार होते हैं। पैरा टेबल टेनिस के क्लास 1 से 5 तक के एथलीट व्हीलचेयर पर खेलते हैं। क्लास 6 से 10 तक के एथलीट खड़े होकर खेल सकते हैं। वहीं, क्लास-11 के एथलीटों में मानसिक समस्या होती है। व्हील चेयर स्टैंडिंग पॉजिशन में क्लास की संख्या जितनी कम होती है उनकी शारीरिक क्षमता उतनी ज्यादा प्रभावित होती है। यानी क्लास-1 के एथलीट की शारीरिक क्षमता सबसे ज्यादा प्रभावित होती है।

सकीना खातून पावरलिफ्टिंग में क्वालिफाई करने वाली पहली महिला खिलाड़ी हैं।
सकिना खातून पांचवे स्थान पर रहीं
पैरालिंपिक में देश का पावरलिफ्टिंग के 50 किलो वेट में प्रतिनिधित्व करने वाली देश की पहली महिला पावरलिफ्टर सकिना खातून पांचवें स्थान पर रहीं। उन्होंने 93 किलो वेट उठाया। पावरलिफ्टिंग में हर खिलाड़ी को तीन चांस दिए जाते हैं, जिसमें से उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन गिना जाता है। सकीना खातून ने पहले चांस में 90 किलोग्राम का वजन उठाया। इसके बाद अगले दो प्रयासों में उन्होंने 93 किलो ग्राम का वजन उठाया। चीन की एचयू डी पे ने 120 वेट उठाकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। दूसरे स्थान पर इजिप्ट की आर अहमद रहीं। उन्होंने 120 किलोग्राम उठाया था, पर एक एक फेल अटेंप्ट के कारण वह सिल्वर मेडल ही अपने नाम कर पाईं।
बचपन में ही पोलियो की शिकार
20 जून 1989 को जन्मी सकीना खातून बचपन में ही पोलियो का शिकार हो गई थीं। सकीना खातून का जन्म बेंगलुरु में हुआ था। सकीना खातून के परिवार वाले उनके भविष्य को लेकर हमेशा परेशान रहते थे, परंतु सकीना ने वह कर दिखाया जिससे उनके परिवार वालों को उन पर नाज हो रहा है। साल 2010 में सकीना की सर्जरी होने के बाद उन्होंने पावर लिफ्टिंग की प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। उस समय सकीना 12वीं कक्षा में पढ़ रही थीं।
कॉमनवेल्थ गेम्स में 2 मेडल जीत चुकी हैं
साल 2014 में सकीना ने कॉमनवेल्थ गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व किया और उन्होंने 61 किलो वेट में 88.2 किग्रा वजन उठाकर 61 ब्रॉन्ज मेडल जीता। वहीं 2018 में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था। सकीना ने दुबई में आयोजित पैरा पावरलिफ्टिंग में 80 किलोग्राम वजन उठाकर 45 किलोग्राम वाली कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं।
For all the latest Sports News Click Here
For the latest news and updates, follow us on Google News.