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- Average Sale Of One Thousand Liters Of Petrol And About 12 Hundred To Fifteen Hundred Liters Of Diesel Decreased At Pumps In Punjab
जालंधर22 मिनट पहलेलेखक: सुनील राणा
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प्रतीकात्मक फोटो
दिन प्रतिदिन बढ़ रही पेट्रोल डीजल की कीमतों का असर इसकी सेल पर भी पड़ने लगा है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बे तहाशा वृद्धि के कारण लोगों ने अब अपने वाहनों से तौबा करनी शुरू कर दी है। अपने वाहनों को घरों में खड़ा करके पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सहारा लेना शुरू कर दिया है। इसी का नतीजा है कि यदि किसी पंप पर पेट्रोल की चार हजार लीटर की सेल थी तो वह घटकर सीधे तीन हजार लीटर रह गई और डीजल की सेल भी 28-29 सौ लीटर के पास पहुंच गई है। इसका घाटा पेट्रोलियम कंपनियों को तो हो ही रहा है लेकिन इस का सबसे बड़ा नुकसान पेट्रोल पंप मालिकों को उठाना पड़ रहा है।
पेट्रोल डीजल की सेल कम होने के उनकी कमाई में भी खासी कमी आ गई है। बता दें कि पेट्रोल पंप पर मालिकों को कमिशन सेल पर मिलता है न कि कमाई पर। तेल की सेल कम हो जाने पर इसका घाटा सीधा-सीधा पेट्रोल पंप मालिकों को हो रहा है। कंपनियों की तो सिर्फ सेल ही कम हुई है लेकिन तेल की कीमतें तो वह पूरी वसूल रहे हैं।
लेकिन पेट्रोल पंप मालिकों को दोहरी मार पड़ रही है। कीमतें बढ़ने से सेल भी कम हो गई औऱ कमाई भी घट गई। पेट्रोल पंप मालिकों का खुद ही कहना है कि सेल कम होने के कारण उन्हें महीने में नब्बे से लेकर एक लाख रूपये तक का घाटा हो रहा है। यह घाटा इतना है कि इससे पेट्रोल पंप पर यदि छह लोग काम कर रहे हैं तो उनकी सेलिरियां दी जा सकती हैं। आकंड़ों के मुताबिक जब से कीमतें बढ़ी हैं तब से पेट्रोल की बिक्री में करीब 10 प्रतिशत डीजल की मांग में 15.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। बता दें कि चुनाव से पहले पिछली बार जब कीमतें बढ़ीं थी तो राज्य और केंद्र सरकार ने अपने-अपने स्तर पर तेल के रेट फिक्स कर दिए थे लेकिन 22 मार्च को सरकारी तेल कंपनियों ने रेट बढ़ा दिए थे।
तेल की कीमतें बढ़ी पर पांच साल से नहीं बढ़ा कमिशन
पेट्रोलियम एसोसिएशन के मोंटी सहगल का कहना है कि सेल कम होने से उन्हें सीधा-सीधा घाटा सहन करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इसका इम्पैक्ट अभी नहीं लेकिन एक साल बाद जब ऑडिट होगा तब सामने आएगा। उन्होंने कहा कि पेट्रोल डीजल की कीमतें बढ़ने से महंगाई अपने चरम पर पहुंच गई है। हर घर का बजट गड़बड़ा गया है। लोग अपने वाहन चलाने के बजाय अब पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर आ गए हैं। उन्होंने कहा कि वह पेट्रोलियम कंपनियों को कई बार लिख चुके हैं के उनकी कमिशन रिवाइज करके अब बढ़ाई जाए। लेकिन अभी तक उस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा कि अंतिम बार 2017 में कमिशन रिवाइज हुई थी लेकिन पांच बाद भी वही चल रही है जबकि तेल की कीमतों में पचास से लेकर पैंसठ प्रतिशत तक का इजाफा हो चुका है। पांच साल में खाने-पीने का सामान की कीमतें आसमान पर पहुंच गई हैं लेकिन उनकी कमिशन अब भी वहीं की वहीं खड़ी है।
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