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पहलवान दीपक के पिता की उम्मीद रोशन: सुभाष पूनिया बोले- तपस्या का फल मिलने वाला है, चाहता हूं बेटा देश को तोहफे में मेडल दे

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झज्जर6 घंटे पहले

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टोक्यो ओलिंपिक में बुधवार को 86 किलो वेट में दीपक पूनिया सेमीफाइनल में पहुंचकर मेडल से एक कदम दूर हैं। वे हरियाणा के झज्जर जिले के रहने वाले हैं। दीपक के पिता सुभाष पूनिया ने भास्कर से बातचीत में कहा कि वे चाहते हैं कि बेटा ओलिंपिक मेडल जीतकर देश को तोहफा दे। जब वह 2015 में छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग करने के लिए चला गया था, तो उस दौरान मैं रोजाना झज्जर से उसे दूध, फल और खाना देने जाता था। आज मुझे लगता है कि मेरे त्याग का फल मिलने वाला है और दीपक देश के लिए मेडल लेकर ही टोक्यो से लौटेंगे।

गांव में सीखे शुरुआती दांव पेंच
सुभाष पूनिया ने बताया कि दीपक ने शुरुआती दांव-पेंच गांव के कुश्ती अखाड़े में ही कोच वीरेंद्र कुमार से सीखे। उन्होंने पांच साल की उम्र में ही अखाड़े जाना शुरू कर दिया था। जब वे स्टेट और नेशनल में मेडल जीतने लगे तो अंतरराष्ट्रीय पहलवान और ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार उन्हें छत्रसाल स्टेडियम में ले गए। वहां पर सुशील और महाबली सतपाल ने उनका मार्गदर्शन किया। उन्होंने ही दीपक के रहने की व्यवस्था स्टेडियम में की।

पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में बने चैंपियन
दीपक अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में ही चैंपियन बने। 2016 में कैडेट वर्ल्ड चैंपियनशिप में पहली बार देश का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने इस चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। वे महज 17 साल की उम्र में ही विश्व चैंपियन बने। 2019 में अपनी पहली सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में 86 किग्रा वर्ग में सिल्वर मेडल जीता। यहां से ही उन्हें ओलिंपिक कुश्ती टीम का टिकट मिला।

दीपक पूनिया ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार के साथ।

दीपक पूनिया ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार के साथ।

वजन कम करने के लिए 6 महीने से नहीं खा रहे हैं घी सुभाष ने बताया कि दीपक पूनिया का वजन बढ़ने लगा था, ऐसे में टोक्यो में उन्हें वजन हासिल करने में परेशानी न हो, इसलिए वे पिछले छह महीने से घी नहीं खा रहे हैं। वे शाकाहारी हैं। दीपक हरी सब्जियों के सूप और दाल का पानी ज्यादा लेते हैं।

सेना में सूबेदार
दीपक पूनिया 2018 से सेना में सूबेदार हैं। सुभाष ने बताया कि बेटे की नौकरी में लग जाने के बाद घर की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। दीपक के कहने पर उन्होंने डेयरी का काम बंद कर दिया। दीपक तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। इनसे बड़ी दो बहनें हैं और दोनों की शादी हो चुकी है। दीपक की मां का निधन पिछले साल हो गया था।

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