लंदन14 मिनट पहले
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टोक्यो ओलिंपिक में जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीतने वाले भारतीय जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा की वर्ल्ड रैंकिंग में भी इजाफा हुआ है। वह वर्ल्ड नंबर -2 पर पहुंच गए हैं। उनसे ऊपर जर्मनी के जोहानस वेटर हैं। नीरज के 1315 पॉइंट हैं, जबकि वेटर के 1396 पॉइंट हैं। वहीं पोलैंड के मार्सिन क्रुकोवस्की तीसरे, चेक गणराज्य के जैकब वाडलेजच चौथे और जर्मनी के जूलियन वेबर पांचवें नंबर पर हैं।
नीरज ने टोक्यो खेलों में 87.58 मीटर जेवलिन फेंककर देश को ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में पहला ओलिंपिक मेडल दिलाया था। वे ओलिंपिक में भारत की ओर से इंडिविजुअल में गोल्ड मेडल जीतने वाले दूसरे खिलाड़ी हैं। 13 साल पहले 2008 में बीजिंग ओलिंपिक में अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर राइफल में देश के लिए गोल्ड मेडल जीता था।
नीरज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 7 मेडल जीत चुके हैं
नीरज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 7 बड़े टूर्नामेंट में मेडल जीत चुके हैं। टोक्यो ओलिंपिक में गोल्ड जीतने के अलावा वे 2018 में जकार्ता एशियन गेम्स, गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स, 2017 में एशियन चैंपियनशिप, 2016 में साउथ एशियन गेम्स, 2016 में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। जबकि 2016 में जूनियर एशियन चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता था।
नीरज का लक्ष्य वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड जीतना
नीरज चोपड़ा सभी बड़े टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। वह ओलिंपिक सहित कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में भी देश के लिए गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। लेकिन वह अब तक वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल नहीं जीत पाए हैं। वह 2016 में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में देश के लिए गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। सीनियर में उन्हें अब तक कामयाबी नहीं मिली है। ऐसे में उनका लक्ष्य अगले साल अमेरिका में होने वाली वलर्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतना है। विश्व चैंपियनशिप अमेरिका के इयुगेन में इस साल होनी थी, लेकिन कोरोना की वजह से टोक्यो ओलंपिक को एक साल के लिये स्थगित किये जाने के बाद इसे 2022 में आयोजित करने का फैसला किया गया। अब इसका आयोजन 15 से 24 जुलाई 2022 के बीच होगा।
नेशनल कैंप में शामिल होना टर्निंग पॉइंट
टोक्यो में गोल्ड मेडल जीतने के बाद नीरज इंटरव्यू में कह चुके हैं कि नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पांचवें स्थान पर रहने के बावजूद भारतीय एथलेटिक्स संघ ने उन्हें नेशनल कैंप में शामिल किया था, यह उनके करियर का टर्निंग पॉइंट रहा। नेशनल कैंप से जुड़ने से पहले चोपड़ा पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में अभ्यास कर रहे थे। उन्होंने कहा- हम अच्छा अभ्यास कर रहे थे, लेकिन सुविधाएं, उपकरण, आहार वहां (पंचकुला) अच्छे नहीं थे, लेकिन एक बार जब मैं नेशनल कैंप (एनआईएस पटियाला) से जुड़ा तो सब कुछ बदल गया।
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