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नई दिल्ली2 घंटे पहले
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सोने और चांदी का इस्तेमाल आभूषणों के अलावा निवेश के लिए भी किया जाता है। पारम्परिक तौर पर भारत में लोग लम्बे समय से सोने और चांदी में निवेश करते आए हैं। वजह यह है कि एक तो लोग सोन- चांदी में निवेश को सुरक्षित मानते हैं और दूसरा क्योंकि इनके दाम सीधे तौर पर महंगाई से जुड़े होते हैं इसलिए महंगाई बढ़ने के साथ-साथ सोने-चांदी के दामों में भी बढ़ौतरी देखी जा सकती है जिसका फायदा निवेशकों को मिलता है।
पिछले कुछ सालों में सोने में निवेश के कई विकल्प खुल गए जैसे कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम, गोल्ड ETF और गोल्ड म्यूचुअल फण्ड आदि चांदी में निवेश के लिए अब तक सीमित विकल्प मौजूद थे जैसे कि चांदी के गहने और सिक्के लेकिन सेबी द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद अब सिल्वर ETF और फण्ड और फण्ड का विकल्प भी खुल गया है। पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट और ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के संस्थापक व सीईओ पंकज मठपाल आपको इनके बारे में बता रहे हैं।
चांदी में निवेश के फायदे
सिल्वर यानि चांदी का इस्तेमाल आभूषणों के अलावा औद्योगिक क्षेत्र जैसे की सोलर पैनल, मेडिकल इंस्ट्रूमेंट, रिन्यूएबल एनर्जी, स्विचेस, और सैटेलाइट इत्यादि में भी होता है इसलिए चांदी की मांग भविष्य में और भी बढ़ने की संभावना है जिससे निवेशकों को मुनाफा हो सकता है। चांदी विद्युत की सुचालक है। हालांकि यह ताम्बे की तुलना में महंगी है लेकिन विशेष औद्योगिक विद्युत उत्पादों में जहां लागत के हिसाब से सम्भव हो सके चांदी का इस्तेमाल होता है। साथ ही सिल्वर का इक्विटी के साथ को-रिलेशन यानी कि पारस्परिक सम्बन्ध अच्छा नहीं है।
यानी की यदि कभी शेयर बाजार में मंदी आती है तो उस वक्त सिल्वर में तेजी देखी जा सकती है। इसलिए डायवर्सिफिकेशन के हिसाब से भी इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में सिल्वर का होना सही साबित हो सकता है। यदि दो असेट के बीच गहरा पारस्परिक सम्बन्ध हो तो एक समय पर दोनों में एक साथ तेजी या गिरावट देखी जा सकती है लेकिन शेयर बाजार और चाँदी के बीच ऐसा जरूरी नहीं है।
अनिश्चितता में मिल सकता है बेहतर रिटर्न
अनिश्चितता के माहौल में चांदी की मांग और भी बढ़ जाती है क्योंकि चांदी को ऐसी स्तिथि में एक सुरक्षित निवेश के रूप में देखा जाता है। 2008- 2009 की वैश्विक मंदी के दौरान 1 जनवरी 2008 से 27 फरवरी 2009 के बीच जहां निफ्टी-50 टोटल रिटर्न इंडेक्स ने 54.43% का घाटा दर्ज किया था, वहीं सिल्वर ने 13.08% की बढ़त दर्ज की थी। कहने का मतलब यह है की बाकी चीजों के साथ सिल्वर में निवेश होने से पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन का फायदा मिलता है।
ऐतिहासिक तौर पर देखा गया है कि जब-जब महंगाई बड़ती है तब चांदी के दाम बढते हैं और ऐसे में चांदी निवेश का एक आकर्षक विकल्प बन जाती है। पिछले लगभग एक दशक में चांदी की उद्योग जगत में काफी मांग बड़ी है। हालांकि पिछले प्रदर्शन से इस बात की गारंटी नहीं मिलती कि भविष्य में भी वैसा ही प्रदशन देखने को मिलेगा किन्तु यह जानकर अच्छा लगता है कि चांदी ने पिछले तीन साल में लगभग 74 प्रतिशत का शुद्ध मुनाफा दर्ज किया है।
निवेश के विकल्प
निवेशकों के पास अब ETF फण्ड ऑफ फण्ड की सुविधा है। सिल्वर ETF निवेशकों के पैसों को सिल्वर यानि कि चांदी में निवेश करते हैं और सिल्वर ईटीएफ फण्ड ऑफ फण्ड सिल्वर ETF में। तो सिल्वर फण्ड ऑफ फण्ड और सिल्वर ETF दोनों का ही निवेश आखिर में चांदी में ही होता है। ETF में निवेश के लिए डीमैट अकाउंट की आवश्यकता होती है किन्तु फण्ड ऑफ फण्ड में डीमैट अकाउंट के बिना भी निवेश किया जा सकता है।
सिल्वर ETF और फण्ड ऑफ फण्ड का उद्देश्य यह है कि इसमें निवेश करने पर निवेशकों को घरेलु बाजार में शुद्ध चांदी में निवेश पर मिलने वाले मुनाफे के सामान मुनाफा मिल सके। जरूरत पड़ने पर इन्हे आसानी से बेचा जा सकता है और इनके रख-रखाव की लागत भी कम होती है। निवेशक सिल्वर ETF फण्ड ऑफ फण्ड में SIP के जरिए भी निवेश कर सकते हैं।
क्या है टैक्स बेनिफिट?
हालांकि सिल्वर ETF में निवेश करने पर सीधे तौर पर इनकम टैक्स में छूट नहीं मिलती किन्तु यदि तीन साल से अधिक समय तक इसमें निवेशित रहने के बाद इसे बेचा जाए तो इस पर जो लाभ होगा उस पर इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है जिससे मुनाफे पर लगने वाला टैक्स कम हो सकता है।
मार्किट रेगुलेटर सेबी से अनुमति मिलने के बाद ICICI प्रुडेंशियल म्यूचुअल फण्ड ने देश में पहली बार सिल्वर ETF लॉन्च किया है और साथ ही फण्ड ऑफ फण्ड भी लांच करने जा रही है। निवेशक न्यूनतम 100 रुपए से निवेश शुरू कर सकते है। ये दोनों ही ओपन एंडेड स्कीम हैं यानि कि एनएफओ बंद होने के बाद भी बाजार भाव पर इनमें निवेश किया जा सकेगा। आने वाले समय में और भी म्यूचुअल फण्ड कंपनियां सिल्वर ETF लेकर आ सकती हैं।
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