निवेश की बात: इक्विटी में निवेश से हुई तगड़ी कमाई, इसकी सुरक्षा पक्की करने के लिए डेट में लगाएं पैसा
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नई दिल्लीएक घंटा पहले
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2021 आखिरी पड़ाव पर है। यह साल काफी हद तक कोविड महामारी से प्रभावित रहा। महंगाई चरम पर पहुंची और आम लोगों की बचत में बड़ी सेंध लगी। इस बीच शेयर बाजार नई ऊंचाई छूकर लौटा, हालांकि सोना 2020 के रिकॉर्ड लेवल से नीचे ही रहा। माना जा रहा है कि 2022 ज्यादा स्थिर और सहूलियतों वाला साल होगा।
सर्विसेज और पर्यटन जैसे जो क्षेत्र इस साल रिकवरी में पीछे रह गए, नए साल में उनका बिजनेस भी चल पड़ेगा। कुल मिलाकर हालात बदलेंगे। ऐसे में निवेश पोर्टफोलियो में भी बदलाव जरूरी है। इस बार पोर्टफोलियो समीक्षा में डेट की बड़ी भूमिका रहेगी।
सेंट्रल बैंकों के बाजार में झोकने से महंगे हुए शेयर
दरअसल, 2008 से अब तक दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों ने लगभग 25,000 अरब डॉलर (करीब 1,890 लाख करोड़ रुपए) बाजार में झोके हैं और अब भी मनी प्रिटिंग जारी है। इसके चलते शेयरों के दाम काफी बढ़ गए हैं और डेट समेत अन्य एसेट क्लास फीके नजर आ रहे हैं। लेकिन अब भी उनकी अहमियत कम नहीं हुई है।
इक्विटी बाजार में जो रिस्क बढ़ा है, उससे सुरक्षा के लिए डेट इंस्ट्रूमेंट्स काम आएंगे। ICICI प्रूडेंशियल एएमसी के ईडी और सीआईओ एस. नरेन आपको बजा रहे हैं कि आने वाले एक साल में आपको निवेश को लेकर किस तरह की रणनीति रखनी चाहिए।
एसेट एलोकेशन
पोर्टफोलियो में आम तौर पर इक्विटी, डेट और गोल्ड जैसे एसेट होते हैं। इनमें से किसमें कितना पैसा लगाना है (एसेट एलोकेशन), यह निवेश के लक्ष्य और निवेशक की जोखिम उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है। आम तौर पर देखा गया है कि शेयर बाजार में तेजी के दौरान निवेशक एसेट एलोकेशन की बुनियादी बातें नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन यदि आप अगले 5 साल में निवेश से शानदार रिटर्न चाहते हैं तो एसेट एलोकेशन का ध्यान रखें। 1994, 1999 और 2007 में जिन निवेशकों ने ऐसा किया था, वे काफी फायदे में रहे थे।
बैलेंस्ड अप्रोच से फैसले करें, भावनाओं में न बहें
बैलेंस्ड अप्रोच का मतलब है बीते कुछ वर्षों के रुझान को ध्यान में रखते हुए फैसले करना। बीते साल मिड और स्मॉल कैप शेयरों में निवेश अच्छी रणनीति थी, क्योंकि भारी गिरावट के चलते वे अच्छे भाव पर उपलब्ध थे। हो सकता है 2022 में अलग तरह के हालात हों। ऐसे में बूस्टर एसटीपी जैसे टूल मददगार साबित हो सकते हैं। इस सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान में मार्केट वैल्यूएशंस के आधार पर तय समय में एक स्कीम से दूसरे स्कीम में रकम ट्रांसफर की जाती है। यह हर परिस्थिति का फायदा उठाने का उम्दा तरीका है।
कंजरवेटिव बनना बेहतर
बाजार में जब तेजी का रुझान हो तो निवेश के मामले में कंजरवेटिव अप्रोच यानी पोर्टफोलियो में बदलाव न करने की रणनीति अच्छा काम करती है। इसका मतलब है, लालच में न पड़ते हुए एसेट एलोकेशन बनाए रखना। एक बात हमेशा याद रखें जल्द अमीर बनने का कोई फॉर्मूला नहीं होता है। इसलिए डेरिवेटिव ट्रेडिंग में सावधानी बरतें। बाजार जब ऐतिहासिक ऊंचाई पर हो तब निवेश के मामले में कंजरवेटिव बने रहें, लेकिन जैसे ही बाजार गिरकर निचले स्तर पर आ जाए तब आक्रामक खरीदारी शुरू कर दें। कभी भी इस रणनीति के उलट व्यवहार न करें।
डेट में निवेश करने का सही वक्त
डेट मुनाफा कमाने का जरिया नहीं, बल्कि पूंजी सुरक्षित रखने का तरीका है। डेट में निवेश से रिटर्न कम मिल सकता है, लेकिन पूंजी की सुरक्षा बनी रहेगी। जिन निवेशकों ने डेट में पैसा लगाया था और 2020 में बाजार गिरने पर इक्विटी में स्विच किया, उन्हें काफी मुनाफा हुआ। मार्च 2020 में जिन्होंने कमाई के लिए इक्विटी का रुख किया था, अब उन्हें अपना पैसा सुरक्षित रखने के लिए डेट में निवेश करना चाहिए।
एंजॉयमेंट का ध्यान रखें, तनाव न लें
निवेश यदि आपको तनाव दे रहा हो तो समझ लीजिए कि कुछ गलत हो रहा है। पैसा कमाने का उद्देश्य ही तनाव मुक्त रहना होता है। इसलिए यह बात काफी अहमियत रखती है कि निवेश और अन्य स्रोतों से जो कमाई आप कर रहे हैं, उस पैसे का इस्तेमाल मौज-मस्ती (एंजॉयमेंट) के लिए भी करें। इससे आपके भीतर एनर्जी बनी रहेगी। ऐसे में सही फैसलों की संभावना बढ़ेगी।
फंड ऑफ फंड्स आजमाएं और निश्चिंत रहें
यदि आप कंफ्यूज हो रहे हों तो फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) आजमाएं और सारे फैसले फंड मैनेजर पर छोड़ दें। एफओएफ दुनिया में जहां कहीं भी मौके मौजूद हों, वहां निवेश करने की सुविधा देता है। एफओएफ के मैनेजर न केवल इक्विटी, बल्कि ईटीएफ और अन्य एसेट मैनेजमेंट कंपनियों की स्कीम्स में भी निवेश करते हैं।
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