धोनी बदल सकते थे चेन्नई की किस्मत: गुजरात के लिए जब हार्दिक उतर सकते हैं टॉप ऑर्डर में तो CSK के लिए माही क्यों नहीं?
मुंबई19 मिनट पहलेलेखक: कुमार ऋत्विज
महेंद्र सिंह धोनी सबसे बड़े कप्तान हैं या सबसे बड़े फिनिशर, यह सवाल क्रिकेट की दुनिया में लगातार गूंजता रहता है। आज जब वह अपने करियर के आखिरी पड़ाव में हैं, तब एक तीसरा पहलू फिर एक बार चर्चा में है। धोनी की धमाकेदार बैटिंग देखने के बाद उनकी तुलना हार्दिक पंड्या से की जा रही है।
क्या महेंद्र सिंह धोनी हार्दिक की तरह ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी करते हुए टीम को मुकाबले नहीं जिता सकते थे? अगर धोनी टॉप ऑर्डर में खेले होते तो क्या चेन्नई टूर्नामेंट से बाहर होने की कगार पर खड़ी होती। सवाल वाजिब है और इसका जवाब हम आगे समझने का प्रयास करेंगे।
दिल्ली के खिलाफ माही ने दिखाया गजब का कॉन्फिडेंस
CSK बनाम DC का मैच चल रहा था। कंगारू गेंदबाज मिचेल मार्श के सामने धोनी मुकाबले में पहली गेंद खेल रहे थे। आमतौर पर बल्लेबाज क्रीज में रहकर इसका सामना करता है। धोनी 3-4 कदम आगे बढ़ते हैं और करारा छक्का लगा देते हैं। इस एक शॉर्ट में हैंड-आई कोऑर्डिनेशन और फीट मूवमेंट का अद्भुत नजारा देखने को मिला।
CSK के तमाम फैंस खुशी से झूम उठे लेकिन उनके दिल में एक कसक सी उठी। काश कि धोनी ने रैना की अनुपस्थिति में टॉप ऑर्डर में बैटिंग की होती, तो चेन्नई का इतना बुरा हाल नहीं होता। कैप्टन हमेशा फ्रंट से लीड करता है, पर धोनी इसमें यकीन नहीं रखते।
कप्तान के तौर पर माही के 6 हजार रन पूरे
CSK के कप्तान एमएस धोनी के लिए उम्र महज एक नंबर है और वो कई बार इसे साबित भी कर चुके हैं। धोनी टी-20 क्रिकेट में एक स्पेशल रिकॉर्ड अपने नाम वाले दूसरे प्लेयर बन गए हैं। धोनी ने दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ मुकाबले में 262.50 की स्ट्राइक रेट से 8 गेंदों पर ताबड़तोड़ 21 रन बनाए। इसी के साथ उन्होंने टी-20 क्रिकेट में बतौर कप्तान अपने 6 हजार रन भी पूरे कर लिए हैं।
CSK कप्तान इस उपलब्धि को हासिल करने वाले विराट कोहली के बाद दूसरे खिलाड़ी बन गए हैं। टी-20 क्रिकेट में बतौर कप्तान सबसे ज्यादा रन बनाने वालों की लिस्ट में रोहित शर्मा तीसरे नंबर पर हैं। कोहली के बतौर कप्तान टी-20 क्रिकेट में 6,451 रन, धोनी के 6 हजार रन और रोहित शर्मा के 4,764 रन हैं।
हार्दिक बन गए कमजोर बैटिंग ऑर्डर की मजबूत कड़ी
गुजरात का बैटिंग ऑर्डर कोई बहुत अधिक मजबूत नहीं है। साईं सुदर्शन जैसे युवा खिलाड़ियों को टॉप 4 में मौका दे रही यह टीम भी प्लेऑफ की होड़ से बाहर हो सकती थी। हालांकि हार्दिक ने मौके की नजाकत को समझा और फिनिशर की भूमिका छोड़कर फर्स्ट डाउन आने का निर्णय किया। वहीं से नाबाद रहते हुए इस स्टार ऑलराउंडर ने टीम के लिए मुकाबले फिनिश किए।
अब इस बहस में पड़ना जरूरी नहीं है कि क्या धोनी टीम इंडिया के लिए भी टॉप ऑर्डर में अधिक बल्लेबाजी कर सकते थे? सवाल IPL 2022 में टीम के बोरिया-बिस्तर बंधने का है। इंडियन टीम के लिए खेलते हुए अधिक ऑप्शन मौजूद थे तो धोनी नीचे खेलने की छूट ले सकते थे। इस सीजन चेन्नई की गेंदबाजी कमजोर थी और ऐसे में जरूरी था कि बल्लेबाज हर मुकाबले में 20-30 रन एक्स्ट्रा बनाएं। माही को इसी में अपने बल्ले का जोर दिखाना था।
रैना की जगह ले सकते थे माही
यह बात सही है कि धोनी ने हमेशा दूसरे खिलाड़ियों को ऊपर मौका देकर उनका करियर बनाया। मौजूदा समय में टीम इंडिया के 2 सबसे बड़े खिलाड़ी रोहित शर्मा और विराट कोहली को टॉप ऑर्डर में परफॉर्म ना करने पर भी धोनी मौका देते रहे। आखिरकार ये दोनों मैच विनर बनकर सामने आए।
चेन्नई के लिए भी इस सीजन शिवम दुबे को धोनी ने टॉप ऑर्डर में बैटिंग कराई। शिवम ने कई मौकों पर टीम के लिए बेहतर प्रदर्शन किया। ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि मिस्टर IPL सुरेश रैना के टॉप ऑर्डर में ना होने से जो टीम का बैलेंस बिगड़ा, उसे ठीक करने के लिए माही ने क्या किया?
धोनी ने जमकर किया अभ्यास लेकिन IPL में नहीं खेली अधिक गेंदें
प्रतियोगिता की शुरुआत से पहले जोर-शोर से यह बात सामने आई कि धोनी रांची में युवा खिलाड़ियों के साथ जमकर प्रैक्टिस कर रहे हैं। उनके बचपन के कोच चंचल भट्टाचार्य ने दैनिक भास्कर को बताया था कि माही की फिटनेस और खेल को देखते हुए वह आसानी से कुछ और वर्ष IPL खेल सकते हैं। अगर खिलाड़ी इतना अभ्यास कर रहा है तो क्या वह टीम की भलाई के लिए ऊपरी क्रम में आकर मुकाबले खत्म नहीं कर सकता?
वह भी तब जब अंबाती रायुडू और रॉबिन उथप्पा के प्रदर्शन में निरंतरता की कमी साफ दिखाई पड़ रही है। कई क्रिकेट एक्सपर्ट का मानना है कि जिस टच में धोनी नजर आ रहे हैं, वह ऊपर आए होते तो गेंदबाजों की धज्जियां उड़ा सकते थे। ऐसा होता तो चेन्नई के फैंस के लिए वक्त, जज्बात और हालात बदल जाते। उनके चेहरों पर मायूसी ना पसरी होती।
टीम मैनेजमेंट भी बराबर का जिम्मेदार
यह भी हो सकता है कि शुरुआती 2 मुकाबलों के बाद माही ने कप्तानी की सारी जिम्मेदारी रवींद्र जडेजा को सौंप दी थी, तो ऐसे में धोनी ने उनका बैटिंग ऑर्डर तय करने का जिम्मा भी कैप्टन और टीम मैनेजमेंट पर छोड़ दिया हो। अगर धोनी ऊपर आकर मैच फिनिश नहीं कर सके, तो इसमें टीम मैनेजमेंट भी बराबर का दोषी है।
किसी खिलाड़ी के बैटिंग ऑर्डर का निर्धारण टीम की जरूरत के हिसाब से किया जाता है। मौका हाथ से निकलने के बाद पछताने के सिवा कोई चारा नहीं बचता। आज दूसरी टीमों के हार के भरोसे बैठी चेन्नई अपनी किस्मत खुद लिख रही होती, अगर धोनी को ऊपरी क्रम में खेलने का अवसर दिया गया होता।
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