दूरसंचार कंपनियों के संगठन ने सरकार से मांग की: महंगे स्पेक्ट्रम 5जी की राह में हैं सबसे बड़ी बाधा, 10 गुना दाम घटाए सरकार
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नई दिल्ली19 घंटे पहले
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महंगे टेलीकॉम स्पेक्ट्रम देश में 5जी सर्विसेज शुरू होने की राह में सबसे बड़ी बाधा साबित हो सकते हैं। दरअसल दूरसंचार नियामक ट्राई ने 5जी स्पेक्ट्रम के लिए जो न्यूनतम कीमत की सिफारिश की है, वह ज्यादातर विकसित देशों की नीलामी कीमत से कई गुना ज्यादा है। दूरसंचार नियामक ट्राई ने 5जी स्पेट्रक्म की नीलामी पर स्टेक होल्डर्स से टिप्पणियां आमंत्रित की थीं, जिसके जवाब में टेलीकॉम कंपनियों ने चिंता जाहिर की है।
ट्राई ने 3.5 गीगाहर्ट्ज बैंड वाले 5जी स्पेक्ट्रम की न्यूनतम कीमत 492 करोड़ रुपए प्रति मेगाहर्ट्ज रखने की सिफारिश की है। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि हाल ही में ब्रिटेन में हुई नीलामी में 3.6-3.8 गीगाहर्ट्ज के 5जी स्पेक्ट्रम की न्यूनतम कीमत 40.03 करोड़ रुपए, हांगकांग में (3.5 गीगाहर्ट्ज) 3.87 करोड़ रुपए और पुर्तगाल में (3.6 गीगाहर्ट्ज) 1.07 करोड़ रुपए प्रति मेगाहर्ट्ज तय की गई थी।
महंगी स्पेक्ट्रम नीलाम के साथ फुल सर्विस शुरू करना मुश्किल
सीओएआई ने कहा है कि देश में कई गुना ज्यादा कीमत पर 5जी स्पेक्ट्रम नीलाम करने की सिफारिश की गई है। सरकार यदि यह सिफारिश मान लेती है तो दूरसंचार कंपनियों के लिए देश में 5जी की फुल सर्विस शुरू करना मुश्किल हो जाएगा।
कंपनियों की आमदनी का एक तिहाई स्पेक्ट्रम पर खर्च हो रहा
देश में टेलीकॉम कंपनियों की आय का करीब 32% हिस्सा स्पेक्ट्रम पर खर्च होता है। अन्य किसी भी बड़े देश में यह 18% से ज्यादा नहीं है। इस लिहाज से स्पेक्ट्रम की कीमत अनुमानित आय के अनुपात में होना चाहिए, ताकि टेलीकॉम सेक्टर प्रगति कर सके।
नीलामी फेल होना अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा मौका गंवाने जैसा
सीओएआई के मुताबिक 2016 में नीलामी के लिए जितने स्पेक्ट्रम रखे थे, उनमें से 41% बिके। 2021 में तो यह आंकड़ा 37.1% पर सिमट गया। यह अर्थव्यवस्था की तरक्की के लिए एक बड़ा मौका गंवाने जैसा है। स्पेक्ट्रम की न्यूनतम कीमत स्पेक्ट्रम के वैल्युएशन के 50% से ऊपर नहीं होनी चाहिए।
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