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दुनियाभर के अखबारों पर संकट: 16 महीनों में अखबारी कागज की कीमत 175% बढ़ी, न्यूजपेपर निकालना चुनौती बन गया

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नई दिल्लीएक घंटा पहले

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दुनियाभर के अखबारों पर संकट गहरा रहा है। दरअसल, अखबार में इस्तेमाल होने वाले कागज में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसके चलते अखबार निकालना किसी चुनौती से कम नहीं है। इस कागज का उत्पादन घटा है और सप्लाई कमजोर हुई है। यही वजह है कि अखबारी कागज के दाम ऑलटाइम हाई हो गए हैं।

अगर भारत की बात करें तो यह अपनी जरूरत का करीब 50% अखबारी कागज दूसरे देशों से खरीदता है। आयात किए गए अखबारी कागज की कीमत दिसंबर 2020 तक 380 से 400 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन थी, जो अब बढ़कर 1,050 से 1100 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो गई है। मतलब साफ है कि अखबारी कागज की कीमत में 175% से ज्यादा का इजाफा हुआ है।

अखबारी कागज की कीमत बढ़ने के 5 प्रमुख कारण हैं
1.
भारत जरूरत का करीब 50% कागज रूस, कनाडा और यूरोप से आयात करता है। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से सप्लाई बाधित हो गई है।
2. कनाडा में कोविड वैक्सीनेशन अनिवार्य किए जाने की वजह से ट्रक ड्राइवर्स की हड़ताल हो गई, इसके चलते सप्लाई थम गई है।
3. महामारी के दौरान ऑनलाइन शॉपिंग बढ़ने से ब्राउन पेपर की डिमांड बढ़ गई है। पेपर मिल ब्राउन पेपर का उत्पादन ज्यादा कर रही हैं। अखबारी कागज का उत्पादन घट गया है। 2017 में जहां दुनिया में 2.38 करोड़ टन अखबारी कागज का उत्पादन होता था, अब यह 50% घटकर 1.36 करोड़ टन रह गया है।
4. महामारी में रद्दी का कम इकट्ठी हुई है, जो अखबारी कागज के लिए मुख्य कच्चा माल है। हालात यह हैं कि कभी 10 से 12 रुपए किलो बिकने वाली रद्दी आज 35 से 40 रुपए प्रति किलो में बिक रही है।
5. जुलाई 2020 में चीन ने वेस्टेज इम्पोर्ट पर बैन लगा दिया। इससे चीनी मिलों को भी कच्चे माल की किल्लत हुई। ऐसे में चीन भी ऊंची दरों पर कागज मंगाने लगा। भारतीय मिलों ने भी चीन को निर्यात किया और देश में कागज का संकट खड़ा हो गया।

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