नई दिल्ली4 घंटे पहले
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आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि रूस ने भारत को सस्ता क्रूड ऑयल देने से मना कर दिया है। भारत की दो सरकारी तेल कंपनियों भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (BPCL) और हिदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) की रूसी कंपनी रोसनेफ्ट के साथ तेल खरीद को लेकर कई दिनों से बातचीत चल रही थी जो फेल हो गई है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने इसे लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की है। इसके अलावा क्रूड ऑयल के दाम 13 हफ्तों के हाई पर पहुंच गए हैं और रुपया भी डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहा है।
124 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंचा क्रूड
इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल का भाव बढ़ने का सीधा असर देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ता है। गुरुवार को ब्रेंट क्रूड 124 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया। ये 13 हफ्तों का उच्चतम स्तर है। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से तेल कंपनियों को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा और बढ़ते घाटे को कम करने के लिए देश की जनता पर बोझ डाला जा सकता है। यह बोझ पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में दिखेगा। ऐसे में अगर रूस से भारत को सस्ता कच्चा तेल नहीं मिलता है तो पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ना लगभग तय है।
IOC के साथ 6 महीने की डील
अभी केवल इंडियन ऑयल ही है जो रूसी कंपनी के साथ सस्ते कच्चे तेल के लिए 6 महीने की डील कर पाई है। डील के तहत इंडियन ऑयल रूस की तेल कंपनी से हर महीने 60 लाख बैरल तेल खरीद सकती है। इसके साथ ही 30 लाख बैरल ज्यादा तेल खरीदने का भी ऑप्शन है।
सभी मेजर करेंसी में पेमेंट शामिल
IOC के साथ कॉन्ट्रेक्ट में सभी मेजर करेंसी जैसे रुपए, डॉलर और यूरो में पेमेंट शामिल है, जो ट्रांजैक्शन के समय उपलब्ध पेमेंट सिस्टम पर निर्भर करता है। भारत रूस से यूरल ग्रेड ऑयल खरीदता है, लेकिन IOC ने अपनी डील में सोकोल ग्रेड और ESPO ब्लेंड को भी शामिल किया है।
रोसनेफ्ट के पास ऐक्स्ट्रा तेल नहीं
रोसनेफ्ट दूसरे ग्राहकों को भी तेल सप्लाई कर रहा है जिससे उसके पास ऐक्स्ट्रा तेल नहीं है कि वह भारत की कंपनियों को बेच सके। भारतीय रिफाइनर को अब कच्चे तेल के लिए स्पॉट मार्केट का रुख करना पड़ सकता है जहां तेल महंगा है। हालांकि रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि HPCL और BPCL को जुलाई में लगभग 10 लाख से 20 लाख बैरल रूसी तेल मिल सकता है।
प्रतिबंधों के बावजूद तेल के निर्यात में कामयाब रहा रूस
भारत के साथ डील को कैंसिल करना इस बात का भी संकेत देता है कि रूस पश्चिमी प्रतिबंधों के बढ़ते दबाव के बावजूद अपने तेल का निर्यात जारी रखने में कामयाब रहा है। सूत्रों ने कहा कि एवरेस्ट एनर्जी, कोरल एनर्जी, बेलाट्रिक्स और सनराइज जैसी ट्रेडिंग फर्म्स के जरिए रोसनेफ्ट कच्चे तेल को मार्केट में ला रहा है।
रुपए की कमजोरी से क्रूड इंपोर्ट महंगा होगा
गुरुवार को इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में रुपया डॉलर के मुकाबले 77.74 पर खुला और अपने पिछले बंद के मुकाबले 8 पैसे कमजोर होकर 77.76 पर बंद हुआ। सत्र के दौरान रुपया डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर 77.81 पर पहुंच गया। बुधवार को रुपया अपने रिकॉर्ड निचले स्तर से 10 पैसे बढ़कर 77.68 पर बंद हुआ था। रुपए के कमजोर होने से कच्चा तेल और अन्य चीजों को इंपोर्ट करना महंगा हो जाएगा।
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