डिजिटल टोकन पर बयान: वित्तमंत्री ने कहा- न तो क्रिप्टोकरेंसी लीगल है और न ही इस पर प्रतिबंध है
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मुंबई2 घंटे पहले
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वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी न तो अवैध है और न ही इस पर कोई प्रतिबंध लगा है। टैक्स केवल कमाई पर लग रहा है, इसके अलावा इसका कोई मतलब नहीं है
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी न तो अवैध है और न ही इस पर कोई प्रतिबंध लगा है। टैक्स केवल कमाई पर लग रहा है, इसके अलावा इसका कोई मतलब नहीं है।
बजट पर बहस के दौरान दिया जवाब
राज्यसभा में बजट पर बहस के दौरान वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले फायदे पर केवल टैक्स लगाया है। बजट में इसके फायदे पर 30% के टैक्स का प्रस्ताव किया गया था। इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने निवेशकों को चेताया था।
वित्तीय स्थिरता के लिए खतरनाक
शक्तिकांत दास ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी देश की व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए खतरनाक है। हालांकि पहले यह माना जा रहा था कि सरकार टैक्स के जरिए क्रिप्टो को लीगलाइज करेगी। पर अब रिजर्व बैंक के बयान के बाद यह मामला खत्म हो गया है।
सरकार और रिजर्व बैंक का एक ही मत
सरकार और रिजर्व बैंक दोनों ने एक ही सुर में क्रिप्टो पर अपना फैसला सुनाया है। हालांकि सीतारमण ने कहा कि क्रिप्टो को रेगुलेट करने के लिए बिल लाया जाएगा। पर यह कब लाया जाएगा, इसका पता नहीं है। पिछली बार के सत्र में ही इसे लाया जाना था।
निवेशकों की संख्या जान बूझकर बढ़ाई जाती है
शक्तिकांत दास पहले भी क्रिप्टो को लेकर कड़ा रूख अख्तियार कर चुके हैं। वे कहते हैं कि भारत में क्रिप्टो के निवेशकों की संख्या को जान बूझकर बढ़ा कर बताया जाता है, ताकि इससे ज्यादा लोग जुड़ सकें। सीतारमण ने कहा कि इस डिजिटल करेंसी पर फैसला इसके सभी पार्टियों से सलाह कर लिया जाएगा।
सलाह के बाद फैसला होगा
उन्होंने कहा कि इस पर प्रतिबंध लगाना या न लगाना यह तब तय होगा, जब मुझे उस तरह की सलाह मिलेगी। उनके इस बयान पर कांग्रेस के नेता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि टैक्स आप किसी भी चीज पर कैसे ले सकते हैं, अगर वह लीगल नहीं है। टैक्स का मतलब यह है कि क्रिप्टोकरेंसीज लीगल हो रही है।
किसी भी तरह की रियायत नहीं मिलेगी
बजट में यह कहा गया कि क्रिप्टोकरेंसी से हुए फायदे पर किसी तरह की रियायत नहीं मिलेगी और इसमें सीधे 30% का टैक्स देना होगा। न ही इसका घाटा अगले साल में दिखाया जा सकता है। यानी 100% घाटा निवेशकों का होगा, जबकि फायदा में 30% हिस्सा सरकार का होगा।
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