टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया से डरती नहीं उसे डॉमिनेट करती है: घर और बाहर दोनों जगह कंगारुओं की पिटाई, सीरीज जीत की हैट्रिक भी
अश्विन सोलंकी9 मिनट पहले
क्रिकेट की दुनिया में ऑस्ट्रेलिया का रुतबा कुछ वैसा ही रहा है जैसा ग्लोबल पॉलिटिक्स में अमेरिका का रहा है। इसके पीछे वजहें भी हैं। मेंस कैटेगरी में ऑस्ट्रेलिया ने वनडे और टी-20 मिलाकर सबसे ज्यादा 6 वर्ल्ड कप जीते हैं। तीनों फॉर्मेट मिलाकर 1 हजार से ज्यादा मैचों में जीत हासिल करने वाली यह दुनिया की इकलौती टीम है। टेस्ट क्रिकेट में भी 404 मुकाबले जीतकर यह सबसे कामयाब टीम है।
21वीं सदी के पहले दशक में ऑस्ट्रेलिया अपनी कामयाबी के चरमोत्कर्ष पर पहुंच गया था। यह स्टीव वॉ और रिकी पोंटिंग की कप्तानी का जमाना था। इस दौर की कंगारू टीम को खेल के इतिहास की सबसे मजबूत टीम कहा जाता था।
फिर एक टीम ऐसी सामने आई जिसने ऑस्ट्रेलिया को सातवें आसमान से उतार कर जमीन पर ला पटका। वो टीम कोई और नहीं अपनी टीम इंडिया है।
भारत ने पिछले कुछ सालों में ऑस्ट्रेलिया को न सिर्फ हराना शुरू किया बल्कि उसके ऊपर दबदबा भी बना लिया। अपने घर में भी और उसके घर में भी।
भारत ने ऑस्ट्रेलिया को पिछली लगातार 3 टेस्ट सीरीज में मात दी है। इनमें से 2 सीरीज तो हमने कंगारुओं के घर में जाकर जीती। अपने घर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत का दबदबा तो नेक्स्ट लेवल का हो गया है। पिछले 19 साल से ऑस्ट्रेलिया की टीम यहां कोई टेस्ट सीरीज नहीं जीत सकी है। ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय जमीन पर आखिरी बार 6,669 दिन पहले टेस्ट सीरीज जीतने में कामयाबी हासिल की थी।
स्टोरी में आगे हम टेस्ट क्रिकेट में भारत और ऑस्ट्रेलिया की राइवलरी की पूरी कहानी जानेंगे। यह भी जानेंगे कि भारत ने कब से बाजी को पलटना शुरू कर दिया।
पहली सीरीज जीत के लिए करना पड़ा 32 साल इंतजार
28 नवंबर 1947 को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टेस्ट खेला गया। ऑस्ट्रेलिया ने इसे पारी और 226 रन से जीता। 1947-48 में ही दोनों के बीच पहली टेस्ट सीरीज हुई। 1978 तक ऑस्ट्रेलिया ने 7 में 6 सीरीज जीतीं और एक ड्रॉ रही। 1979 में भारत ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया को टेस्ट सीरीज में हराया। भारत में हुई 6 मैचों की सीरीज को भारतीय टीम ने 2-0 से जीता।
1996 में सीरीज को मिला बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का नाम
1996 में पहली बार दोनों के बीच टेस्ट सीरीज का नाम बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT) किया गया। इसे भारत के दिग्गज सुनील गावस्कर और ऑस्ट्रेलिया के लिजेंड एलन बॉर्डर के नाम पर रखा गया। अब तक 15 बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी की सीरीज खेली गईं। भारत ने 9 और ऑस्ट्रेलिया ने 5 में जीत हासिल की है। एक सीरीज ड्रॉ रही।
2008 से भारत का दबदबा
1996 से 2007 तक भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 7 टेस्ट सीरीज हुईं। भारत ने 3 और ऑस्ट्रेलिया ने भी 3 सीरीज जीती। एक सीरीज ड्रॉ रही। लेकिन, 2008 के बाद से भारत ने ऑस्ट्रेलिया पर अपना दबदबा बनाना शुरू कर दिया। तब से दोनों देशों में 8 सीरीज हुईं। भारत ने 6, वहीं ऑस्ट्रेलिया महज 2 पर कब्जा कर सका।
ऑस्ट्रेलिया ने दोनों ही सीरीज अपनी होम कंडीशन में जीती। जबकि, भारत ने उन्हें अपने घर में हराने के साथ उनके घर में भी 2 बार हरा दिया।
2014 से ऑस्ट्रेलिया को सीरीज जीत का इंतजार
2014-15 में ऑस्ट्रेलिया ने आखिरी बार भारत को 2-0 से सीरीज हराया था। इसके बाद से टीम को सीरीज जीत नसीब नहीं हुई। 2017 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को अपने घर में हराया। फिर 2018-19 और 2020-21 के दौरान उन्हीं के घर में मात दी।
कोहली की कप्तानी में खत्म हुआ इंतजार
टेस्ट क्रिकेट के शुरुआती दौर में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों ही जगह कंगारुओं से हार रही थी। फिर भारत में तो हम जीतने लगे लेकिन ऑस्ट्रेलिया जाकर ऑस्ट्रेलिया को हराना सपना बना हुआ था। वहां हमारा बेस्ट रिजल्ट सीरीज ड्रॉ करवाना रहा था जो हमने 1981, 1985 और 2003 में कराया था। इसके अलावा हमें 8 बार ऑस्ट्रेलिया में हुई सीरीज में शिकस्त झेलनी पड़ी थी।
भारत ने इस ट्रेंड को आखिरकार विराट कोहली की कप्तानी में बदला। 2018-19 में हम विराट की लीडरशिप में पहली बार ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतने में सफल रहे। तब भारत ने सीरीज पर 2-1 से कब्जा जमाया। तब सीरीज का चौथा टेस्ट बारिश के कारण ड्रॉ हो गया था। अगर बारिश नहीं होती तो टीम इंडिया 3-1 से सीरीज जीतती। 2018-19 के बाद 2020-21 में भी भारत ने ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में 2-1 से हराया। इस बार की जीत तो और भी खास थी। विराट पहला टेस्ट मैच खेलने के बाद वापस भारत आ गए थे। पहले टेस्ट में टीम इंडिया 36 रन पर ऑलआउट हुई थी और बुरी तरह हारी थी। इसके बाद अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में युवा खिलाड़ियों के साथ भारत ने सीरीज जीत हासिल की।
इन प्लेयर्स ने 2020-21 में दिलाई थी जीत
2020-21 में सीरीज का पहला मैच हम हार गए थे। लेकिन, रहाणे की कप्तानी में टीम ने दूसरा टेस्ट जीतकर बराबरी की। सिडनी में तीसरा टेस्ट ड्रॉ रहा। इसमें चेतेश्वर पुजारा, हनुमा विहारी, ऋषभ पंत और रविचंद्रन अश्विन ने बिखरती पिच पर ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों की बाउंसर्स के सामने टेस्ट मैच ड्रॉ कराया था।
ब्रिसबेन के गाबा मैदान पर आखिरी टेस्ट खेला गया जहां ऑस्ट्रेलिया 1988 के बाद से कोई टेस्ट मैच नहीं हारा था। भारत के टॉप प्लेयर्स कोहली, केएल राहुल, जसप्रीत बुमराह, अश्विन, जडेजा और मोहम्मद शमी चोट या अन्य कारणों से मैच नहीं खेल रहे थे।
इनकी गैरमौजूदगी में शार्दूल ठाकुर ने मैच में 67 रन बनाने के साथ 7 विकेट लिए, वॉशिंगटन सुंदर ने 84 रन बनाने के साथ 4 विकेट लिए। मोहम्मद सिराज ने 6 विकेट लिए। वहीं, पुजारा, गिल और पंत ने अहम पारियां खेल 328 रन का टारगेट चेज किया और टीम को ऑस्ट्रेलिया में लगातार दूसरी सीरीज जीत दिलाई।
कोहली, पुजारा, रहाणे और पंत ने 2018-19 और 2020-21 में भारत की सीरीज जीत में बैटिंग से अहम भूमिका निभाई। वहीं, बॉलिंग में रविचंद्रन अश्विन, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, ईशांत शर्मा और मोहम्मद सिराज ने शानदार गेंदबाजी की। नीचे के ग्राफिक्स में इन प्लेयर्स का ऑस्ट्रेलिया में परफॉर्मेंस देखें।
भारत में एक बार ही BGT जीत पाया है ऑस्ट्रेलिया
दोनों देशों के बीच भारत में अब तक 8 बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (बीजीटी) खेली गईं। भारत ने इनमें एकतरफा दबदबा दिखाकर 7 सीरीज में जीत हासिल की। ऑस्ट्रेलिया एक ही बार जीत सका। टीम ने 2004 में भारत को 2-1 से हराया था। भारत में दोनों देशों के बीच बीजीटी के 25 मैच खेले गए। भारत ने 16 और ऑस्ट्रेलिया ने 5 में जीत हासिल की। 4 मुकाबले ड्रॉ रहे।
कुंबले-अश्विन ने किया भारत में डॉमिनेट
भारत और एशियाई देशों में SENA (साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया) देशों को हमेशा से मुश्किलें आईं। इसकी सबसे बड़ी वजह यहां की स्पिन पिच और स्पिनर्स रहे। जिनके सामने सेना देशों के बैटर्स कभी संभलकर खेलना समझ ही नहीं सके।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत ने भारत में जो 7 सीरीज जीतीं उनमें ऑस्ट्रेलिया को हरभजन सिंह, अनिल कुंबले, रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा जैसे टॉप-क्लास स्पिनर्स का सामना करना पड़ा। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत में टॉप बॉलर्स की बात करें तो हरभजन ने 14 मैचों में 86 और कुंबले ने 10 मैचों में 62 विकेट लिए।
1996 से 2010 तक भज्जी और कुंबले ने कंगारुओं को परेशान किया। वहीं, अब अश्विन और जडेजा ने ऑस्ट्रेलियन बैटर्स की नाक में दम कर रखा है। भारत में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अश्विन ने 8 मैचों में 50 तो जडेजा ने भी इतने ही मैचों में 49 विकेट झटके हैं।
सचिन-लक्ष्मण के सामने बिखरते गए कंगारू
स्पिनर्स के अलावा भारत के बैटर्स ने भी ऑस्ट्रेलिया को भारत में टेस्ट सीरीज जीतने से रोके रखा। इनमें सबसे बड़ा नाम सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण का है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत में सचिन ने 19 मैचों 1821 रन बनाए। वीवीएस लक्ष्मण ने 14 मैचों में 1198 और राहुल द्रविड़ ने 17 मैचों में 1000 रन बनाए।
15 सालों तक सचिन, लक्ष्मण और द्रविड़ ने खूब रन बनाए। वहीं, बाद में चेतेश्वर पुजारा और मुरली विजय ने ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर्स को विकेट के लिए तरसा दिया। भारत में पुजारा ने जहां ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 9 मैचों में 1000 रन बनाए हैं। वहीं, विजय ने 9 मैचों में 793 रन बनाए।
21वीं सदी में कई बार दी टक्कर
ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों ही जगह टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया पर कैसे दबदबा बनाया, यह तो आपने खबर में जान ही लिया। यहां हम जानते हैं कि 21वीं सदी में भारत ने किस तरह ऑस्ट्रेलिया की सबसे मजबूत टीम को भी टक्कर दी।
2000-01 के दौरान कंगारू टीम सबसे मजबूत मानी जाती थी। टीम लगातार 15 टेस्ट जीतकर भारत में टेस्ट सीरीज खेलने पहुंची। टीम ने मुंबई में पहला टेस्ट 10 विकेट से जीतकर लगातार 16वां टेस्ट मैच जीता। अगला टेस्ट कोलकाता में खेला गया। ऑस्ट्रेलिया ने भारत को पहली पारी में फॉलो-ऑन दे दिया। तब वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ ने 5वें विकेट के लिए 376 रन की पार्टनरशिप की और ऑस्ट्रेलिया को 384 रन का टारगेट दिया। भारत ने टेस्ट मैच जीता और ऑस्ट्रेलिया के लगातार 16 टेस्ट जीतने का क्रम तोड़ा।
2003-04 में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया में 4 टेस्ट की सीरीज 1-1 से ड्रॉ कराई। 2007-08 में भारत ने एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया के 16 लगातार टेस्ट मैच जीतने का क्रम तोड़ा। इस बार तो भारत ने ऑस्ट्रेलिया में ही कंगारुओं को मात दी। 4 टेस्ट की सीरीज का पहला मैच जीतकर ऑस्ट्रेलिया लगातार 16वां टेस्ट जीत चुका था। लेकिन, पर्थ में भारत ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। ईशांत शर्मा ने शानदार गेंदबाजी की और रिकी पोंटिंग समेत कई कंगारू बैटर्स के विकेट लिए। भारत ने मैच जीता और एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया की विनिंग स्ट्रीक तोड़ी।
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