चीन जैसा बिजली संकट: पावर प्लांट्स के पास सिर्फ चार दिन के कोयले का स्टॉक, बिजली के दाम में पिछले साल से 63% ज्यादा का उछाल
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31 मिनट पहले
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सांकेतिक तस्वीर।
देश में चीन जैसा बिजली संकट पैदा हो सकता है और औद्योगिक गतिविधियां ठप हो सकती हैं। यहां बिजली उत्पादन के लिए पावर प्लांट्स के पास कोयले का स्टॉक काफी कम रह गया है। देश में लगभग 70% बिजली कोयले से बनती है इसलिए बिजली की कीमत में तेज उछाल आया है। लेकिन राहत की बात यह है कि घरेलू उपभोक्ताओं को अगले कुछ महीनों तक ज्यादा दाम नहीं चुकाना पड़ेगा। उनकी बिजली तभी महंगी होगी, जब डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को दाम बढ़ाने के लिए रेगुलेटर की मंजूरी मिलेगी।
अगस्त की शुरुआत में था 13 दिन का स्टॉक
जानकारों का कहना है कि कोयले की कमी के चलते बिजली गुल होने लगी तो दुनिया में सबसे तेज ग्रोथ वाली इकोनॉमी का पहिया कुछ समय के लिए जाम हो सकता है। आधे से ज्यादा प्लांट्स में उत्पादन ठप होने को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर के अंत में देशभर के पावर प्लांट्स के पास औसतन चार दिन का कोयला रह गया था, जो साल का सबसे निचला स्तर था। अगस्त की शुरुआत में उनके पास 13 दिन तक बिजली पैदा करने लायक कोयले का स्टॉक था।
एक्टिविटी बढ़ने से उछली है बिजली की मांग
कोयले की कमी को देखते हुए एल्यूमीनियम कंपनियों और स्टील मिलों सहित अहम ग्राहकों को मिलने वाली सप्लाई में कटौती की जा रही है। ऐसे में भारत को भी चीन की तरह दो मोर्चों पर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। पहली, कोविड से जुड़ी पाबंदियां हटने के बाद इंडस्ट्रियल एक्टिविटी बढ़ने से बिजली की मांग में उछाल आया है। दूसरी, कोयले के घरेलू उत्पादन में तेज गिरावट आई है।
दुविधा- ज्यादा प्रीमियम दें या विदेश से मंगाएं
देश की लगभग तीन चौथाई कोयले की जरूरत घरेलू खानों से पूरी होती है लेकिन भारी बारिश के चलते उनमें और ट्रांसपोर्ट रूट पर पानी भर गया है। ऐसे में कोयले से पावर प्लांट्स चलाने वाली कंपनियों के सामने दुविधा यह है कि नीलामी में जो भी कोयला मिले, उसके लिए ज्यादा प्रीमियम दें या विदेशी बाजार से मंगाएं, जहां पहले से कीमत रिकॉर्ड हाई लेवल पर है।
कोयले का स्टॉक 76% कम, बिजली 63% महंगी
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कोल पावर प्लांट्स के पास कोयले का स्टॉक सितंबर के अंत में लगभग 81 लाख टन रह गया था जो एक साल पहले के मुकाबले लगभग 76% कम था। इसी तरह, इंडियन एनर्जी एक्सचेंज पर बिजली की औसत कीमत बढ़कर 4.4 रुपए प्रति यूनिट हो गई थी जो सालभर पहले से 63% ज्यादा थी।
प्लांट्स को मिल रहा 60-80 हजार टन कम कोयला
इस बीच एल्यूमीनियम प्रॉडक्शन कंपनियों की शिकायत है कि कोल इंडिया ने पावर प्लांट्स को कोयला देने के लिए उनकी सप्लाई घटा दी है। कोयला सचिव अनिल कुमार जैन ने कहा कि बारिश के चलते खानों में पानी भर जाने से पावर प्लांट्स को रोज 60 से 80 हजार टन कम कोयला मिल रहा है।
अक्टूबर के दूसरे हफ्ते तक सप्लाई बढ़ा पाएगी CIL
जैन के मुताबिक कोयले के अहम उत्पादन केंद्र- झारखंड के धनबाद में पिछले महीने मूसलाधार बारिश होने से हालात बिगड़े हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी पावर प्लांट्स में जरूरत भर का कोयला मुहैया कराने के लिए सप्लाई अक्टूबर के दूसरे हफ्ते तक ही बढ़ा पाएगी। लेकिन स्टॉक को पुराने लेवल पर लाने में ज्यादा समय लगेगा।
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