स्पोर्ट्स डेस्क38 मिनट पहलेलेखक: केयूर जैन
- कॉपी लिंक
मंगलवार…11 अप्रैल। यह तारीख भारत के ब्लाइंड क्रिकेटर्स के लिए खास था, क्योंकि इसी दिन भारत की पहली विमेंस क्रिकेट टीम का गठन हुआ। टीम अब नेपाल में 25 से 30 अप्रैल के बीच पांच टी-20 मैचों की सीरीज खेलेगी। क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इंडिया (CABI) को यह टीम बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। यहां तक कि चंदा जुटाने की नौमत आ गई, ऐसे खिलाड़ियों के भविष्य का अंदाजा लगाया जा सकता है।
दैनिक भास्कर की टीम के बनने की कहानी जानने निकली। हमने टीम के खिलाड़ी, कोच और कैबी के सचिव से जाना टीम के गठन का संघर्ष…
सबसे पहले जानिए कैबी सचिव जॉन डेविड की जुबानी….
मेंस टीम के गठन के बाद से ही नेशनल एसोसिएशन विमेंस टीम बनाने की सोच रही थी, लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी। हमारे पास ब्लाइंड खिलाड़ी तलाशने, फंड जुटाने और स्पांसरशिप जुटाने जैसी कई समास्याएं थीं। नेपाल, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में नेशनल ब्लाइंड विमेंस क्रिकेट टीम बना चुके थे। नेपाल-इंग्लैंड ने तो द्विपक्षीय सीरीज भी खेल ली। यही से हमारी टीम बनाने की प्रक्रिया तेज हुई। हमने स्टेट्स एसोसिएशन बनाए। 2019 तक हमारे पास 7 स्टेट्स यूनिट थे। फिर बाद में कोरोना आ गया और सब रुक गया। कोविड के बाद हमारे स्टेट इकाइयों की संख्या 23 हो गई। हमारे पास फंड नहीं था ऐसे में हमने चंदा जुटाकर कुछ पैसे एकत्रित किए। हमें आज तक स्पांसरशिप की तलाश है।
कैसे हुआ प्लेयर्स का सिलेक्शन
देशभर से 16 राज्य की टीमों ने नेशनल सिलेक्शन ट्रायल में भाग लिया। टूर्नामेंट में 16 टीमों से 224 खिलाडियों ने हिस्सा लिया। इसमें से आखिरी में 38 प्लेयर्स को चुना गया और फिर देशभर के बेस्ट 17 खिलाड़ियों की टीम बनी।
नेशनल ट्रायल का कैंप मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में लगा, जहां मध्यप्रदेश, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, केरल, उत्तरप्रदेश, हरयाणा, राजस्थान, चंडीगढ़, गुजरात, झारखण्ड और राजस्थान शामिल हुए।
विमेंस ब्लाइंड क्रिकेट का नेशनल टूर्नामेंट ओडिशा ने जीता।
NGO से जुटाया फंड
कैबी को सरकार से कोई सहयोग नहीं मिला। ऐसे में बेंगलुरु के समर्थनम ट्रस्ट ने दोनों ब्लाइंड क्रिकेट टीम की पूरी फंडिंग की। टूर्नामेंट और ब्लाइंड क्रिकेट की पूरी प्लानिंग वर्ल्ड ब्लाइंड क्रिकेट एसोसिएशन करता है।
अब पढ़िए भारतीय टीम की कप्तान सुषमा पटेल की कहानी…..
तीर-कमान से गवांई आंख, खेल में भी काम किया
मध्यप्रदेश (दमोह) की सुषमा को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक है। जब वे 4-5 साल की थीं, तभी तीर-कमान से खेलते समय आंख में चोट लग गई। ऐसे में सुषमा के क्रिकेट खेलने का सपना धुंधला लगने लगा, लेकिन सुषमा ने भाइयों के साथ क्रिकेट खेलना जारी रखा। सुषमा ने खेत में पिता का हाथ भी बटाया। 2019 में एक दोस्त से उन्हें ब्लाइंड क्रिकेट के बारे में पता चला और उन्होंने अकादमी जॉइंन कर ली। यहीं से उनका सिलेक्शन टीम में हाे गया।
पढ़िए अपने सिलेक्शन पर सुषमा ने क्या कहा…?
पिता का सपना आज पूरा हुआ
सुषमा ने अपने सिलेक्शन पर कहा, मेरे पिता का बचपन से ही सपना था कि मैं और मेरे भाई देश के लिए क्रिकेट खेले, लेकिन आंख में चोट के कारण यह सपना नामुमकिन का साल रहा था। अब ब्लाइंड क्रिकेट टीम में देश की और से बतौर कप्तान खलने का मौका मिल रहा है और अब पिता का सपना भी पूरा हुआ।
सुषमा मध्यप्रदेश के दमोह शहर से हैं।
For all the latest Sports News Click Here
For the latest news and updates, follow us on Google News.