घर लौटीं ओलिंपियन मोनिका मलिक के बोल…: पिता कहते थे कुश्ती खेलूं, लेकिन मुझे डर लगता था कहीं कान-नाक न टूट जाएं, इसलिए हॉकी खेलना शुरू किया
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चंडीगढ़23 मिनट पहलेलेखक: आरती एम अग्निहोत्री
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अपने परिवार के साथ मोनिका मलिक।
- टोक्यो ओलिंपिक के बाद घर लौटी शहर की स्टार हॉकी प्लेयर मोनिका मलिक, कहा-शायद हमारा वह दिन नहीं था, इसलिए हार गए लेकिन अपने प्रदर्शन से खूश हूं
टोक्यो ओलिंपिक में शानदार प्रदर्शन करने वाली इंडियन वूमंस हॉकी टीम की प्लेयर मोनिका मलिक बुधवार को चंडीगढ़ अपने घर लौटी। सेक्टर-44 की रहने वाली मोनिका मलिक ने अपने हॉकी करियर और टोक्यो ओलिंपिक से जुड़ी कई बातें साझा की। मोनिका ने कहा कि उन्हें खुशी है कि देश में हॉकी के लिए अब सोच बदलने लगी है।
लोग हॉकी को प्यार करने लगे हैं, जिस तरह हमारा दिल्ली में स्वागत हुआ है, उससे हमें लगता है कि देश में हॉकी का लेवल अब उठने लगा है। मोनिका ने कहा कि उन्हें बचपन से ही हॉकी खेलने का शौक था। हालांकि पिता तकदीर सिंह मलिक उन्हें रेसलर बनाना चाहते थे।
लेकिन मुझे डर लगता था कि कहीं कान-नाक न टूट जाएं। इसलिए मैंने हॉकी खेलना शुरू किया। शुरू के दिनों में तो मैं अपनी एक सहेली के साथ ही ग्राउंड में हॉकी खेलने जाती थी। हमें वहां पीने के लिए फ्रूटी मिलती थी और हम उसी में बहुत खुश हो जाते थे। धीरे-धीरे गेम को सीरियस लेना शुरू किया और फिर चंडीगढ़ हॉकी एकेडमी में एडमिशन ली।
उसके बाद इसी गेम में करियर बनाने के बारे में सोचना शुरू कर दिया। मोनिका ने कहा कि 2011 में मैं इंडियन वूमंस हॉकी टीम में सिलेक्ट हो गई थी। इसके बाद कई चैंपियनशिप्स खेली। ये उनका दूसरा ओलिंपिक था। मोनिका ने कहा कि रियो ओलिंपिक 2016 में हमारा प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था, लेकिन अब सोचा था कि कुछ अच्छा करके ही वापस लौटेंगे।
शायद हमारा दिन नहीं था
मोनिका ने बताया कि शायद हमारा दिन नहीं था, इसलिए हम मेडल जीतने से चूक गए। नीरज चोपड़ा ने भी गोल्ड जीतने के बाद यही कहा था कि वह मेरा अच्छा दिन था। हमारे साथ भी ऐसा ही हुआ। ब्रॉन्ज मेडल वाले मैच में ग्रेट ब्रिटेन से 3-2 की लीड लेने के बाद भी हम हार गए। लेकिन ये हार भी हमारे लिए जीत के बराबर ही है। हमारा लीग राउंड में दुनिया की बेस्ट टीम के साथ मैच था और फिर हमने क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराया। वह जीत हमारे लिए बेहद खास रही थी।
धूप में प्रैक्टिस करते थे
मोनिका ने बताया कि हमारे कोच शुअर्ड मरिने ने हमारी गेम पर काफी ध्यान दिया और उनकी कोचिंग की बदौलत ही हम इस लेवल तक पहुंच सके। उन्होंने हमें धूप में प्रैक्टिस करवाई ताकि हम जापान के मौसम में ढल सके। कई बार तो टी-शर्ट के ऊपर जैकेट डालकर भी प्रैक्टिस करते थे। कोच मरिने के साथ प्रैक्टिस करना बेहद मुश्किल था लेकिन अब महसूस होता है कि उनकी सख्ती ही हमारी कामयाबी बनी है।
मोनिका का मुंह मीठा करवाते पिता तकदीर सिंह।
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