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ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी का ऐलान: भविष्य के प्रमुख ईंधन में आत्मनिर्भर बनेगा भारत, जानिए क्या होता है ग्रीन हाइड्रोजन?

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नई दिल्ली6 घंटे पहले

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सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया बनाने के लिए पॉलिसी का ऐलान किया है। यह नेशनल हाइड्रोजन मिशन (National Hydrogen Policy) के तहत पहला कदम है। इस मिशन के तहत सरकार भारत को ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाना चाहती है। सरकार ने 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन बनाने का लक्ष्य रखा है। नेशनल हाइड्रोजन मिशन का ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 15 अगस्त में किया था।

सरकार हाइड्रोजन और अमोनिया को भविष्य के प्रमुख ईंधन के रूप में मान रही है। यह भविष्य में फॉसिल फ्यूल (पेट्रोल, डीजल, कोयला) को रिप्लेस करेगा। नई पॉलिसी में कहा गया है कि ग्रीन हाइड्रोजन बनाने वाले मैन्युफैक्चरर्स पावर एक्सचेंज से रिन्यूएबल पावर खरीद सकते हैं। मैन्युफैक्चरर्स खुद का भी रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट लगा सकते हैं।

हाइड्रोजन पॉलिसी में क्या है खास

  • हाइड्रोजन प्रोडक्शन एप्लीकेशन देने के 15 दिन के अंदर परमिशन दी जाएगी।
  • 30 जून 2025 के पहले इसकी शुरूआत करने पर 25 साल तक इंटर स्टेट ट्रांसमिशन ड्यूटी में छूट मिलेगी।
  • हाइड्रोजन मिशन वाली कंपनी 30 दिन तक की रिनुअल एनर्जी को अपने पास रख सकती हैं।
  • हाइड्रोजन मिशन के लिए एक वेबसाइट बनेगी जिसमें इससे रिलेटेड सभी काम एक ही जगह पर हो सकेगा।
  • ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया बनाने वाली कंपनी को निर्यात व शिपिंग के लिए बंदरगाह के पास स्टोरेज के लिए जगह दी जाएगी।

भविष्य के ईधन में आत्मनिर्भर बनना चाहता है भारत
ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया बनाने की बात इसलिए हो रही है क्योंकि यह भविष्य का प्रमुख ईंधन माना जा रहा है। इसके तहत भारत ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया जैसे ईंधनों में आत्मनिर्भर बनना चाहता है। पेट्रोलियम की तरह भारत इन ईंधनों के लिए दूसरे देश पर निर्भर नहीं रहना चाहता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल हाइड्रोजन मिशन का ऐलान 15 अगस्त 2021 में किया था जिसका यह पहला कदम है। हाइड्रोजन मिशन के ऐलान के बाद कई कंपनियां जैसे रिलायंस, टाटा और अडाणी ने इसे बनाने की तैयारी को शुरू कर दी है।

ग्रीन हाइड्रोजन क्या होता है?
ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी का सबसे साफ सोर्स है। इससे प्रदूषण नहीं होता है। ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी बनाने के लिए पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग किया जाता है। इस प्रोसेस में इलेक्ट्रोलाइजर का उपयोग होता है। इलेक्ट्रोलाइजर रिन्यूएबल एनर्जी (सोलर, हवा) का इस्तेमाल करता है। ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग ट्रांसपोर्ट, केमिकल, आयरन सहित कई जगहों पर किया जा सकता है।

ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के फायदे

  • फॉसिल फ्यूल (पेट्रोल, डीजल, कोयला) से कम से कम तीन गुना अच्छा है।
  • हाइड्रोजन से कार्बन नहीं निकलता है।
  • यह पेट्रोल और डीजल तुलना में अधिक एनर्जी एफिशिएंट है।
  • इसका उपयोग गाड़ियों व रॉकेट के ईंधन में किया जा सकता है।

ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के नुकसान

  • यह महंगा ईंधन है जिसकी कीमत वर्तमान में 350 से 450 किलो के हिसाब से है।
  • दूसरे ईंधन के मुकाबले ट्रांसपोर्ट और रख रखाव में इसकी लागत अधिक है।

ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया प्रोजेक्ट से जुड़ी कंपनियां

  • रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries)- ग्रीन हाइड्रोजन बनाएगी इसके साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए इलेक्ट्रोलाइजर भी बनाएगी।
  • गेल इंडिया लिमिटेड (GAIL)- नेचुरल गैस में हाइड्रोजन मिला रही है। इसके साथ ही यह देश का सबसे बड़ा हाइड्रोजन प्लांट लगाने के बारे में प्लान बना रही है।
  • एनटीपीसी लिमिटेड (NTPC Limited)- विंध्याचल में इसने पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। इसकी प्रति यूनिट उत्पादन लागत USD 2.8-3/kg है।
  • आईओसी (Indian Oil Corporation)- मथुरा रिफाइनरी में ग्रीन हाइड्रोजन बना रही है।
  • एलएंडटी (Larsen & Toubro)- हजीरा कॉम्प्लेक्स में इसके प्लांट है। वहीं इलेक्ट्रोलाइजर भी बनाने की योजना है।

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