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कोलकाता को मिला चक दे इंडिया…के कबीर खान जैसा कोच: चंदू सर ने हार ना मानने का गुर सिखाया, तभी टीम अंक तालिका में तीसरे पायदान पर पहुंची

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कोलकाता2 मिनट पहलेलेखक: कृष्ण कुमार पांडेय

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पांच गेंद पर 28 रन की जरूरत और बल्लेबाज रिंकू लगातार पांच छक्के जमा देता है। रिंकू लगातार दूसरे मैच में टीम को जीत दिलाने में अहम साबित हुए। इससे पिछले मैच में उन्होंने मुकाबले को सिरे से पलट देने वाले शार्दूल ठाकुर के साथ बेहतरीन पार्टनरशिप की थी। यानी हम देख रहे हैं कि कोलकाता की टीम लगभग हर मैच में एक नया हीरो सामने ला रही है। हर खिलाड़ी अपने नाम या काम की शोहरत के हिसाब नहीं बल्कि सिचुएशन के मुताबिक खेल रहा है और कामयाब हो रहा है। तभी कोलकाता इस IPL में के अंक तालिका में तीसरे पायदान पर पहुंच गई है।

टीम की यह कायापलट हो कैसे गई?

जवाब यह है जनाब कि पिछले 8 साल से खिताब का सूख झेल रही शाहरुख खान की टीम को कबीर खान जैसा कोच मिल गया है। वही कबीर खान…चक दे इंडिया वाला…. IPL में उसका रियल लाइफ नाम चंद्रकांत पंडित है।

पंडित की टीम ने पिछली भिड़ंत में डिफेंडिंग चैंपियन गुजरात टाइटंस के छक्के छुड़ाए हैं। आखिरी पांच गेंद पर पांच छक्के मारकर हराना तो छक्के छुड़ाना ही कहा जाएगा न। गुजरात 325 दिन और 4 मैचों के बाद हारी है।

इस स्टोरी में जानेंगे कि खिलाड़ियों के बीच चंदू सर के उपनाम से मशहूर चंद्रकांत पंडित ने कैसे कोलकाता को लूजर से विनर बनाया। इसके लिए हमने चंद्रकांत पंडित और टीम के खिलाड़ियों से बात की…

सबसे पहले जानिए पंडित ने भास्कर से इस जीत पर क्या कहा…
यही गेम का असली रूप होता है कि मैच कभी भी अपना रुख पलट सकता है। जैसे गुजरात ने आखिरी ओवर्स में अच्छी बैटिंग की। फिर हमें भी मौका मिला। अय्यर-राणा ने मैच का रुख हमारे पक्ष में कर दिया। उसके बाद 4 विकेट गिरने के बाद बना हुआ मैच हमसे दूर जा रहा था जब राशिद खान ने हैट्रिक ली। वहां राशिद ने मैच हमारे पक्ष से खींचकर लगभग गुजरात के पाले में डाल दिया। फिर रिंकू ने बाजी पलट दी। उसने कर दिखाया।

मुझे लगता है कि यह ऐसा हिस्टोरिकल मैच हुआ है जिसे लोग भूल नहीं सकेंगे। रिंकू ने साबित किया कि अगर जमकर मेहनत की गई हो। प्लानिंग अच्छी हो और खुद पर यकीन रहे तो गेम में चमत्कार होते हैं। हमारी सोच रहती है कि नेवर गिवअप। रिंकू ने उसे साकार किया।

चक दे इंडिया के शाहरुख खान से मिलती-जुलती है चंदू सर की कहानी
पंडित की कहानी बॉलीवुड फिल्म ‘चेक दे इंडिया’ से मिलती-जुलती है, फिल्म में जैसे पूर्व हॉकी खिलाड़ी कबीर खान (शाहरुख खान) ने कमजोर भारतीय टीम को वर्ल्ड हॉकी चैंपियनशिप जिता दी थी। वैसे ही चंद्रकांत पंडित ने पिछले सीजन में कमजोर प्रदर्शन करने वाली KKR को सीजन की सबसे एक्साइटिंग टीम में से एक बना दिया है। 2022 में सातवें नंबर पर रहने वाली टीम अब क्रिकेट एक्सपर्ट्स को टाइटल फेवरेज नजर आने लगी है।

प्लानिंग और एक्जीक्यूशन के लिए 8 महीने का वक्त था
पिछले सीजन में खराब प्रदर्शन के बाद टीम के मुख्य कोच ब्रैंडन मैकुलम इस्तीफा देकर इंग्लैंड में बैजबॉल चलाने चले गए। वे इंग्लैंड की टेस्ट टीम के कोच बन गए। महज 8 महीने पहले चंद्रकांत को कोचिंग का जिम्मा मिला। उन्होंने मध्यप्रदेश को रणजी चैंपियन बनाया था। तब उनकी कोचिंग के चर्चे खूब मशहूर हुए थे। उन्होंने MP की युवा टीम को चैंपियन में कन्वर्ट किया था। KKR का मैनेजमेंट उनसे ऐसी ही मैजिक की उम्मीद कर रहा था।

पंडित टीम को शेप में ला ही रहे थे कि रेगुलर कैप्टन श्रेयस अय्यर चोटिल हो गए। लीग शुरू में दो महीने से भी कम का वक्त था और टीम को नए कप्तान की तलाश थी। लोगों को लगा कि सुनील नरेन या आंद्रे रसेल जैसे किसी अनुभवी चेहरे को कप्तान बनाया जाएगा। लेकिन, पंडित ने नीतीश राणा को लीडर चुना। राणा कैसी कप्तानी कर रहे हैं और टीम कैसा खेल दिखा रही है…इसका जवाब तो KKR का प्रदर्शन दे ही रहा है।

पंडित की फिलोसफी जिसपे वे टीम बिल्ड करते हैं

  • टीम को परिवार समझते हैं पंडित जिस भी टीम को कोचिंग देते हैं उसे परिवार समझते हैं और खिलाड़ियों को परिवार का सदस्य। वे उन्हें डांटते भी हैं और सपोर्ट भी करते हैं। इस बारे में वेंकटेश भास्कर को दिए एक इंटरव्यू में कहते हैं चंदू सर फैमलियर रहते हैं, वे सख्ती के साथ वे प्यार भी करते हैं।
  • कोई छोटा-बड़ा नहीं, सभी को अहमियत पंडित की टीम में कोई छोटा-बड़ा नहीं है। वे हर सदस्य को अहमियत देते हैं। टीम की सबसे बड़ी स्ट्रेंथ पूछने पर वे कहते हैं, ‘मैं हमेशा टीम को स्ट्रेंथ मानता हूं न कि किसी खिलाड़ी को। हमारे लिए उमेश यादव का एक रन भी उतना ही महत्वपूर्ण था, जितने रिंकू के 5 छक्के। यदि उमेश एक रन नहीं लेते तो रिंकू को 5 बॉल खेलने का मौका नहीं मिलता। यह इसलिए भी खास है कि वह सिंगल सही समय पर आया। यही टीम की स्ट्रेंथ है।’
  • डिसीप्लिन के पक्के हैं पंडित की छवि सख्त मिजाज के कोच की है। पंडित इसे डिसीप्लिन नहीं, रूटीन मानते हैं। इस बारे में वे कहते हैं, ‘मेरा नेचर ही ऐसा है, मैं चीजों को व्यवस्थित पसंद करता हूं।’
  • खिलाड़ियों में विश्वास पैदा करते हैं पंडित खिलाड़ियों के साथ खूब टाइम स्पेंड करते हैं। उनका मानना है कि एक-दूसरे को समझना ज्यादा विश्वास पैदा करता है।
2014 के बाद से टीम कभी खिताब नहीं जीत पाई है।

2014 के बाद से टीम कभी खिताब नहीं जीत पाई है।

अब भास्कर के सवाल पर पंडित के जवाब…

सवाल: रिंकू को क्या गुरुमंत्र दिया था?
पंडित
: आखिरी ओवर से पहले कोई मैसेज नहीं दिया था, हां स्ट्रैटेजिक टाइम आउट हमने इतना ही कहा था कि जो उन्होंने किया है वह हम भी कर सकते हैं। आप हौसला रखो। मुझे लगता है कि रिंकू का माइंड सेट और खुद के ऊपर भरोसा था, उस भरोसे ने करवा दिया।

सवाल: ऐसा क्या बदला कि इतने अच्छे परिणाम मिल रहे है?
पंडित: हर किसी का अपना-अपना मैथड होता है। क्रिकेट में एक यूनिट खेलती है, जिसे हम टीम कहते हैं, जैसा हमारे सभी प्लेयर्स को पता है कि पूरी टीम क्रिकेट खेलती है, लेकिन मुझे यह फैमली के तौर पर क्रिकेट खेलती दिख रही है। यह सबसे अहम बात है। उम्मीद करता हूं आने वाले मैचों में यह जारी रहेगा।

पिछले दोनों मैचों में जैसा परफॉर्मेंस आया है, जैसे- पहले मैच में शार्दूल ने किया, दूसरे में रिंकू, वेंकटेश और नितिश ने किया। नरेन, वरुण और सुयश ने भी गेम पलटा। यह अच्छे संकेत हैं, हालांकि हमें भूलना नहीं चाहिए कि यह हमारा तीसरा ही गेम है और लंबा सफर बचा है। अच्छी बात यह है कि एक-दो प्लेयर्स का परफॉर्मेंस पूरी टीम का आत्मविश्वास और हौसला बढ़ाता है। अभी बहुत सारे मैच खेलने है।

सवाल: आने वाले मैचों में क्या अप्रोच रहेगी?
पंडित
: हर टीम का लक्ष्य जीतना होता है। हर मैच की रणनीति बनती है। मैं कोई नई चीज नहीं बता सकता, इतना जरूर कहूंगा कि हमारी टीम एक या दो प्लेयर पर निर्भर नहीं है। हर प्लेयर की अपनी खासियत है। आप किसी को अंडरस्टीमट नहीं कर सकते हैं। सभी खिलाड़ी मैच विनर हैं।

सवाल: आप टीम बाउंडिंग के लिए अलग-अलग एक्टीविटी करते हैं?
पंडित: बहुत सारी एक्टीविटी की है। दो-तीन कैंप में बहुत सारी एक्टीविटी की। अभी टूर्नामेंट के दौरान बहुत कुछ किया। अहम यह है कि हर प्लेयर को पता हो कि हमारी जर्नी कैसी रहेगी और क्या हमारी उम्मीदें हैं। अच्छी क्रिकेट खेलना एक उम्मीद तो है ही। टीम को कैसे साथ में रहना है, कैसा हमारा रूटीन रहता है।
और बहुत अच्छी चीज है कि ओवरसीज प्लेयर ने इन चीजों में बहुत अच्छी तरीके से साथ दिया है। वे खुश भी है इससे और भी अच्छा माहौल तैयार हुआ है।

सवाल: प्लेयर्स से लगाव कैसे डेवलप करते हैं?
पंडित: ज्यादा तो नहीं बता सकता कि बाउंडिंग डेवलप कैसे करते हैं। यह अंदर की बात है। हां इतना जरूर कहूंगा कि प्लेयर्स के साथ टाइम स्पेंड करता हूं। वे भी रिस्पांस देते हैं। विदेशी खिलाड़ियों का रिस्पांस अच्छा रहा है। एक-दूसरे को समझना ज्यादा विश्वास पैदा करता है। मुझे लगता है कि इस लेवल पर किसी को क्रिकेट सिखाने की जरूरत नहीं है। मुझे पता है कि सभी अच्छे क्रिकेटर हैं।

सवाल: दुर्गा पूजा के लिए टीम की मंदिर ट्रिप बाउंडिंग एक्टीविटी का हिस्सा था?
पंडित: कप्तान नया था और मै भी नया था, ऐसे में भगवान का अर्शीवाद जरूरी था। भारतीय कल्चर में जब भी किसी नई चीज की शुरुआत करते हैं तो भगवान को याद करते हैं। इसीलिए सभी को मंदिर ले गया था। यह अलग नहीं था, मुझे लगता है कि हर टीम ऐसा करती है।

पंडित कुछ दिन पहले कोलकाता की दुर्गा पूजा में ले गए थे। कप्तान और कोच एक साथ।

पंडित कुछ दिन पहले कोलकाता की दुर्गा पूजा में ले गए थे। कप्तान और कोच एक साथ।

सवाल: सख्त डिसीप्लिन के लिए जाने जाते हैं?
पंडित
: आप सभी मेरा नेचर जानते हैं। मैं इसे डिसीप्लिन नहीं, रूटीन कहता हूं। खुशी इस बात की है कि सभी इसे फॉलो कर रहे हैं खासकर विदेशी। जैसा मैंने ओवरसीज प्लेयर्स के बारे में सुना था, तो मैं सरप्राइज हो गया, क्योंकि ओवरसीज प्लेयर ही सबसे ज्यादा साथ दे रहे हैं। भारतीय तो करते ही हैं। तो मुझे लगा था कि पता नहीं विदेशी मानेंगे या नहीं। मैं खुश हूं कि ओवरसीज प्लेयर ज्यादा इसे ज्यादा अच्छे से फॉलो कर रहे हैं।

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