कोरोना के दूसरे साल भी किसानों को राहत: सरकार ने खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया, तिल की MSP 452 रु., तुअर और उड़द दाल की 300 रु. बढ़ी
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नई दिल्ली30 मिनट पहले
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प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में नई MSP को मंजूरी दी गई।
कोरोना महामारी के दौरान लगातार दूसरे साल सरकार ने खरीफ की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाया है। कैबिनेट की बैठक में खरीफ फसलों के नई MSP को मंजूरी दे दी। तिल की MSP 452 रु., तुअर और उड़द दाल की 300 रुपए बढ़ाई गई है। धान (सामान्य) की MSP पिछले साल के 1,868 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1,940 रुपए प्रति क्विंटल की गई है यानी 72 रुपए ज्यादा। नई MSP पर केंद्र के 25,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
पिछले साल 1 जून को 14 खरीफ फसलों की MSP बढ़ाई गई थी। 2020-21 में धान की MSP को 1815 से बढ़ाकर 1868 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया था।
बाजरे का MSP बढ़ाकर 2250 रुपए किया
बाजरा पर MSP बढ़ाकर 2150 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2250 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि विगत 7 साल में किसान के पक्ष में बड़े निर्णय हुए हैं ताकि किसानों की आमदनी बढ़ सके और उनमें ख़ुशहाली आ सके। MSP 2018 से लागत पर 50% मुनाफा जोड़कर घोषित की जाती है।
खरीफ की फसलों में कौन-कौन सी फसलें आती हैं?
धान (चावल), मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, मूंगफली, गन्ना, सोयाबीन, उडद, तुअर, कुल्थी, जूट, सन, कपास आदि। खरीफ की फसलें जून जुलाई में बोई जाती हैं। सितंबर-अक्टूबर में इनकी कटाई होती है ।
क्या है MSP या मिनिमम सपोर्ट प्राइज?
MSP वह न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी गारंटेड मूल्य है जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है। भले ही बाजार में उस फसल की कीमतें कम हो। इसके पीछे तर्क यह है कि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे।
सरकार हर फसल सीजन से पहले सीएसीपी यानी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेस की सिफारिश पर एमएसपी तय करती है। यदि किसी फसल की बम्पर पैदावार हुई है तो उसकी बाजार में कीमतें कम होती है, तब MSP उनके लिए फिक्स एश्योर्ड प्राइज का काम करती है। यह एक तरह से कीमतों में गिरने पर किसानों को बचाने वाली बीमा पॉलिसी की तरह काम करती है।
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