कॉमनवेल्थ मेन्स हॉकी टीम में सोनीपत का प्लेयर: CRZ के हिंदी टीचर ने निखारा स्ट्राइकर अभिषेक को; PNB में करते हैं जॉब
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सोनीपत5 मिनट पहले
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कॉमनवेल्थ गेम्स में सोमवार शाम होने वाले पुरुष हॉकी मुकाबले पर जहां देश भर के खेल प्रेमियों की निगाह है, वहीं सोनीपत वासी भी मैच को लेकर खासे उत्साहित हैं। टीम इंडिया के एक खिलाड़ी अभिषेक सोनीपत के मयूर विहार के रहने वाले हैं। दक्षिण अफ्रीका के साथ हुए सेमीफाइनल में जब टीम निराशा का सामना कर रही थी तो दाएं फ्लैंक से आए क्रॉस पर अभिषेक ने सर्किल के टॉप से मुस्तफा कासिम को साइड करके शॉट लेने के लिए जगह बनाई और रिवर्स शॉट से गोल किया। इसके बाद ही टीम में पैनापन आया और दक्षिण अफ्रीका को 3-2 से हराकर फाइनल में पहुंची। गोल्ड के लिए आज आस्ट्रेलिया से मैच है।
जनवरी में हुआ टीम इंडिया में हुआ सलेक्शन
भारतीय हॉकी टीम में जनवरी 2022 में 2 खिलाड़ियों को लिया गया था। इसमें एक जुगराज थे तो दूसरे सोनीपत के अभिषेक। असल में अभिषेक ने जूनियर नेशनल और खेलों इंडिया में हुए हॉकी मुकाबलों में अपने प्रदर्शन की जो छाप छोड़ी उसकी बदौलत उसके आगे बढ़ने के रास्ते खुले थे। हॉकी कोच संदीप सांगवान ने बताया कि राष्ट्रीय जूनियर हॉकी प्रतियोगिता में हरियाणा ने रजत पदक जीता था इसके बाद खेलों इंडिया में भी अभिषेक के प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया।
पीएनबी में मिली जॉब
अभिषेक की हॉकी के प्रदर्शन ने उसके लिए जॉब के रास्ते भी खेल दिए थे। पहले उन्हें ओएनजीसी से जॉब का ऑफर हुई। साथ ही साथ पीएनबी ने भी अपने साथ करने के लिए जॉब ऑफर भेजा। उसने पीएनबी की जॉब स्वीकार की थी।कॉमनवेल्थ में इंडिया का पहला मुकाबला घाना के साथ हुआ। सेमीफाइनल में दक्षिणा अफ्रीका को हराया। हर मुकाबले में सोनीपत के इस स्ट्राइकर ने लोहा मनवाया है।
हिंदी के ‘मास्टरजी’ ने बदला जीवन
अभिषेक से जब भी उसके जीवन में हॉकी के बारे में पूछा जाता है तो वह सबसे पहले सोनीपत के CRZ स्कूल के हिंदी टीचर शमशेर सिंह का नाम लेता है। इंटरव्यू में वो कहता है कि ‘मास्टरजी को मेसी पसंद थे उन्होंने हमे मेसी के बहुत से वीडियो दिखाए। इसी कारण मुझे स्ट्राइकर बनाया। उन्होंने हमे पढ़ने के लिए कहा ताकि हम अपने विचारों से स्पष्ट रहें। उन्होंने हमे कुछ वीडियो देखने के लिए कहा ताकि हम सीखकर वैसा ही कर सकें।’ ‘मास्टरजी’ एक दशक से ज्यादा समय तक अभिषेक के कोच रहे।
एक मैच के दौरान गोल दागने के प्रयास में अभिषेक।
अभिषेक ऐसे बने स्ट्राइकर
शमशेर सिंह पेशे से हिंदी मास्टर हैं, लेकिन फुटबाल में लियानेल मेसी के जबरदस्त फैन हैं, जब उनको लगा कि अभिषेक हॉकी में चल सकता है, तो वह उसके घर तक पहुंच गए। परिवार को मना कर हॉकी की शुरुआत कराई। सीआरजेड स्कूल में अभ्यास भी उन्हीं की देखरेख में हुआ। मास्टर शमशेर की खासियत रही थी कि वे खिलाड़ी पर पोजिशन चुनकर खेलने की छूट देते थे।
यही कारण रहा कि अभिषेक ने खुद को फॉरवर्ड खिलाड़ी के रूप में स्ट्राइकर की पोजिशन को अपनाया और उस पर अभ्यास किया। वे 10 साल तक मास्टरजी की देखरेख में अभ्यास करते रहे। इसके साथ ही भारतीय हॉकी टीम के कोच रहे संदीप सांगवान ने भी उनको हॉकी के गुर सिख्भ्याए। उनको शारीरिक एवं मानसिक मजबूती दी।
शहतूत तोड़ने के चक्कर में कटवा बैठे थे अपनी नस
बचपन में अभ्यास के दौरान जहां प्रैक्टिस करते थे, वहीं पास में एक शहतूत का पेड़ था। अभिषेक ने दोस्तों के साथ मिलकर पेड़ से शहतूत तोड़ने का प्लान बनाया। अभिषेक जब पेड़ पर चढ़कर शहतूत तोड़ रहे थे, तभी अचानक नीचे खड़ा लड़का चिल्लाया ‘मास्टर जी आ गए।’ यह सुनते ही हड़बड़ाहट में अभिषेक ने ऊपर से ही छलांग लगा दी लेकिन उनका हाथ दीवार पर लगे कांटों की तार में फंस गया। दीवार पर लगे कांच उनके हाथ में घुस गए जिससे हाथ की नस कट गई और खून बहने लगा। अभिषेक को अस्पताल ले जाया गया वहां, उन्हें 15 टांके लगे।
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