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कतर वर्ल्ड कप में सर्वाधिक 24% उलटफेर: 2002 के बाद इस वर्ल्ड कप में सबसे कम 1458 शॉट्स पड़े

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कतर32 मिनट पहले

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फीफा वर्ल्ड कप में 1958 के सबसे ज्यादा उलटफेर इस वर्ल्ड कप में हुआ।

फीफा वर्ल्ड कप खत्म हो चुका है, लेकिन फैंस इस ड्रीम वर्ल्ड कप के बारे में बात करने से खुद को अभी भी नहीं रोक पा रहे हैं। इसके पीछे कई कारण है। इस वर्ल्ड कप में लोगों ने अपने हीरो को खेलते देखा। कई खिलाड़ी वर्ल्ड कप में आखिरी बार उतरे थे तो कई खिलाड़ी पहली बार। इस बीच इस वर्ल्ड कप में कई रिकॉर्ड्स बने और कई टूटे। कतर वर्ल्ड कप में नए ट्रेंड्स देखने को मिले। इस वर्ल्ड कप में कई मुकाबलों का नतीजा पेनल्टी शूटआउट से तय हुआ, उसमें फाइनल भी शामिल है। इसके साथ ही, उलटफेर का सिलसिला अर्जेंटीना और सऊदी अरब के मैच में शुरू हुआ, वह टूर्नामेंट के नॉकआउट मैच तक चला। जानते हैं वर्ल्ड कप 2022 के कुछ ट्रेंड्स…

1958 के बाद सबसे ज्यादा उलटफेर हुए
फीफा वर्ल्ड कप में 1958 के बाद इस वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा उलटफेर देखने को मिले। 1958 में 26 प्रतिशत उलटफेर हुए थे, जबकि आंकड़ों के अनुसार, इस साल 24 प्रतिशत मैच उलटफेर में खत्म हुए हैं। वहीं 2002 में 22 प्रतिशत मुकाबलों में उलटफेर देखने को मिले थे, जो इस बार दो प्रतिशत ज्यादा है।

वर्ल्ड कप के इतिहास में सबसे ज्यादा गोल इस साल पड़े, लेकिन शॉट कम कतर वर्ल्ड कप 2022 में वर्ल्ड कप के इतिहास में सबसे ज्यादा (172) गोल हुए। इसके बावजूद इस वर्ल्ड कप में 2002 के बाद सबसे कम 1458 शॉट्स मारे गए। इसका मतलब इस साल एक गोल करने के लिए शॉट्स का औसत 22.8 था यानी एक गोल करने के लिए 22.8 शॉट लिए गए। साथ ही, इस बार एक मैच में गोल का औसत 2.69 था, जो 1994 के 2.71 के बाद सबसे बेहतर है।

ज्यादा पेनल्टी और कम फाउल्स
वर्ल्ड कप 2022 में कुल 23 पेनल्टी दी गई। वर्ल्ड कप का पहला और आखिरी गोल पेनल्टी से हुआ था, जो 2018 वर्ल्ड कप से कम था। इसकी एक वजह इस साल कम फाउल्स का होना है। इस साल 1599 फाउल दिए गए, जो पिछले पांच टूर्नामेंट में सबसे कम हैं। हालांकि, 23 पेनल्टी में से 26% पेनल्टी पर गोल नहीं हुए। अर्जेंटीना के लियोनेल मेसी ने सबसे ज्यादा 5 पेनल्टी ली और 4 में गोल किए। पोलैंड के खिलाफ वो पेनल्टी पर गोल करने में असफल रहे थे।

पेनल्टी शूटआउट और स्टॉपेज टाइम
इस साल इतिहास में सबसे ज्यादा मैचों (5) का निर्णय शूटआउट के जरिए हुआ। शुरुआती 52 मैच में एक भी शूटआउट मैच नहीं होने के बाद अगले 12 मैच में 5 शूटआउट हुए। जिन मैचों में भी एक्स्ट्रा टाइम में मैच में गया उसका नतीजा केवल शूटआउट से हुआ। साथ ही, इस वर्ल्ड कप में औसतन 11 मिनट का इंजरी टाइम दिया गया। जो 2018 वर्ल्ड कप से 6 मिनट ज्यादा है। ऐसा बढ़त वाली टीम की समय बर्बाद करने की स्ट्रेटजी को विफल करने के लिए किया गया।

पेनल्टी शूटआउट में अनुभवी खिलाड़ियों पर टीमों ने जताया भरोसा, फायदा भी हुआ
दबाव वाली स्थिति में टीमों ने अनुभवी खिलाड़ियों पर भरोसा जताया। इस वर्ल्ड कप में पेनल्टी शूटआउट में 41 शॉट लिए गए, जिसमें से 26 शॉट 25 से ज्यादा उम्र वाले खिलाड़ियों ने लिए। 36%(15) शॉट 25 या उससे कम उम्र के खिलाड़ियों ने लिए। 36% पेनल्टी बचा ली गई या खिलाड़ी चूक गए। पेनल्टी चूकने वाले में 33% खिलाड़ियों की उम्र 25 से कम थी। जबकि, 67% पेनल्टी 25 से ज्यादा उम्र के खिलाड़ी चूके।

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