ओलिंपियन वरिंदर सिंह का देहांत: फील्ड हॉकी खिलाड़ी ने जालंधर में ली अंतिम सांस, कुछ दिनों से चल रहे थे अस्वस्थ
जालंधर4 मिनट पहले
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ओलंपियन वरिंदर सिंह का तत्कालीन राष्ट्रपति से प्रतिभा पाटिल से ध्यानचंद पुरस्कार लेते हुए फाइल फोटो
ओलंपिक और विश्व कप पदक विजेता टीम का हिस्सा रहे हॉकी खिलाड़ी वरिंदर सिंह का मंगलवार सुबह जालंधर में निधन हो गया। वह पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे, मंगलवार सुबह अचानक उनका निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार उनके जालंधर में ही पैतृक गांव धन्नोवाली में स्थित श्मशान घाट पर दोपहर साढ़े तीन बजे किया जाएगा। ध्यानचंद पुरस्कार विजेता वरिंदर का जन्म 16 मई 1947 में हुआ था। वर्ष 1970 के दशक में भारत की कई यादगार जीत का हिस्सा रहे वरिंदर 75 साल के थे।
म्युनिख में 1972 में हुई ओलंपिक खेलों में भारत की हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता, वरिंदर इस टीम में फारर्वर्ड के तौर पर खेले थे। उन्होंने भारतीय टीम को पदक तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी। इसके बाद वरिंदर 1975 में कुआलालंपुर में पुरुष हॉकी विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे। यह इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में भारत का अब तक का एकमात्र स्वर्ण पदक है। भारत ने तब फाइनल में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 2-1 से हराया था।
वरिंदर की मौजूदगी वाली टीम ने 1974 और 1978 एशियाई खेलों में भी रजत पदक जीता। वह 1975 मांट्रियाल ओलंपिक में भी भारतीय टीम में शामिल थे। हॉकी ओलंपियन वरिंदर को 2007 में प्रतिष्ठित ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से भी नवाजा गया था।
बतौर फील्ड हॉकी खिलाड़ी अपनी पहचान बनाने वाले वरिंदर सिंह ने 1985 से 1993 तक पंजाब एंड सिंध बैंक में हॉकी कोच के रूप में अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद वह 2008 तक पंजाब राज्य के खेल विभाग में भी बतौर कोच अपनी सेवाएं देते रहे। अब भी वह लायलपुर खालसा कालेज फार वूमेन में महिला हॉकी खिलाड़ियों को खेल के गुर सिखा रहे थे। इसके अलावा राउंड ग्लास हॉकी एकेडमी में भी युवाओं को हॉकी खेलना सिखा रहे थे।
हॉकी ओलंपियन वरिंदर सिंह के निधन पर हॉकी इंडिया ने शोक जताया है।हॉकी इंडिया ने विज्ञप्ति में कहा, ‘‘वरिंदर सिंह की उपलब्धि को दुनिया भर का हॉकी समुदाय याद रखेगा।’’ जालंधर में खेल प्रेमियों के साथ-साथ सुरजीत हॉकी सोसायटी शोक जताया है। सोसायटी ने कहा कि ओलंपियन वरिंदर सिंह जा जाना हॉकी जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है। ह़ॉकी के क्षेत्र में उनके दिए गए योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
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