Quick News Bit

ऐडवर्टाइजमेंट पर नई गाइडलाइन: CCPA ने सरोगेट और भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाई, उल्लंघन करने पर लगेगा 50 लाख तक जुर्माना

0
  • Hindi News
  • Business
  • CCPA Bans Surrogate And Misleading Advertisements, Violation Will Attract A Fine Of Up To 50 Lakhs

नई दिल्ली14 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने ऐडवर्टाइजमेंट के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। गाइडलाइन के मुताबिक अब भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। CCPA ने सरोगेट ऐडवर्टाइजमेंट पर भी प्रतिबंध लगाया है। इस फैसले का उद्देश्य पारदर्शिता लाना है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के नए दिशानिर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं।

भ्रामक विज्ञापन क्या हैं? यदि विज्ञापनों में दी गई जानकारी प्रोडक्ट में नहीं पाई जाती है, तो उन विज्ञापनों को भ्रामक विज्ञापन माना जाएगा। जो विज्ञापन उनके डिस्क्लेमर से भिन्न होते हैं, उन्हें भी भ्रामक विज्ञापन माना जाएगा। इसके अलावा, यदि कोई सेलिब्रिटी किसी विज्ञापन में कुछ दावा कर रहा है और वह सही नहीं पाया जाता है तो वह विज्ञापन भी भ्रामक विज्ञापन श्रेणी के अंतर्गत आता है। अब तक CCPA ने 117 नोटिस भेजे हैं। इनमें से 57 को भ्रामक विज्ञापनों के लिए, 47 को अनफेयर ट्रोड प्रैक्टिस के लिए और 9 को कंज्यूमर राइट्स को ऑब्सट्रक्ट करने के लिए भेजा गया है।

सरोगेट ऐडवर्टाइजमेंट क्या होता है?
आपने अक्सर टीवी पर किसी शराब, तंबाकू या ऐसे ही किसी प्रोडक्ट का ऐड देखा होगा, जिसमें प्रोडक्ट के बारे में सीधे न बताते हुए उसे किसी दूसरे ऐसे ही प्रोडक्ट या पूरी तरह अलग प्रोडक्ट के तौर पर दिखाया जाता है। जैसे शराब को अक्सर म्यूजिक CD या सोडे के तौर पर दिखाया जाता है। यानी ऐसा ऐड जिसमें दिखाया कोई और प्रोडक्ट जाता है, लेकिन असल प्रोडक्ट दूसरा होता है, जो सीधा-सीधा ब्रांड से जुड़ा होता है।

सरोगेट ऐडवर्टाइजिंग क्यों की जाती है?
दरअसल, कई ऐसे प्रोडक्ट होते हैं, जिनकी डायरेक्ट ऐडवर्टाइजमेंट पर बैन लगा है। आमतौर पर इनमें शराब, सिगरेट और पान मसाला जैसे प्रोडक्ट हैं। ऐसे में इन प्रोडक्ट की ऐडवर्टाइजिंग के लिए सरोगेट ऐड्स का सहारा लिया जाता है।

ऐडवर्टाइजिंग के लिए जारी गाइडलाइन

  • सरकार ने सरोगेट विज्ञापन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
  • शर्तें लागू होने पर फ्री ऐडवर्टाइजमेंट को भ्रामक कहा जाएगा।
  • बच्चों के जरिए चैरिटी, पोषण संबंधी दावे भी भ्रामक हो सकते हैं
  • ब्रांड प्रमोशन के लिए किसी प्रोफेशनल का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है
  • नियम और शर्तों में जो कुछ भी फ्री बताया गया है, डिस्क्लेमर में भी वह फ्री होना चाहिए
  • कंपनी के वे विज्ञापन जो कंपनी से जुड़े लोग कर रहे हैं तो आपको बताना होगा कि हम कंपनी से क्या संबंध रखते हैं

मैन्युफैक्चरर, सर्विस प्रोवाइडर की ड्यूटी

– मैन्युफैक्चरर अपने प्रोडक्ट के बारे में सही जानकारी देंगे – जिस आधार पर दावा किया गया है उसकी जानकारी देनी होगी।

50 लाख रुपए तक का जुर्माना
CCPA किसी भी भ्रामक विज्ञापन के लिए मैन्युफैक्चर्स, एडवरटाइजर्स और एंडोर्सर्स पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है। बाद के उल्लंघनों के लिए 50 लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगा सकता है। अथॉरिटी भ्रामक विज्ञापन के एंडोर्सर पर 1 साल का बैन लगा सकती है। बाद में उल्लंघन के लिए इसे 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है। ये नियम उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का अधिकार भी देंगे।

खबरें और भी हैं…

For all the latest Business News Click Here 

 For the latest news and updates, follow us on Google News

Read original article here

Denial of responsibility! NewsBit.us is an automatic aggregator around the global media. All the content are available free on Internet. We have just arranged it in one platform for educational purpose only. In each content, the hyperlink to the primary source is specified. All trademarks belong to their rightful owners, all materials to their authors. If you are the owner of the content and do not want us to publish your materials on our website, please contact us by email – [email protected]. The content will be deleted within 24 hours.

Leave a comment