मुंबई4 घंटे पहले
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- 2018 में एयर इंडिया का 76% हिस्सा बेचने के लिए टेंडर निकाला गया
- 2020 में सरकार ने इसका पूरा हिस्सा बेचने का निर्णय किया
सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के लिए फाइनेंशियल बिड 15 सितंबर तक मिल सकती है। यह बिड क्वालीफाइड इंट्रेस्टेड बिडर्स (QIB) की ओर से मिल सकती है। यह जानकारी सिविल एविएशन राज्य मंत्री वी.के सिंह ने दी।
27 जनवरी 2020 को जारी हुआ था EoI
केंद्र सरकार ने एयर इंडिया के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट (EoI) 27 जनवरी 2020 को जारी की थी। इसके सबमिशन की तारीख कई बार कोरोना की वजह से बढ़ाई गई। पिछली बार इसके सबमिशन की तारीख 14 दिसंबर 2020 रखी गई थी। सरकार ने कहा कि ट्रांजेक्शन एडवाइजर से काफी सारे EoI मिले हैं। वी.के. सिंह ने कहा कि रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल ड्राफ्ट शेयर परचेज एग्रीमेंट के साथ QIB को शेयर किया गया है। ट्रांजेक्शन एडवाइजर ने इसे 30 मार्च 2021 को शेयर किया था।
लोकसभा में लिखित जवाब में वी.के. सिंह ने कहा कि 15 सितंबर तक फाइनेंशियल बिड मिलने की उम्मीद है। हालांकि किसी QIB का नाम नहीं बताया गया।
60 हजार 74 करोड़ रुपए का है कर्ज
एयर इंडिया पर 31 मार्च 2019 तक कुल 60 हजार 74 करोड़ रुपए का कर्ज था। जो भी एयर इंडिया को खरीदेगा, उसे इसमें से 23,286.5 करोड़ रुपए का कर्ज भी लेना होगा। बाकी का कर्ज एयर इंडिया असेट होल्डिंग को एक स्पेशल परपज वेहिकल के जरिए ट्रांसफर किया जाएगा। जनवरी 2020 में जारी EoI में यह शर्त लगाई गई है।
नॉन कोर असेट्स के पैसे से कर्ज चुकाया जाएगा
मंत्री ने कहा कि एयर इंडिया की नॉन कोर असेट्स से जो पैसा आएगा, उसका उपयोग एयर इंडिया का कर्ज चुकाने के लिए किया जाएगा। एयर इंडिया इन सभी संपत्तियों को बेचने की तैयारी कर रही है। एयर इंडिया की प्रॉपर्टी का रिजर्व प्राइस इसकी ओवरसाइट कमिटी द्वारा तय किया गया है। इसमें तीन वैल्यूअर्स से प्रपोजल मिला है।
16 प्रॉपर्टी की कीमतों में की जाएगी कमी
ओवरसाइट कमिटी ने 16 प्रॉपर्टी की रिजर्व कीमतों में 10% कमी करने को मंजूरी दे दी है। क्योंकि कई बार इन प्रॉपर्टी की नीलामी की गई, पर कीमत ज्यादा होने से कोई खरीदार इसके लिए आगे नहीं आया। अक्टूबर 2020 में सरकार ने कहा था कि एयर इंडिया की बिक्री इसके इंटरप्राइज वैल्यू पर होगी, न कि इक्विटी वैल्यू पर। इंटरप्राइज वैल्यू का मतलब इक्विटी की वैल्यू, कर्ज और कंपनी के पास कैश से है। इक्विटी वैल्यू में केवल कंपनी के शेयरों के वैल्यू को लिया जाता है।
15% हिस्सा सरकार के पास कैश देना होगा
केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2020 में कहा था कि जो भी इंटरप्राइज वैल्यू बिडर रखेगा, उसका कम से कम 15% हिस्सा सरकार के पास कैश देना होगा। बाकी का हिस्सा एयर इंडिया के साथ कर्ज के रूप में लेना होगा। एयर इंडिया को 2018 में भी बेचने की कोशिश हुई थी, पर तब भी सरकार इसमें फेल रही। इसके बाद जनवरी 2020 में इसके 100% हिस्से को बेचने की योजना बनाई गई। इसमें एयर इंडिया एक्सप्रेस में एयर इंडिया की 100% हिस्सेदारी को भी रखा गया। जबकि सैट्स एयरपोर्ट सर्विसेस में 50% हिस्सेदारी बेचने के लिए जारी की गई।
2018 में सरकार ने एयर इंडिया का 76% हिस्सा बेचने के लिए टेंडर निकाला था। साथ ही इसका मैनेजमेंट कंट्रोल भी ट्रांसफर करने का फैसला लिया गया था। हालांकि 31 मई 2018 तक इस पर कोई भी प्रपोजल सरकार को नहीं मिला था। उस समय इसके लिए 31 मई को ही अंतिम तारीख तय किया गया था।
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